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प्रतिवर्ती क्रिया meaning in Hindi

pronunciation: [ pertiverti keriyaa ]
प्रतिवर्ती क्रिया meaning in English

Examples

  1. स्खलनीय प्रतिवर्ती क्रिया में मूत्रमार्ग , प्रोस्टेट ग्रंथि और शुक्राशय के चारों ओर स्थित और शिश्न के आधार पर स्थित मांसपेशियों का लयात्मक अनैच्छित संकुचन होता है , जो शुक्राशय से वीर्य को शिश्न के मार्ग से निष्कासित कर देता है।
  2. व्यायाम आसानी से किए जा सकते हैं और कही भी और किसी भी समय किए जा सकते हैं जिससे स्खलनीय प्रतिवर्ती क्रिया पर शीघ्रता से नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है , सामान्यतः उपचार कार्यक्रम में निर्दिष्ट अवधि से पहले ही।
  3. एक असामान्य प्रतिवर्ती क्रिया भी , जिसे आम तौर पर बाबिन्स्की चिह्न (जिसमें पैर का अंगूठा ऊपर की ओर बढ़ जाता है और बाक़ी उंगलियां बाहर की ओर फैल जाती हैं) कहा जाता है, ऊपरी गतिजनक न्यूरॉन की क्षति का संकेत देता है.
  4. एक असामान्य प्रतिवर्ती क्रिया भी , जिसे आम तौर पर बाबिन्स्की चिह्न (जिसमें पैर का अंगूठा ऊपर की ओर बढ़ जाता है और बाक़ी उंगलियां बाहर की ओर फैल जाती हैं) कहा जाता है, ऊपरी गतिजनक न्यूरॉन की क्षति का संकेत देता है.
  5. यद्यपि रोगी को अपने स्खलनीय प्रतिवर्ती क्रिया पर नियंत्रण पाने में मदद करनेवाले व्यायाम सभी ओनलाइन कार्यक्रमों में लगभग समान ही होते हैं , यह ध्यान में रखना जरूरी है कि शीघ्रपतन के अलग-अलग स्तरों का अलग-अलग तरीकों से इलाज करना चाहिए।
  6. कम से कम आज़ादी के बाद की साहित्यक शुरुआती आहटें ऐसी नहीं सुनाईं पड़तीं ( जहां मुक्तिबोध , रामविलास जी , और अन्य अग्रणी आलोचक साहित्य की प्रतिवर्ती क्रिया के रूप में आलोचना के क्षितिज को विस्तार भी दे रहे थे और आकार भी ) .
  7. बहुत तेजी से हस्तमैथुन करने से , क्योंकि यह डर बना रहता है कि कोई पकड़ न ले, स्खलनीय प्रतिवर्ती क्रिया का असली मकसद ही खारिज हो जाता है, और उसके स्थान पर बहुत जल्द चरम स्थिति (ओर्गैसम) तक पहुंचने की आवश्यकता सर्वोपरि महत्व धारण कर लेती है।
  8. धीरे-धीरे यह वाक्यांश उसका तकिया कलाम बन जाता है जो प्रत्येक व्यक्ति के हस्ताक्षर की भांति एक दूसरे से भिन्न होता है , किंतु वैसे आशीर्वाद हृदय से निकली कल्याणवाणी होती है, किन्तु औचारिकताओं के चलते यह कल्याणवाणीशब्द पलक झपकने जैसी सहज प्रतिवर्ती क्रिया मात्र बनकर रह गए हैं।
  9. बहुत तेजी से हस्तमैथुन करने से , क्योंकि यह डर बना रहता है कि कोई पकड़ न ले , स्खलनीय प्रतिवर्ती क्रिया का असली मकसद ही खारिज हो जाता है , और उसके स्थान पर बहुत जल्द चरम स्थिति ( ओर्गैसम ) तक पहुंचने की आवश्यकता सर्वोपरि महत्व धारण कर लेती है।
  10. ഊस्खलनीय प्रतिवर्ती क्रिया में मूत्रमार्ग , प्रोस्टेट ग्रंथि और शुक्राशय के चारों ओर स्थित और शिश्न के आधार पर स्थित मांसपेशियों का लयात्मक संकुचन होता है , और अन्य कई स्नायुगत संवेदनाएं शामिल होती हैं , जो शिश्न के आकार को बढ़ाती हैं और मूत्रमार्ग से वीर्य के निष्कासन में परिणत होती हैं।
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