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प्रगल्भा meaning in Hindi

pronunciation: [ pergalebhaa ]
प्रगल्भा meaning in English

Examples

  1. गंधर्वी के अंतर्गत , अर्थात् साढ़े दस से साढ़े चौबीस वर्ष तक की अवस्था के बीच में, मुग्धा, मध्या तथा प्रगल्भा के 13 प्रभेदों में से प्रत्येक की आयुसीमा निर्धारित की गई है।
  2. विदिशा की वेत्रवती किशोरी होते हुए भी प्रगल्भा है . मेघ झपट कर उसके स्वादिष्ट मुख का पान करता है और उसकी भौंहें चंचल हो करलीला-भंगिमा करने लगती है निविंध्या विरहकातर प्रोषितपतिका है और उसका रूप तीरके झरे पीले पातों के कारण और पांडुरवर्णी हो उठा है.
  3. नायक के प्रति जिस नायिका का व्यवहार सलज्ज और संकोचशील होता है उसे मुग्धा कहते हैं और उत्तरोत्तर बढ़ती घनिष्ठता से जब यह संकोच और लज्जा कमतर होने लगती है तो वह मध्या बन जाती है और पूर्णयौवना नायिका जब नायक के साथ निःसंकोच व्यवहार करने लगती है तो वह प्रगल्भा बन जाती है !
  4. pmलीजिये अरविन्दजी आपके सौजन्य से ही सही एक शैर तमाम ' अनामिकाओं '(कनिष्ठा न समझा जाए इसे प्रौढा/प्रगल्भा समझा जाए ,मुग्धाभी नहीं ,खुलकर सिर्फ प्रगल्भा खेलती है ,होली ) समझा बूझा जाए :उनसे छींके से कोई चीज़ उतरवाई है ,'काम का काम, अंगडाई की अंगडाई है .प्रत्युत्तर देंहटाएंतू सवेरा ज़ुदा है माँ26 फरवरी 2012 8:24
  5. नायक के प्रति जिस नायिका का व्यवहार सलज्ज और संकोचशील होता है उसे मुग्धा कहते हैं और उत्तरोत्तर बढ़ती घनिष्ठता से जब यह संकोच और लज्जा कमतर होने लगती है तो वह मध्या बन जाती है और पूर्णयौवना नायिका जब नायक के साथ निःसंकोच व्यवहार करने लगती है तो वह प्रगल्भा बन जाती है !
  6. सोलह नायिकाओं के उपरान्त कतिपय उपभेदों की भी चर्चा कर ली जा य . व ैसे ये उपभेद तो मुख्य रूप से वर्णित सोलह नायिकाओ की मनस्थिति और उनकी दशा में तनिक विचलन की ही प्रतीति हैं ! अब जैसे शील -संकोच और सलज्जता के लिहाज से नायिकाओं के तीन उपभेद हैं - मुग्धा , मध्या और प्रगल्भा !
  7. नायक के प्रति जिस नायिका का व्यवहार सलज्ज और संकोचशील होता है उसे मुग्धा कहते हैं और उत्तरोत्तर बढ़ती घनिष्ठता से जब यह संकोच और लज्जा कमतर होने लगती है तो वह मध्या बन जाती है और पूर्णयौवना नायिका जब नायक के साथ निःसंकोच व्यवहार करने लगती है तो वह प्रगल्भा बन जाती है ! बहुत अच्छी लगी यह जानकारी.....
  8. “तो क्या राधा प्रगल्भा नहीं हैं ? ” ओह यूँ तो सोचा ही नही..! समहिता जाने कैसे खुश रह पाती हैं..? “स्वाधीनवल्लभा” तो मुझे मेरे गाँव की दादियाँ लगती हैं..सच्ची..! एक बेहतरीन प्रस्तुति..निश्चित ही...काफी कुछ सीखा..देखता हूँ कहाँ-कब काम आता है...! ठीक ही किया नायक-भेद अब करेंगे..! परस्पर भेदों की तुलना भी कीजिएगा , रोचक होगी...! नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें...!
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