पुनरुक्त meaning in Hindi
pronunciation: [ puneruket ]
Examples
- इसी प्रकार निम्नलिखत हिन्दी कविता के प्रथम चरण में विषाण और दूसरे चरण में पुनः शृंग पद का प्रयोग पुनरुक्त दोष का ही उदाहरण है-
- इसी प्रकार निम्नलिखत हिन्दी कविता के प्रथम चरण में विषाण और दूसरे चरण में पुनः शृंग पद का प्रयोग पुनरुक्त दोष का ही उदाहरण है-
- गीता हो , कुरान हो , या बाइबिल हो ; मुहम्मद , कृष्ण , महावीर हों , वे प्यारे लोग हैं , लेकिन पुनरुक्त करने योग्य नहीं।
- इसके बाईस भेद हैं- प्रतिज्ञाहानि , प्रतिज्ञांतर, प्रतिज्ञाविरोध, प्रतिज्ञासंन्यास, हेत्वंतर, अर्थांतर, निरर्थक, अविज्ञातार्थ, अपार्थक, अप्राप्तकाल, न्यून, अधिक, पुनरुक्त, अननुभाषण, अज्ञान, अप्रतिभा, विक्षेप, मतानुज्ञा, पर्यनुयोज्योपेक्षण, निरनुयोज्यानुयोग, अपसिद्धांत और हेत्वाभास।
- लेकिन कब जागोगे ? कितनी बार यह पुनरुक्त हुआ है कि जब - जब तुमने सुख चाहा , तब - तब दुख पाया इससे अपवाद कभी हुआ ही नहीं।
- इस श्लोक के पहले वाले श्लोक में अर्जुन , अर्जुन, भवद्भिः (आपलोगों के द्वारा) कहने के बाद पुनः सभीमकिरीटिनाम् पद में पुनः अर्जुन के लिए किरीटि पद का प्रयोग पुनरुक्त दोष है।
- काव्य में जहाँ पर शब्दों का प्रयोग इस प्रकार हो कि वे पर्याय या पुनरुक्त न होने पर भी पर्याय प्रतीत हों पर अर्थ अन्य दें , वहाँ पुनरुक्तवदाभास अलंकार होता है .
- इस श्लोक के पहले वाले श्लोक में अर्जुन , अर्जुन , भवद्भिः ( आपलोगों के द्वारा ) कहने के बाद पुनः सभीमकिरीटिनाम् पद में पुनः अर्जुन के लिए किरीटि पद का प्रयोग पुनरुक्त दोष है।
- एक झेन फकीर ने अपना पहला प्रवचन दिया , और फिर दूसरे सप्ताह भी उसने वही प्रवचन दिया , और फिर तीसरे सप्ताह भी उसने उसी प्रवचन को पुनरुक्त किया , ज्यों का त्यों दोहरा दिया।
- चार्वाकपंथियों के मतानुसार स्वयं को वेदज्ञ कहने - समझने वाले धूर्त बगुला - भगतों ने आपस में ही वेदों को अनृत ( झूठा ) , व्याघातपूर्ण ( परस्पर विरोधी ) तथा पुनरुक्त ( दुहराव ) दोषों से प्रदूषित किया है .