निरभिमान meaning in Hindi
pronunciation: [ nirebhimaan ]
Examples
- टाइम्स आफ़ इंडिया समूह की संपादक का पद देने की पेशकश सीधे सादे सरल चित्त निरभिमान पत्रकार के लिए सुनहरी मौका थी - मुंबई से हिंदी फ़िल्म पत्रिका माधुरी आरंभ करना।
- 6 तुम हाथीदाँत की नहीं बनी हो आबनूस की भी नहीं , बल्कि लोहे की! लाजवाब! लाजवाब! लाजवाब! तुम निरभिमान! 7 तुम अदृश्य नहीं तुम अनंत नहीं ! तुम सात मीटर ऊँची हो।
- शेरदा लांगरी इसी समाज का ज़िंदा दिल इंसान है जिसके कलेजे में जीने की चाह भी है निरभिमान भी वह सिद्ध होता है आखिर में एक सन्देश भी आपकी हर कथा छोड़ जाती है : वक्त किसी का इंतज़ार नहीं करता।
- आप अपना हित चाहते हो कि अहित चाहते हो ? कल्याण चाहते हो कि पतन चाहते हो ? अगर आप कल्याण चाहते हो तो कल्याण आपका निरभिमान होनेसे है और निरभिमान आप तभी होंगे , जब आपका कहना कोई नहीं मानेगा ।
- आप अपना हित चाहते हो कि अहित चाहते हो ? कल्याण चाहते हो कि पतन चाहते हो ? अगर आप कल्याण चाहते हो तो कल्याण आपका निरभिमान होनेसे है और निरभिमान आप तभी होंगे , जब आपका कहना कोई नहीं मानेगा ।
- प्रसन्नमुख , धैर्य , निरभिमान और गम्भीरतादि गुणों को धारण करके क्रोध , चपलता , अभिमान और तुच्छादि दोषों से दूर रहकर अपने वा किसी के सत्य वाक्य का खण्डन और अपने अथवा किसी के असत्य का मण्डन कभी न करें और सर्वदा सत्य का ग्रहण करते रहें ।
- प्रसन्नमुख , धैर्य , निरभिमान और गम्भीरतादि गुणों को धारण करके क्रोध , चपलता , अभिमान और तुच्छादि दोषों से दूर रहकर अपने वा किसी के सत्य वाक्य का खण्डन और अपने अथवा किसी के असत्य का मण्डन कभी न करें और सर्वदा सत्य का ग्रहण करते रहें ।
- इतिहास अगर मनुष्य की प्रकृति पर विजय , स्वाभिमान , बहुत हद तक उसके अहंकार ` और वर्चस्ववाद का प्रतीक है तो भूगोल और खगोलशास्त्र किसी निश्चित-अनिश्चित - संभावित अस्तित्व के सापेक्ष मनुष्य की क्षुद्रता , क्षणभंगुरता का द्योतक है और उसमें बालसुलभ कौतूहल , निरभिमान और एक हद तक वैराग्य का भाव भरने वाला कारक भी।
- इतिहास अगर मनुष्य की प्रकृति पर विजय , स्वाभिमान , बहुत हद तक उसके अहंकार ` और वर्चस्ववाद का प्रतीक है तो भूगोल और खगोलशास्त्र किसी निश्चित-अनिश्चित - संभावित अस्तित्व के सापेक्ष मनुष्य की क्षुद्रता , क्षणभंगुरता का द्योतक है और उसमें बालसुलभ कौतूहल , निरभिमान और एक हद तक वैराग्य का भाव भरने वाला कारक भी।
- तुम्हारी मदार के फूलों-जैसी निरभिमान सोंधी मिट्टी-जैसी ॠतुगंधा नीम की छाया-जैसी शीतल बरगद की जटाओं-जैसी धरतीपकड़ बस्ती सरीखी डाल से सेमल की रूई की तरह उखड़कर भूख , प्यास , पैसे की नई कसबिन हवाओं के साथ मैं उड़ा तो उड़ता ही रहा पर तुम बिसरे कहाँ , मेरे गाँव ! आदरणीय संतलाल जी , सादर अभिवादन , जितनी प्रशंसा की जाए कम है अति सुन्दर रचना के लिए बधाई |