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नामो-निशाँ meaning in Hindi

pronunciation: [ naamo-nishaan ]
नामो-निशाँ meaning in English

Examples

  1. “ यूनान मिस्र रोमा सब मिट गए जहां से , अब तक मगर है बाकी नामो-निशाँ हमारा | कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी , सदियों रहा है दुश्मन , दौरे जहां हमारा || ” ..... कुछ तो बात है ...
  2. जानवर जब इंसान की जान की कीमत इतनी सस्ती हो , तब उस जानवर की क्या बिसात...बेचारा बेजुबान अपना दुखड़ा रोये भी तो किससेउसे तो सिर्फ प्यार और सहारे की आस थी और चाहिए था सर छुपाने के लिए जंगल पर इंसानी लालच और भूख ने उसे कहीं का न छोड़ाबना दिया दरिंदगी का शिकार और ख़त्म कर दिया उसका नामो-निशाँ
  3. जाने-जहाँ हमारा ग़ज़लः वो ही चला मिटाने नामो-निशाँ हमारा जो आज तक रहा था जाने-जहाँ हमारा दुशमन से जा मिला है अब बागबाँ हमारा सैयाद बन गया है लो राज़दाँ हमारा ज़ालिम के ज़ुल्म का भी किससे गिला करें हम कोई तो एक आकर सुनता बयाँ हमारा हर बार क्यों नज़र है बर्क़े-तपाँ की उसपर हर बार [ ...] ग़ज़ल ग़ज़लः
  4. बच्चों में जहाँ फ्लोराइड की वजह से विषम अपंगता व आंशिक रुग्नता देखने को मिल रही है , वहीं गांव के विवाहितों ने अपनी प्रजनन व कामशक्ति खो दी है गांव के रामनरेश,कैलाश आदि बताते हैं 'अब कोई भी अपने लड़के-लड़कियों की शादी हमारे गांव में नहीं करना चाहता, देखियेगा एक दिन हमरे गांव टोलों का नामो-निशाँ मिट जाएगा|' महिलाओं में फ्लोराइड का विष कहर बरपा रहा है।
  5. सब से पहले मुझे अल्लामा इक़्बाल का ये पंक्तियाँ पेश करने दें यूनानो-मिस्रो-रोमा सब मिट गए जहाँ से बाक़ी मगर है अब तक नामो-निशाँ हमारा कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी सदियों रहा है दुश्मन दौरे-जहाँ हमारा सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ताँ हमारा इंडिया जो कि भारत है सिर्फ़ एक देश नहीं , इसका हज़ारों साल का अपना इतिहास है , अपनी संस्कृति है जबकि पाकिस्तान एक नवजात शिशु है सिर्फ़ 63 साल का .
  6. सीने में उठते बवंडर की हर लहर कहाँ साहिल पाती वरना शोर के सिवा न कुछ शेष रहे बीच भँवर में दम तोड़ती घुलती कच्चे घड़े की तरह नामो-निशाँ भी न शेष रहे मोहन-जोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई में मिले आदमी की सभ्यता के अवशेष रहे जब जमीं न हो क़दमों तले उल्टे लटके हों , नजर के सामने मगर आसमाँ शेष रहे सामाँ तो बंधा सबका है युग के सीने पर आदमी के हस्ताक्षर सनद शेष रहे
  7. सनद शेष रहे ( नए साल का स्वागत है ) सीने में उठते बवंडर की हर लहर कहाँ साहिल पाती वरना शोर के सिवा न कुछ शेष रहे बीच भँवर में दम तोड़ती घुलती कच्चे घड़े की तरह नामो-निशाँ भी न शेष रहे मोहन-जोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई में मिले आदमी की सभ्यता के अवशेष रहे जब जमीं न हो क़दमों तले उल्टे लटके हों , नजर के सामने मगर आसमाँ शेष रहे सामाँ तो बंधा सबका है युग के सीने पर आदमी के हस्ताक्षर सनद शेष रहे
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