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द्विजाति meaning in Hindi

pronunciation: [ devijaati ]
द्विजाति meaning in English

Examples

  1. 10 ) शूद्र द्वारा अहंकारवश मार डालने के उद्देश्य से द्विजाति के किसी व्यक्ति के केशों , पैरों , दाढ़ी , गर्दन तथा अंडकोष पकड़ने वाले हाथों को बिना सोचे-समझे ही कटवा डालना चाहिए।
  2. इस व्यवस्था में चूंकि वैश्यों अर्थात् पूंजीपतियों का , जिन्हें व्यापार करने और ब्याज लेने की छूट है, धन ब्राह्मणों और क्षत्रिायों की आवश्यकतानुसार खर्च होता है, इसलिए वे भी द्विजाति संगठन में रखे गये हैं।
  3. ' पहले द्विजाति लोग एक ही थे , कारण कि तृतीय अर्थात वैश्य वर्ग में से वे ही क्षत्रिय और ब्राह्मण ( पुरोहित ) हो जाते थे जो अपनी सामाजिक अवस्था में उन्नति कर लेते थे।
  4. इस व्यवस्था में चूंकि वैश्यों अर्थात् पूंजीपतियों का , जिन्हें व्यापार करने और ब्याज लेने की छूट है , धन ब्राह्मणों और क्षत्रिायों की आवश्यकतानुसार खर्च होता है , इसलिए वे भी द्विजाति संगठन में रखे गये हैं।
  5. ब्राहमणों ने कहा इस समय सिर्फ ब्राहमण ही द्विजाति हे और कोई भी क्षत्री जाती वास्तविक नहीं हे अपनी समाज के इस मंतव्य पर गनगा भट्ट अपना आप खो बता और उसने एक अनुष्टान को छोड़ दिया ।
  6. सुंदर कांड ( 30 / 18,20 ) में जब हनुमान अशोक वाटिका में राक्षसियों के बीच में बैठी हुई सीता को अपना परिचय देने से पहले हनुमान जी सोचते हैं “ यदि द्विजाति ( ब्राह्मण-क्षत्रिय-वैश्य ) के समान परिमार्जित संस्कृत भाषा का प्रयोग करूँगा तो सीता मुझे रावण समझकर भय से संत्रस्त हो जाएगी।
  7. इस पर कालूराम शास्त्री के वचन में थोडी नर्माई आयी लेकिन फिर भी पाराशर स्मृति का एक श्लोक उद्धृत करना नहीं भूले जिसका अर्थ था - “ चाण्डाल के घट का जल यदि कोई द्विजाति भूलकर पी ले तो फौरन कै कर देना चाहिये कै करके समस्त जल को निकाल दे तथा फिर प्राजापत्य उपवास करे यदि उस जल को उसी समय न निकाल दिया जाये तो फिर कृच्छ सांतपन करना चाहिये . ..
  8. यद्यपि अब उनके किसी अंग में कोई सामर्थ्य नहीं रही अतः इनसे किसी प्रकार की ऊपरी सहायता मिलना असंभव सा है पर हमें उचित है कि इनसे डरें इनका सम्मान करे और इनके थोड़े से बचे खुचे जीवन को गनीमत जानें क्योंकि इन्होंने अपने बाल्यकाल में विद्या के नाते चाहे काला अक्षर भी न सीखा हो युवावस्था में चाहे एक पैसा भी न कमाया हो तथापि संसार की ऊंच नीच का इन्हें हमारी अपेक्षा बहुत अधिक अनुभव है इसी से शास्त्र की आज्ञा है कि वयोधिक शूद्र भी द्विजाति के लिए माननीय है ।
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