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जगजननी meaning in Hindi

pronunciation: [ jegajenni ]
जगजननी meaning in English

Examples

  1. यहीं भगवान शिव की आज्ञा से महायोगी गुरु गोरखनाथ ने सर्वप्रथम देवी की पूजा-अर्चना के लिए एक मठ का निर्माण कराकर स्वयं लम्बे समय तक जगजननी की पूजा करते हुए साधनारत रहे।
  2. रामायण में एक कथा प्रसिद्ध है- श्री हनुमान जी ने जगजननी श्री सीता जी के मांग में सिंदूर लगा देखकर आश्चर्यपूर्वक पूछा- माता ! आपने यह लाल द्रव्य मस्तक पर क्यों लगाया है ?
  3. मत भूलो रचनाकार प्रथम श्री रामचरित रामायण के , थे महापुरुष श्री बाल्मीकि ऋषि , ज्ञानमूर्ति , रामायण के हो शूद्र कुलोदभव , फिर भी जगजननी को पुत्री सा समझा उनके वंशज अपमानित कर , क्यों लोग मनाते दीवाली ?
  4. ठीक इसी प्रकार जब मुझे तुम्हारा स्वरुप जगजननी वाला बनाना था , उसका समय आ गया ,तुम्हे कुछ विशेष करने की आवश्यकता पड़ेगी ही नहीं ! जिस प्रकार गति से चल रही गाड़ी को धक्का मारने की आवश्यकता नहीं होती!
  5. लोक मान्यता है कि वर्ष १९४० से पूर्व यह क्षेत्र भयंकर जंगलों से भरा पड़ा था , सर्वप्रथम जंगलात विभाग के तत्कालीन कर्मचारियों तथा स्थानीय छुट-पुट निवासियों द्वारा टीले पर मूर्तियों को देखा और उन्हें माता जगजननी की इस स्थान पर उपस्थिति का एहसास हुआ।
  6. शेखर कुमावत माँ ऐसा वरदान दिजो माँ ऐसा वरदान दिजो , जो नित करूँ सेवा तेरी | तन मन धन सब अर्पित करूँ, चरणों मे तेरी || हो सबकी इच्छा पूरी ,करूँ हाथ जोड़ ये विनती | माँ जगजननी कृपा करो, आया मै शरण तेरी ||
  7. लोक मान्यता है कि वर्ष १ ९ ४ ० से पूर्व यह क्षेत्र भयंकर जंगलों से भरा पड़ा था , सर्वप्रथम जंगलात विभाग के तत्कालीन कर्मचारियों तथा स्थानीय छुट-पुट निवासियों द्वारा टीले पर मूर्तियों को देखा और उन्हें माता जगजननी की इस स्थान पर उपस्थिति का एहसास हुआ।
  8. उक्त प्रमुख मंदिर का निर्माण मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ की महारानी वृषभानुकुमारी ने संतान प्राप्ति की मन्नत पूरी होने पर , उसी जगह कराया , जहां जगजननी जानकी की प्रेरणा से उनकी ही एक प्रतिमा तीर्थराज प्रयाग के साधु सुरकिशोर दास जी ने एक पेड़ की जड़ में पाई।
  9. का बल विश्वास बढ़ाती हो दुष्टो पर बल से विजय प्राप्त करने का पाठ पढ़ाती हो हे जगजननी , रणचण्डी , रण में शत्रुनाशिनी माँ दुर्गे जग के कण कण में महाशक्ति कीव्याप्त अमर तुम चिनगारी ढ़१ड़ निस्चय की निर्भय प्रतिमा , जिससे डरते अत्याचारी हे शक्ति स्वरूपा , विश्ववन्द्य , कालिका , मानिनि माँ दुर्गे तुम परब्रम्ह की परम ज्योति , दुष्टो से जग की त्राता हो पर
  10. मधु और कैटभ के नाश के लिये ब्रह्मा जी के प्रार्थना करने पर देवी जगजननी ने महाविद्या काली फाल्गुन शुक्ला द्वादशी को त्रैलोक्य-मोहिनी शक्ति के रूप में प्रकट होती हैं तदनन्तर महामाया भगवान श्रीहरि के नेत्र , मुख , नासिका और बाहु आदि से निकल कर ब्रह्मा जी के सामने आ जाती हैं और तभी भगवान विष्णु भी योगनिद्रा से जग जाते हैं तथा अपने समक्ष विशाल दानव रूप मधु और कैटभ को देखते हैं व दोनों महादैत्यों के साथ युद्ध करते हैं .
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