केन्द्रीय शक्ति meaning in Hindi
pronunciation: [ kenedriy shekti ]
Examples
- दादू के रूपकों में गहरा अनुभव जीवन और जगत की सारवानता बड़े सहज और आकर्षक बनकर आती हैं जीव के साधारण उपकरणों प्राणियों क्रिया-कलापों द्वारा सशक्त जीवन दर्शन की अभिव्यक्ति इनकी केन्द्रीय शक्ति है।
- वहाँ न राज्य सरकार नाम की कोई संवैधानिक संस्था बची है , न किसी संवैधानिक व्यवस्था के भीतर काम करने वाली पुलिस बची है और न अंपायर की हैसियत रखने वाली कोई केन्द्रीय शक्ति बची है।
- नित्शे , गेटे के बाद वाली पीढ़ी का दार्शनिक साहित्यकार था , जिसने जर्मनी में एक जबरदस्त राज्य और केन्द्रीय शक्ति का समर्थन किया और हर प्रकार के नैतिक सिद्धान्त अहिंसा और समानता को अस्वीकार किया।
- इस अवस्था में एक ऐसी केन्द्रीय शक्ति की भारत में बड़ी आवश्यकता थी , जो सारे देश के ऊपर एक समान शासन कायम कर सके और देश की बिखरी हुई शक्तियों को एक सूत्र में गांठ सके।
- इस अवस्था में एक ऐसी केन्द्रीय शक्ति की भारत में बड़ी आवश्यकता थी , जो सारे देश के ऊपर एक समान शासन कायम कर सके और देश की बिखरी हुई शक्तियों को एक सूत्र में गांठ सके।
- तक ) तक शासन किया और उनकी अनेक उपलब्धियाँ रहीं जिससे इनकार नहीं किया जा सकता ; तथापि धीरे धीरे केन्द्रीय शक्ति के अभाव में यह पूरा क्षेत्र अनेक नाग-शासकों / सरदारो व शक्तिशाली सामंतो नें हथिया लिया।
- संयोजक सत्ता की प्रबलता होने पर मौर्य , गुप्त , वर्धन आदि साम्राज्य सुगठित हुए , परन्तु जब विभाजक सत्ता का प्रादुर्भाव हुआ , तो केन्द्रीय शक्ति के खण्ड-खण्ड हो गए और देश छोटे-छोटे टुकड़ों में बँट गया।
- मिस्टर पटनायक शची का परिचय करवा रहें थे . ..“ये हमारी संस्था की केन्द्रीय शक्ति हैं..इसीलिए मैडम के.एस. कहता हूँ. इनके बल-बूते पर ही चल रही है यह संस्था...वगैरह वगैरह”...पर उनकी बातें सुनने को होश किसे था?.जब उसे बीच की कुर्सी पर बैठने का संकेत किया, तब वह चौंका .शची किनारे ही बैठी रही.
- अपहरण ] हत्या राहजनी ] निरर्थक बातों के लिए खून -खराबा ] बेरोजगारी ] बेरोजगारों का राजनीति में आपराधिक उपयोग आदि को जिन लोगों ने बिहार में बढ़ावा दिया -उन्हें भारत के केन्द्रीय पुरुष और केन्द्रीय शक्ति ने गत वर्षों तक खुली छूट दे रखी थी - निश्चय ही इसका कोई गम्भीर अर्थ रहा होगा।
- जहां तक कर्म-कांड व पूजा के तरीकों का प्रश्न है , मैं बहुत विस्तार में ना जाकर मैं तुमको ये बताना चाहूंगी कि जिस काल में कोई केन्द्रीय शक्ति या प्रचार प्रसार के माध्यम नहीं थे , लोगों ने अपनी अपनी सोच व सुविधा के अनुसार परम्पराएं बना दी ओर कालान्तर में इनमें अन्धविश्वास व अनावश्यक आस्थाएं पैदा होती गयी .