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कुमार्गी meaning in Hindi

pronunciation: [ kumaaregai ]
कुमार्गी meaning in English

Examples

  1. तथागत का चौथा तर्क था कि “ यदि ईश्वर कल्याण-स्वरुप है तो आदमी हत्यारे , चोर , व्यभिचारी , झूठे , चुगलखोर , लोभी , द्धेषी , बकवादी और कुमार्गी क्यों हो जाते हैं ?
  2. ऐसा आशीर्वाद सुनकर शिष्यों से रहा नहीं गया और वे बोले कि स्वामीजी जिस गांव के अधर्मी और कुमार्गी लोगों हमारा घोर निरादर किया उन्हें आपने आबाद रहने और उनके गांव में रहने का आशीर्वाद दिया।
  3. उन युवकों , व्यक्तियों व अपराधियों के प्रति दया भी मन में पनपती है जो कुमार्गी होकर दूसरों का जीवन तो नष्ट करते ही हैं अपना व अपने परिवार का जीवन भी नष्ट कर लेते हैं।
  4. उत्तर मिलता - ” हम तो सदैव के कुमार्गी हैं , अर्थात् सांसारिक मार्ग का अनुसरण न करते हुये गृहस्थ व वानप्रस्थ आश्रमों के मार्ग से न जाकर सीधा मार्ग संन्यास का पकड़ कर ही विचर रहे हैं।
  5. ये कुमार्गी महिलायें बेहद कुंठित और त्रस्त है अपने जीवन से और अपनी काली कमाई का तीन चौथाई हिस्सा भोग विलास पर ही खर्च करती है और इनके कारण कितने ही पुरुष अपने जीवन से हाथ धो बैठे है .
  6. दशहरा आदि धार्मिक पर्वों पर गेरुआ पहन कर धन कमाने हेतु बाबा बने ) बाबाओं ने कृपा शब्द का बेहद गलत प्रयोग करते हुये लालची और वासनाओं की गन्दगी में बिजबिजाते कीङे के समान कुमार्गी मनुष्य को और भी पथ भृष्ट कर दिया है ।
  7. कई बार केवल कुमार्गी होकर ही नहीं बल्कि मजबूरी के बोझ तले भी ऐसे अपराध होने की रूपरेखा तैयार होती है ( मै यहाँ इसका समर्थन बिलकुल नहीं कर रही हूँ ) , साथ ही गरीबी और अशिक्षा भी इसकी एक मुख्य वजह हैं ....
  8. ध्दाद्श भाव - > राहू पूर्ण द्रष्टि से ध्दाद्श भाव को देखता है , तो जातक को शत्रुनाशक , कुमार्गी एवं गलत धन खर्च करने वाला एवं दरिद्री बनाता है ! विशेष - > राहू कुंडली में लग्न श्थान पर कर्क अथवा व्रश्चिक राशी का हो , तो जातक सिध्दी प्राप्त कर ख्याति प्राप्त करता है !
  9. ध्दाद्श भाव - > राहू पूर्ण द्रष्टि से ध्दाद्श भाव को देखता है , तो जातक को शत्रुनाशक , कुमार्गी एवं गलत धन खर्च करने वाला एवं दरिद्री बनाता है ! विशेष - > राहू कुंडली में लग्न श्थान पर कर्क अथवा व्रश्चिक राशी का हो , तो जातक सिध्दी प्राप्त कर ख्याति प्राप्त करता है !
  10. इनके चिंतन का सारतत्व यही है कि सारे राष्ट्र के सभी पुरुष कुमार्गी हो जाएँ , पर एक भी स्त्री सच्चरित्र बची रहे तो एक नया ओजस्वी राष्ट्र हम पुनः बना लेंगे , पर एक भी स्त्री पूतना या ताड़का बनी और उसका उन्मूलन नहीं हुवा तो श्रेष्ठताओं का राष्ट्र भी धूल में जा मिल सकता है।
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