कल-कल ध्वनि meaning in Hindi
pronunciation: [ kel-kel dhevni ]
Examples
- लाती सम्मुख जीवन के जब परिवर्तन की नाव तृष्णा के वंध्या आँचल में मृगमरीचिका का विस्तार जहाँ मचलती थी हरियाली आज पड़ा है वहॉ झुलसता अंगारों-सा रेत अम्बार मृग-शावक आते होंगे कल-कल ध्वनि से हो आकर्षित लगती होंगी जहाँ सभाएँ वन्य जन्तुओं की प्रत्याशित पर अब सब गायब हैं जल जीवन की खोज में वयोवृध्दा सी लगतीं वादियाँ कभी जो दिखती होंगी यौवन भरी शरारत सी।
- लाती सम्मुख जीवन के जब परिवर्तन की नाव तृष्णा के वंध्या आँचल में मृगमरीचिका का विस्तार जहाँ मचलती थी हरियाली आज पड़ा है वहॉ झुलसता अंगारों-सा रेत अम्बार मृग-शावक आते होंगे कल-कल ध्वनि से हो आकर्षित लगती होंगी जहाँ सभाएँ वन्य जन्तुओं की प्रत्याशित पर अब सब गायब हैं जल जीवन की खोज में वयोवृध्दा सी लगतीं वादियाँ कभी जो दिखती होंगी यौवन भरी शरारत सी।
- कभी सामने की दूर तक स्लोप में फैली पहाडियों के ऊपर विखरी कुहरे की एक सफ़ेद चादर और उनपर पड़ती भोर की पहली किरणों की एक पीली छटा को शून्य में निहारते हुए और फिर कभी नीचे तलहटी में कल-कल ध्वनि से बहती नदी को टकटकी लगाकर देखते हुए प्रोफेसर काला उस एकदम खामोश वातावरण की शांति को जब-तब अपने गले से निकलने वाली खांसी की कर्कस ध्वनी से बाधित कर देते थे।
- कभी सामने की दूर तक स्लोप में फैली पहाडियों के ऊपर विखरी कुहरे की एक सफ़ेद चादर और उनपर पड़ती भोर की पहली किरणों की एक पीली छटा को शून्य में निहारते हुए और फिर कभी नीचे तलहटी में कल-कल ध्वनि से बहती नदी को टकटकी लगाकर देखते हुए प्रोफेसर काला उस एकदम खामोश वातावरण की शांति को जब-तब अपने गले से निकलने वाली खांसी की कर्कस ध्वनी से बाधित कर देते थे।
- उस स्वप्न की ओर जहाँ शीतल जल के दर्पण में मेघों का आलिंगन हो बहती धारा की कल-कल ध्वनि में माधुर्यता का पदार्पण हो प्रकृति के प्रेम रस में सुधा संगीत का गूँज हो वायु का लतिका पर स्पर्श मृदुल झंकार कर रहा हो घटाओं का यों आना भी सहस्त्रों मृदंगों का नाद करे आकाश की बूँद गिर कर अमृत को भी गौण कर दे ऐसे वातावरण में मेरा विराग चित्त चकोर को ढूँढें मुझे ऐ मेरे मन तू ले चल उस स्वप्न की ओर।
- अनयास आज मुझे जो पावन अवसर मिला है , उसे मैं कदापि खोना नहीं चाहता, भले ही आप इसे मेरी घृष्टता ही क्यों न समझें ? पावन सलिला महानदी के अजस्रधारा की कल-कल ध्वनि से ताल मिलाते हुए अपनी उन्मुक्त ठहाकों से सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ अंचल को गुंजायमान करने वाले विराट व्यक्तित्व के कुबेर किन्तु फकीर संत पवन दीवान से छत्तीसगढ़ का ऐसा कौन हतभाग्य व्यक्ति होगा जो परिचित न हो ? दीवान जी का जन्म १.१.४५ को छत्तीसगढ़ का प्रयाग राजिम के पास स्थित ग्राम किरवई के प्रतिष्ठित ब्राम्हण परिवार में हुआ था।