कपिला गाय meaning in Hindi
pronunciation: [ kepilaa gaaay ]
Examples
- दान योग्य वस्तुएं : लहसुनिया , लोहा , बकरा , नारियल , तिल , सप्तधान्य धूम ( धूएं जैसा ) वर्ण का वस्त्र , कस्तूरी , लौह चाकू , कपिला गाय , दक्षिणा सहित।
- दान योग्य वस्तुएं : लहसुनिया , लोहा , बकरा , नारियल , तिल , सप्तधान्य धूम ( धूएं जैसा ) वर्ण का वस्त्र , कस्तूरी , लौह चाकू , कपिला गाय , दक्षिणा सहित।
- माघ पूर्णिमा को बारह बजे रात में कपिला गाय के दूध में चावल की खीर बनाकर उसमें एक चुटकी दवा डाल लें और चांदनी रात में तीन घंटे रखकर मरीज को खिलाएं श्वास रोग के लिए अत्यंत लाभकारी है।
- किसी युवा व्यक्ति को केतु कपिला गाय , दुरंगा , कंबल , लहसुनिया , लोहा , तिल , तेल , सप्तधान्य शस्त्र , बकरा , नारियल , उड़द आदि का दान करने से केतु ग्रह की शांति होती है।
- केतु : इसके अशुभ प्रभाव में होने पर मूत्र एवं किडनी संबंधी रोग होवे, जोड़ों का रोग उभरे, संतान को पीड़ा होवे तब अपने खाने में से कुत्ते को हिस्सा देवें, तिल व कपिला गाय दान में दें, कान छिदवायें व श्री विघ्नविनायक की आराधना करें ।
- इसके अतिरिक्त यदि आपको व्ययाधिक्य के कारण किन्ही आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड रहा हो , तो उसकी निवृति के लिए प्रत्येक रविवार के दिन श्रीलक्ष्मीनारायण अथवा श्री रामदरबार मन्दिर में जाकर भगवान को दण्डवत प्रणाम करें एवं बुधवार के दिन कपिला गाय को चारा खिलाते रहें.
- केतु : इसके अशुभ प्रभाव में होने पर मूत्र एवं किडनी संबंधी रोग होवे , जोड़ों का रोग उभरे , संतान को पीड़ा होवे तब अपने खाने में से कुत्ते को हिस्सा देवें , तिल व कपिला गाय दान में दें , कान छिदवायें व श्री विघ्नविनायक की आराधना करें ।
- सूर्य ग्रह के दुष्प्रभाव से बचने के लिये अपने बजन के बराबर के गेंहूं , लाल और पीले मिले हुए रंग के वस्त्र , लाल मिठाई , सोने के रबे , कपिला गाय , गुड और तांबा धातु , श्रद्धा पूर्वक किसी गरीब ब्राहमण को बुलाकर विधि विधान से संकल्प पूर्वक दान करना चाहिये .
- सूर्य ग्रह के दुष्प्रभाव से बचने के लिये अपने बजन के बराबर के गेंहूं , लाल और पीले मिले हुए रंग के वस्त्र , लाल मिठाई , सोने के रबे , कपिला गाय , गुड और तांबा धातु , श्रद्धा पूर्वक किसी गरीब ब्राहमण को बुलाकर विधि विधान से संकल्प पूर्वक दान करना चाहिये .
- 5 . गौ सेवा से गोदान का फल '' बृहत्पराषर स्मृति '' घोषणा करती है कि '' गाय की पीठ पर हाथ फेर दिया , बढ़िया से उसको खुजोरा कर दिया , उसको मक्खी -मच्छर से बचाने के लिये आपने गोषाला मे धुआं कर दिया , तो नित्य ऐसा करने वाले को कपिला गाय के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।