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कद्रदानी meaning in Hindi

pronunciation: [ kedredaani ]
कद्रदानी meaning in English

Examples

  1. नीचे के पत्रकारों को अगर हिन्दी ज्ञान बढ़ाने की फिक्र नहीं है , तो इसका कारण यह है कि अच्छी हिंदी की मांग नहीं है और संस्थानों में उसकी कद्रदानी भी नहीं है जो सही हिन्दी लिख सकते हैं।
  2. वह शख्स इस लाइक आदमी की ऐसी राय सुनकर खुशी के मारे फूल उठा और बोला , ”मैं आपकी कद्रदानी का निहायत ही शुक्रगुजार हुआ-मेहरबानी करके बतलाइये कि वह कौन-कौन सी चीजें हैं जो आपने उस रिसाले में इस कदर पसंद कीं।”
  3. वह शख्स इस लाइक आदमी की ऐसी राय सुनकर खुशी के मारे फूल उठा और बोला , “मैं आपकी कद्रदानी का निहायत ही शुक्रगुजार हुआ-मेहरबानी करके बतलाइये कि वह कौन-कौन सी चीजें हैं जो आपने उस रिसाले में इस कदर पसंद कीं।”
  4. रोकिये नहीं सर अभी लिखना है और भी बहुत कुछ इजाजत नहीं तो वहां क्लास के बाहर बैठकर लिख लूंगा आपकी छड़ी टिक-टिक घड़ी दोनों की कद्रदानी सौभाग्य है मेरा सौभाग्य यह आज भी दुविधाग्रस्त नहीं सुरक्षित है सर बहुत सिखाया है इसने बहुत असर है इनका मेरे ऊपर
  5. छोटे पेरीक्लीस की माँ भले ही अज्ञात रहे , लेकिन पिता? तभी तो जब नगरसभा का प्रस्ताव स्वर्ण-मंजुषा में रखकर पेरीक्लीस ने उसके हाथ में रखा तोउसे अपना समग्र अस्तित्व सफल होता हुआ दिखाई दिया! "कहती थी न कि लोकशाहीमें कद्रदानी नहीं है?" धीरे से उठती हँसी में आनंद के आँसू निकालकर बोली, "पेरीक्लीस की होती है.
  6. एक वक्त था जब इस डाकू हसीना को हथियारों से मोहब्बत थी , लेकिन वक्त ने करवट ली, और वही सीमा परिहार, जिसने हथियारों से तौबा कर ली थी, उसकी जिंदगी में ऐसा मुकाम आया कि उसे ये एहसास हो गया कि जिंदगी हथियारों के दम पर नहीं जिया जा सकता बल्कि इसे जीने के लिए इंसान को प्यार और दूसरे की कद्रदानी भी करनी पड़ती है ।
  7. इस लिये की बसा अवका़त ( कभी कभी ) तुम्हारी इस भलाई की वह कद्र करेगा जिस ने उस से कुछ फ़ायदा ( लाभ ) भी नहीं उठाया , और उस ना शुकरे ( कृतघ्र ) से जितना तुम्हारा हक़ ज़ाए ( नष्ट ) किया है , उस से कहीं ज़ियादा तुम एक क़द्र दान की कद्रदानी हासिल कर लोगे , और खुदा नेक काम करने वालों को दोस्त रखता है।
  8. फिल्मकार दिवंगत के . बिक्रम सिंह ने आरटीआइ की एक के बाद एक अर्जियां लगाकर दिल्ली सरकार और जिस मुलाजिम ' विशेषज्ञ ' की नाम में दम कर दिया था ; अपने उच्च कार्यकलापों के चलते जो जनसत्ता , सहारा समय ( राष्ट्रीय सहारा ) , हंस और रंगप्रसंग हर कहीं से चलता हुआ ; ऐसे शख्स की इतनी कद्रदानी किसी सरकारी , अर्द्ध-सरकारी इदारे के अलावा और कौन कर सकता है ?
  9. एक वक्त था जब इस डाकू हसीना को हथियारों से मोहब्बत थी , लेकिन वक्त ने करवट ली , और वही सीमा परिहार , जिसने हथियारों से तौबा कर ली थी , उसकी जिंदगी में ऐसा मुकाम आया कि उसे ये एहसास हो गया कि जिंदगी हथियारों के दम पर नहीं जिया जा सकता बल्कि इसे जीने के लिए इंसान को प्यार और दूसरे की कद्रदानी भी करनी पड़ती है ।जी हां ...
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