इन्तिजाम meaning in Hindi
pronunciation: [ inetijaam ]
Examples
- लल्लू लाटा ने कहा , “ हाँ पिछले साल तक मैं और कल्लू दोनों मिल कर सारा इन्तिजाम करते थे , पर अब हम दोनों ने डिसाइड किया है कि इस साल हम ये इन्तिजाम नहीं करेंगे। ”
- लल्लू लाटा ने कहा , “ हाँ पिछले साल तक मैं और कल्लू दोनों मिल कर सारा इन्तिजाम करते थे , पर अब हम दोनों ने डिसाइड किया है कि इस साल हम ये इन्तिजाम नहीं करेंगे। ”
- अतः शासन व प्रशासन के लिए यह बहुत जरूरी है कि वे उनके लिए बेहतर इन्तिजाम करें और हज हाउस में उनके प्रवास एवं वहाँ से एयरपोर्ट तक जाने व उड़ान पकड़ने में उन्हें किसी प्रकार की भी परेशानी का सामना न करना पड़े।
- शाम को हमारे भोजन का इन्तिजाम सुखाडिया सर्कल पर था पाव भाजी और भेल पूरी अपने जीवन में पहली बार इस यात्रा में खाना हुआ उसके बाद मैंने और अजय ने बर्फ का गोला खाने का निश्च्चय किया राज स्थानी में इसे गोटा बोलते हैं यानि हेठ जी गोटो है कई , हा हा
- आखिर पन्द्रह दिन बीतते-बीतते उसका धैर्य टूट गया तो दबी जुबान वह बोला , “पंडित जू, बिटेवा बिना इलाज मर रही है- अगर आप पैसन का इन्तिजाम करि देते तो-।”उसकी बात पूरी होने से पहले ही धन्नू पंडित चीखे थे, “स्साले मैं कोई बेईमान हूं- भाग जा यहां से- नहीं दूंगा पैसे-वैसे-।”वह भौंचक उन्हें देखता रह गया था।
- अरे गांव-देश के लिए रेडियो है , मन-फ़ेरवट के लिए टी०वी० है ,हमसे कहा होता तो हम सब यहीं इन्तिजाम करवाय देते“ ”हम गरीबन के ई सब कहाँ मयस्सर है ,मालिक !“ ”अरे ! का बात करता है रे ?तूँ हमरा आदमी है ,चालीस साल से सेवा-सुश्रूषा कर रहा है ,तुम्हरा लिए हम इतना हू नहीं कर सकत हैं'- निशाना सही बैठा।
- तुम गर मेहरबां हो सको तो इक छत भी दे देना अपने बच्चों को ओलों से बना बर्फ खिलाते लोग कुछ जवां तन का भी करना ख़ास इन्तिजाम बेटियों को कबाड़ से कपडे ढूंढ के लाते हैं लोग जानता हूँ ईश्वर , तू ही है जो पत्थर में भी संवरता है सो , मेरा दिल बस सबकी ख़ुशी की प्रार्थना करता है
- अरे गांव-देश के लिए रेडियो है , मन-फ़ेरवट के लिए टी ० वी ० है , हमसे कहा होता तो हम सब यहीं इन्तिजाम करवाय देते “ ” हम गरीबन के ई सब कहाँ मयस्सर है , मालिक ! “ ” अरे ! का बात करता है रे ? तूँ हमरा आदमी है , चालीस साल से सेवा-सुश्रूषा कर रहा है , तुम्हरा लिए हम इतना हू नहीं कर सकत हैं ' - निशाना सही बैठा।
- उन पैग़म्बरों के नायबीन मुक़र्रर हुए जो हमको दुनिया और आख़िरत की तालीम देते हैं जिनके मुतअल्लिक सिर्फ दुनिया के इन्तिजाम सुपुर्द किये गये वह बादशाह कहलाते हैं और जिन के जिम्मे दीनी यानी आखिरत के उमूर ( फन , कार्यों ) की दुरूस्तगी दी गयी वह आलिम हैं इसलिए इन दोनों के हुक्म पर चलना हमारा फर्ज है चुनांचे इरशाद होता है ( ऐ ईमान वालो ) हुक्म मानो अल्लाह का और हुक्म मानो रसूल का और जो इख़्तियार दिये गये हैं ( मुसलमान बादशाह को ) ।