×

अविद्वान meaning in Hindi

pronunciation: [ avidevaan ]
अविद्वान meaning in English

Examples

  1. मेरे उपरोक्त वर्णित उदाहरण से लोगो को समझना चहिये इसी प्रकार से ये लोग अन्य श्लोकों का गलत अर्थ पेश करते हैं या फिर कोई श्लोक अप्रमाणिक और अमान्य पुस्तक से लेते हैं या फिर वो श्लोक किसी मान्य प्रामणिक पुस्तक में प्रक्षिप्त अर्थात मिलावट किया हुआ अमान्य होता है और या फिर किसी अविद्वान व्यक्ति द्वारा अर्थ किया हुआ होता है .
  2. रामायण में जगह-जगह - जटायू के लिये पक्षी शब्द का प्रयोग भी किया गया है | इसका समाधान ताड्यब्राह्म्ण से हो जाता है जिसमें उल्लिखित है कि- “ ये वै विद्वांसस्ते पक्षिणो ये विद्वांसस्ते पक्षा ” ( ता . ब्रा . १ ४ / १ / १ ३ ) अर्थात जो जो विद्वान हैं वे पक्षी और जो अविद्वान ( मूर्ख ) हैं वे पक्ष-
  3. महाभारत के भयंकर युद्घ में विश्व के सभी वैदिक विद्वान , चिंतक , योद्घा व प्रबुद्घ व्यक्तियों के समाप्त हो जाने से विश्व में वैदिक धर्म का प्राय : पतन हो गया और स्वार्थी , अज्ञानी , अविद्वान ब्राह्मïणों में परस्पर अलग अलग मत , पंथ व संप्रदाय स्थापित कर लिए , जिससे विश्व में अनेकों मत मतांतर प्रचलित हो गये और उन्होंने अपने अपने उपास्य देव भी अलग अलग बना लिए।
  4. महाभारत के भयंकर युद्घ में विश्व के सभी वैदिक विद्वान , चिंतक , योद्घा व प्रबुद्घ व्यक्तियों के समाप्त हो जाने से विश्व में वैदिक धर्म का प्राय : पतन हो गया और स्वार्थी , अज्ञानी , अविद्वान ब्राह्मïणों में परस्पर अलग अलग मत , पंथ व संप्रदाय स्थापित कर लिए , जिससे विश्व में अनेकों मत मतांतर प्रचलित हो गये और उन्होंने अपने अपने उपास्य देव भी अलग अलग बना लिए।
  5. शुद्र किसी आर्य के निरीक्षण में अन्य वर्णों के लिए भोजन पकावे; पक्वान्न की बलि; प्रथम अतिथि तथा पुन : बाल, वृद्ध, रुग्ण तथा गर्भिणी को भोजन; वैश्वदेव के अंत में आए किसी आगंतुक को भोजन के लिए प्रत्याख्यान नहीं; अविद्वान ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र अतिथि का स्वागत; गृहस्थ के लिए उत्तरीय अथवा यज्ञोपवीत; ब्राह्मण के अभाव में क्षत्रिय अथवा वैश्य आचार्य; गुरु के आगमन में गृहस्थ का कर्तव्य; गृहस्थ के लिए अध्यापन तथा अन्य कर्तव्य; अज्ञात वर्ण और शील के अतिथि का स्वागत्; अतिथि; मधुपर्क; षड्वेदांग; वैश्वदेव के पश्चात् श्वान तथा चांडाल को भी भोजन;
  6. शुद्र किसी आर्य के निरीक्षण में अन्य वर्णों के लिए भोजन पकावे; पक्वान्न की बलि; प्रथम अतिथि तथा पुन : बाल, वृद्ध, रुग्ण तथा गर्भिणी को भोजन; वैश्वदेव के अंत में आए किसी आगंतुक को भोजन के लिए प्रत्याख्यान नहीं; अविद्वान ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र अतिथि का स्वागत; गृहस्थ के लिए उत्तरीय अथवा यज्ञोपवीत; ब्राह्मण के अभाव में क्षत्रिय अथवा वैश्य आचार्य; गुरु के आगमन में गृहस्थ का कर्तव्य; गृहस्थ के लिए अध्यापन तथा अन्य कर्तव्य; अज्ञात वर्ण और शील के अतिथि का स्वागत्; अतिथि; मधुपर्क; षड्वेदांग; वैश्वदेव के पश्चात् श्वान तथा चांडाल को भी भोजन;
More:   Prev  Next


PC Version
हिंदी संस्करण


Copyright © 2023 WordTech Co.