अर्थ-बोध meaning in Hindi
pronunciation: [ areth-bodh ]
Examples
- सस्यूर इसी से सूत्र पकड़ कर भाषा-शब्द को संकेतक और यथार्थ वस्तु को , संकेतिक कहता है , पर ये तीन चीजें हैं , संकेतक , संकेतित और संकेतित का अर्थ-बोध , वह अलहदा है , इस पर जोर देने से भाषा में शब्द और अर्थ के रिश्ते मनमाने हो उठते हैं , पर इसका विकल्प भी है ।
- मरू-प्रदेश की भूमि पर खड़े पात्र सजीव हो उठे हैं ; क्योंकि उनके संवाद लोक-भाषा में रखे हैं आपने ! वाकये पाठक को अर्थ-बोध देकर आगे बढ़ जाते हैं ! जिस कला से आप कहानी कहते हैं , वह तो अनूठा है ही ; अप्रतिम होता है उसका समापन और इस कहानी की अंतिम पंक्तियाँ न सिर्फ उत्कर्ष को निरावृत्त करती हैं , बल्कि बहुत कुछ अनकहा भी कह कर रोमांचित कर जाती हैं ! और क्या कहूँ ?
- अपनी कोई साथिन जब उन्हें अपने से अधिक चाक-चौबस्त लगती है तो चट् मनोभाव प्रकट करती हैं , - ' अरे , उसकी मत पूछो , क्या फर्वट है ! ' इस युवापीढ़ी का अर्थ-बोध और मौलिक उद्भावनाएं गज़ब की हैं फर्वट - इसका मतलब है फ़ारवर्ड ! और फिरंट का मतलब जानते हैं ? जो अपने से आगे बढ़ी हुई लगे उसे कहेंगी ' फिरंट ' ( फ़्रंट से बना है ) -इसमें थोड़ा तेज़-तर्राक होना भी शामिल है .
- अपनी कोई साथिन जब उन्हें अपने से अधिक चाक-चौबस्त लगती है तो चट् मनोभाव प्रकट करती हैं , ' अरे , उसकी मत पूछो , क्या फर्वट है ! ' इस युवा पीढ़ी का अर्थ-बोध और मौलिक उद्भावनाएं गज़ब की हैं फर्वट - इसका मतलब है फ़ारवर्ड ! और फिरंट का मतलब जानते हैं ? जो अपने से आगे बढ़ी हुई लगे उसे कहेंगी ' फिरंट ' ( फ़्रंट से बना है ) -इसमें थोड़ा तेज़-तर्राक होना भी शामिल है .
- शायद पात्रों को नीचे रखने से जनसम्पर्क का खतरा हो , शायद उनकी उदासी और उनके एकाकीपन की शुद्धता खण्डित हो , शायद नीचे के दु : खी जन-समुदाय में ऊपर की उदासी झूठी और बेमानी लगे , शायद ऊपर से दृश्याँकन की जो शैली लेखक ने अपना रखी है , उसे बदलना पड़े , शायद ऊपर उक्तियों के लिए ही जीवन हो , और अकेले में इन चमत्कृत करनेवाले वाक्यों के अर्थ-बोध से किसी का भी कोई मतलब न रहे , आदि कितने ही ऐसे कारण हो सकते हैं।