अनुप्रेक्षा meaning in Hindi
pronunciation: [ anuperekesaa ]
Examples
- वस्तु स्वरूप के बार-बार चिन्तन का नाम अनुप्रेक्षा है उनमें नामों का क्रम इस प्रकार है - अध्रुव , अशरण , एकत्व , अन्यत्व , संसार , लोक , अशुचित्व , आस्रव , संवर , निर्जरा , धर्म और बोधि।
- अनुप्रेक्षा के द्वारा किसी की आदत को बदलने का हम प्रयत्न करते हैं तो एक शब्दावली का निर्माण करते हैं और उस शब्दावली को एकदो बार नहीं सौ बार दोहराते हैं , बारबार दोहराते हैं, उसके साथ भावना का प्रयोग करते हैं, संकल्प करते हैं, अपने आपको सुझाव देते हैं।
- जब हम अनुप्रेक्षा के स्तर तक पुनरावृत्ति करते हैं , बारबार अभ्यास करते हैं, बारबार दोहराते हैं, तो धीरेधीरे एक क्षण ऐसा आता है, जब वह बाहर की बात भीतर तक चली जाती है और जो बदलने का स्थान है, वहां तक पहुंचती है और परिवर्तन शुरू हो जाता है।
- एक मुस्कान भरी दुनिया बनाने का “ शारीरिक , मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति , हेतु धर्मयोगी सेवा परिवार के अनेको उपक्रम है जिनमे धर्मयोग , ध्यान प्रज्ञा जागरण , अनुप्रेक्षा आदि सम्मिलित है धर्मयोगी सेवा परिवार विश्व शांति के लिये आपसी मतभेद -सघर्ष मिटाने के लिये आकस्मिक आपदा से राहत के लिये ग्रामीण प्रवेश के विकास के लिये महिला सशक्तिकरण के लिये एव पर्यावरण सुरक्षा के लिये शिक्षा , चिकित्सा और सेवा की मानवीय परियोजनाओ का संयोजन करता है |
- एक मुस्कान भरी दुनिया बनाने का “ शारीरिक , मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति , हेतु धर्मयोगी सेवा परिवार के अनेको उपक्रम है जिनमे धर्मयोग , ध्यान प्रज्ञा जागरण , अनुप्रेक्षा आदि सम्मिलित है धर्मयोगी सेवा परिवार विश्व शांति के लिये आपसी मतभेद -सघर्ष मिटाने के लिये आकस्मिक आपदा से राहत के लिये ग्रामीण प्रवेश के विकास के लिये महिला सशक्तिकरण के लिये एव पर्यावरण सुरक्षा के लिये शिक्षा , चिकित्सा और सेवा की मानवीय परियोजनाओ का संयोजन करता है |
- जागरण संवाददाता , चंडीगढ़ शब्द सीमित है, लेकिन उसके अर्थ असीमित हैं। एक-एक शब्द अनेकानेक अर्थो में प्रयुक्त होता है। एक पद्य और एक चरण के हजारों-हजार अर्थ हो सकते हैं। आचार्य हेमचंद ने एक ही शब्द के तीस हजार अर्थ प्रस्तुत किए थे। इससे यह सिद्ध होता है कि शब्द सीमित हैं और उसका अर्थ असीमित ही नहीं बल्कि उससे आगे कोई अर्थ है तो उसे भी जोड़ा सकता है। इसी का नाम अनुप्रेक्षा है। यह शब्द तेरापंथ जैन मुनिश्री विनय कुमार जी 'आलोक' ने रविवार को यहां अणुव्रत भवन, सेक्टर-24 में रविववारीय व्याख्या
- इस दौरान सुबह सवा पांच बजे से सवा छह बजे तक जप , अर्हत्-वंदना, गुरु वंदना, वृहद् मंगलपाठ, पाथेय, साढे छह बजे से सवा सात बजे तक आसन-प्राणायाम, साढे आठ से नौ बजे तक आगम-वाचन, नौ से ग्यारह बजे तक प्रवचन, सवा ग्यारह बजे से दोपहर बारह बजे तक प्रेक्षाध्यान सिद्धांत प्रयोग, दो से ढाई बजे तक नमस्कार महामंत्र जाप, ढाई से सवा तीन बजे तक व्याख्यान, साढे तीन बजे से चार बजे तक ध्यान, अनुप्रेक्षा, शाम पौने सात बजे से पौने आठ बजे तक गुरु वंदना-प्रतिक्रमण तथा रात आठ बजे से साढे नौ बजे तक अर्हत् वंदना-वक्तव्य होगा।
- इस दरम्यान प्रतिदिन सुबह सवा पांच बजे से सवा छह बजे तक जप , अर्हत्-वंदना, गुरु वंदना, वृहद् मंगलपाठ, पाथेय, साढे छह बजे से सवा सात बजे तक आसन-प्राणायाम, साढे आठ से नौ बजे तक आगम-वाचन, नौ से ग्यारह बजे तक प्रवचन, सवा ग्यारह बजे से दोपहर बारह बजे तक प्रेक्षाध्यान सिद्धांत प्रयोग, दो से ढाई बजे तक नमस्कार महामंत्र जाप, ढाई से सवा तीन बजे तक व्याख्यान, साढे तीन बजे से चार बजे तक ध्यान, अनुप्रेक्षा, शाम पौने सात बजे से पौने आठ बजे तक गुरु वंदना-प्रतिक्रमण तथा रात आठ बजे से साढे नौ बजे तक अर्हत् वंदना-वक्तव्य होगा।