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अजीबो ग़रीब meaning in Hindi

pronunciation: [ ajibo gaerib ]
अजीबो ग़रीब meaning in English

Examples

  1. सब कुछ दर क़िनार करके मीडिया ने अलग राह अपना ली है ज़िम्मेदार कौन ? मसाले दार न्यूज़ ,सनसनीखेज खबरे ,अजीबो ग़रीब करतब, स्टिंग ऑपरेशन को आज मीडिया जो दिखा , बता रहा है उसके ज़िम्मेदार हम है क्योकि कही न कही हम ऐसा ही चाहते है।
  2. नरेशवत्स का कहना है कि ब्रिजवत्स अपनी खेती की ज़मीन का इस्तमाल अजीबो ग़रीब चीजो में करता है और खूब धन दौलत कमाता है वहीं ब्रिज वत्स का कहना है कि वो सिर्फ नई technology के प्रयोग और सूझबूझ से काम के बदौलत यहां तक पंहुचा है . .
  3. उन्हे जब कि यह मौजूद न थे अजीबो ग़रीब ज़ाहिरी सूरतों ( विचित्र आकारों ) से आरास्ता ( सुसज्जित ) कर के पैदा किया और गोश्तो पोस्त ( मांस व हड्डी ) के ढ़के हुए जोड़ों के सरों से उन के जिस्मों की साख़्त ( बनावट ) क़ायम की।
  4. दर ख़ुरे कहरो-ग़ज़ब जब कोई हमसा न हुआ , फिर ग़लत क्या है कि हमसा कोई पैदा न हुआ ! ================================ और श्री हाश्मी कहते है कि ......... हालात आजकल तो अजीबो ग़रीब है , है डाक्टर मरीज़ , तो रोगी तबीब है . ......... और भी ..... at ..
  5. रात कहूँ तो रात और दिन कहूँ तो दिन` कहने वाली पत्नी का , ऐसा हिम्मत पूर्ण, अजीबो ग़रीब, अनपेक्षित सवाल सुनकर, पहले तो मैं क्षुब्ध हो गया और बाद में कोई उत्तर न मिलने पर, ज़ुबान लड़खड़ाने के कारण, आखिर मैं बहुत डर गया..! ज़िंदगी सब सिखला देती है जनाब
  6. आज के इस तेज़ी से आगे बढ़ रहे काल में जबकि अख़बारों और टी . वी . के माध्यम से रोज़ हमारे सामने अजीबो ग़रीब बातें सामने आ रही हैं , इन हालात में एक पढ़ी लिखी औरत ही घर और समाज को शिक्षा के माध्यम से बदल सकती है ,
  7. क़ुदरत ने हर क़िस्म की मख़लूक़ को वह जानदार हो या बेजान , साकिन ( स्थिर ) हो या मुतहर्रिक ( गतिशील ) , अजीबो ग़रीब आफ़रिनिश ( विचित्र उत्पत्ति ) का जामा पहना कर ईजाद ( अविष्कार ) किया है , और अपनी लतीफ़ सनअत ( मुदुल कला ) और अज़ीम क़ुदरत
  8. क़ुदरत ने हर क़िस्म की मख़लूक़ को वह जानदार हो या बेजान , साकिन ( स्थिर ) हो या मुतहर्रिक ( गतिशील ) , अजीबो ग़रीब आफ़रिनिश ( विचित्र उत्पत्ति ) का जामा पहना कर ईजाद ( अविष्कार ) किया है , और अपनी लतीफ़ सनअत ( मुदुल कला ) और अज़ीम क़ुदरत
  9. जो तुम्हें ख़बर दे कि जब तुम पूर्जा होकर बिल्कुल रेज़ा रेज़ा ( कण कण ) हो जाओ तो फिर तुम्हें नया बनना है { 7 } क्या अल्लाह पर उसने झूट बांधा या उसे सौदा ( पागलपन ) है ( 17 ) ( 17 ) जो वो ऐसी अजीबो ग़रीब बातें कहते है।
  10. ( इसमें चमगादड़ की अजीबो ग़रीब ख़िलक़त ( विचित्र उत्पत्ती ) का ज़िक्र फ़रमाया है ) “ तमाम हम्द ( प्रशंसा व वंनदना ) उस अल्लाह के लिये है जिस की मअरिफ़त ( परिचय ) की हक़ीक़त ( वास्तविकता ) ज़ाहिर करने से औसाफ़ आजिज़ ( गुण असमर्थ ) है और उस की अज़मत व बुलंदी ( वैभव ...
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