×

अकिंचनता meaning in Hindi

pronunciation: [ akinechentaa ]
अकिंचनता meaning in English

Examples

  1. इतना कहने का जीवट रखना कि जिंदगी की अपार , अतुलनीय सम्पदा पर जौ-भर लिखने का कवित्व भी तुम्हारे भीतर नहीं ; क्योंकि उस चितेरे ने तो सृजन में कोई कसर नहीं छोड़ी-न अकिंचनता है , न कोई अकिंचन .
  2. उनके पेट्रोलियम साम्राज्य के भीतर आराम से खर्च करने के बजाय , अमीर तेल राज्यों फ़िलिस्तीन में महत्वपूर्ण संसाधनों को अनुप्रेषित और गरीबी और 7,5 लाख से वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में रहने वाले फिलीस्तीनी अकिंचनता से बाहर उठा सकता है?
  3. शमशेर का जो आत्म - विलोपन है उसमे कोई कमतरी का भाव नहीं है , मै कहना चाहता हूँ कि उसमे एक आध्यात्मिक विलय हैं कि मै कुछ नही हूँ भक्त कवियों के बीतर एक अकिंचनता का भाव था , विराट के सम्मु ख.
  4. भक्त परमात्मा के जरिए उसमें आरोपित एक अमूर्त आदर्श की प्रतिष्ठा करता है जो प्रच्छन्न रूप से मनुष्य - आत्मा - की हीनता और अकिंचनता पर जोर देकर परमात्मा-आत्मा के बीच ठीक उसी सम्बन्ध की परिकल्पना करता है जिसमें सामाजिक पदानुम ( social heirarchy ) की स्वीकृति है।
  5. विज्ञान की प्रगति ने सुख सुविधा के साधन तो बहुत उपलब्ध करा दिये है पर इनसे जितना शारीरिक सुख प्राप्त हुआ है , शायद मानसिक स्तर पर अकिंचनता उतनी ही बढी है भौतिकता के प्रति बेहद लगाव हो गया है और आध्यात्मिकता का उतना ही तिरस्कार हो रहा है।
  6. इस बार भी अगस्त के महीने में जब हमारी किताबों की रायल्टी की राशि चढ़ती महंगाई के मुकाबिले में एकदम औसत ही आई , तो हम अपने पेशे की आय रूपी अकिंचनता से एकदम चिढ़ उठे , हमने यह तय किया कि अब लिखना छोड़कर कोई और धंधा करेंगे।
  7. उसकी संपूर्ण याचकता , अकिंचनता और अधिकता आराध्य की अमोध भक्ति से स्थानापत्र होकर सदा के लिये संतुष्ट हो जाती है और वह एक आलोकित आत्मा के साथ आनंद से उस आध्यात्मिक अंश का आस्वादन किया करता है , जो आलोक- परलोक सभी प्रकार के सुखों का आदि स्त्रोत होता है।
  8. उसकी संपूर्ण याचकता , अकिंचनता और अधिकता आराध्य की अमोध भक्ति से स्थानापत्र होकर सदा के लिये संतुष्ट हो जाती है और वह एक आलोकित आत्मा के साथ आनंद से उस आध्यात्मिक अंश का आस्वादन किया करता है , जो आलोक- परलोक सभी प्रकार के सुखों का आदि स्त्रोत होता है।
  9. “मैं नहीं , नहीं ! मैं कहीं नहीं ! ओ रे तरु ! ओ वन ! ओ स्वर-सँभार ! नाद-मय संसृति ! ओ रस-प्लावन ! मुझे क्षमा कर - भूल अकिंचनता को मेरी - मुझे ओट दे - ढँक ले - छा ले - ओ शरण्य ! मेरे गूँगेपन को तेरे सोये स्वर-सागर का ज्वार डुबा ले ! आ, मुझे भला, तू उतर बीन के तारों में अपने से गा अपने को गा - अपने खग-कुल को मुखरित कर
More:   Prev  Next


PC Version
हिंदी संस्करण


Copyright © 2023 WordTech Co.