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हुक्मराँ meaning in Hindi

pronunciation: [ hukemraan ]
हुक्मराँ meaning in English

Examples

  1. आज शायद आ रहे हैं हुक्मराँ , सड़क शक बन गई है अब बस आने को हैं हुक्मराँ, सड़क हो गई है सूनी लो आ गए हैं हुक्मराँ, सड़क थरथरा रही है अभी चले गए हैं हुक्मराँ, सड़क हो चली है ज़िंदा।
  2. अगर अशोक चक्रधर की नियुक्ति के बहाने ये मुद्दे उठ रहे हैं तो ज़रूरी है कि इन पर ढंग से गौर किया जाए और कुछ ऐसा किया जाए कि अकादमी वह करे जो उसे करना चाहिए , न कि वह जो हुक्मराँ चाहते हैं।
  3. “कुर्सी का नेता क्या बनना , दिल पर राज करो तो जाने किया शहीदों ने जो कल था,वो ही आज करो तो जाने ” जी बहुत सही कहा आपने, मैं भी ये कहता हूँ- इससे पहले कि ये तिरंगा हो जाये तार तार हुक्मराँ में भी शहीदों वाला असर चाहिए
  4. मैंने उससे ये कहा चीन अपना यार है उस पे जाँ निसार है पर वहाँ है जो निज़ाम उस तरफ़ न जाइयो उसको दूर से सलाम दस करोड़ ये गधे5 जिनका नाम है अवाम क्या बनेंगे हुक्मराँ तू यक़ीं ये गुमाँ अपनी तो दुआ है ये सदर तू रहे सदा
  5. मैंने उससे ये कहा चीन अपना यार है उस पे जाँ निसार है पर वहाँ है जो निज़ाम उस तरफ़ न जाइयो उसको दूर से सलाम दस करोड़ ये गधे 5 जिनका नाम है अवाम क्या बनेंगे हुक्मराँ तू यक़ीं ये गुमाँ अपनी तो दुआ है ये सदर तू रहे सदा
  6. हुक्मराँ देखते हैं दिल्ली से , चमकता भारत मगर अवाम की नज़रों में, तड़पता भारत देश में है जम्हूरियत, फक्र भी मुझको हादसे और धमाकों में, सिसकता भारत किसी के जान की कीमत क्या कौन कह सकता घोषणा कर मुआवजे की, विहँसता भारत किसी का मसला यही है कि वो खाएं क्या क्या अहम सवाल कि खाएं क्या, उलझता भारत इसी चमन में एक इण्डिया एक भारत भी सुमन है कारण चूहे घर के, पिछड़ता भारत
  7. “हुक्मराँ देखते हैं दिल्ली से” हुक्मराँ देखते हैं दिल्ली से चमकता भारत मगर अवाम की आँखों में सिसकता भारत जम्हूरियत सबसे बड़ा मेरा फक्र भी मुझको हादसे और धमाकों में तड़पता भारत किसी के जान की कीमत क्या कौन कह सकता घोषणा कर मुआवजे की विहँसता भारत किसी का मसला ये है कि खाएं क्या क्या अहम सवाल कि खाएं क्या उलझता भारत एक इण्डिया है चमन में एक भारत भी सुमन है कारण चूहे घर के पिछड़ता भारत
  8. हुक्मराँ देखते हैं दिल्ली से हुक्मराँ देखते हैं दिल्ली से , चमकता भारत मगर अवाम की नज़रों में, तड़पता भारत देश में है जम्हूरियत, फक्र भी मुझको हादसे और धमाकों में, सिसकता भारत किसी के जान की कीमत क्या कौन कह सकता घोषणा कर मुआवजे की, विहँसता भारत किसी का मसला यही है कि वो खाएं क्या क्या अहम सवाल कि खाएं क्या, उलझता भारत इसी चमन में एक इण्डिया एक भारत भी सुमन है कारण चूहे घर के, पिछड़ता भारत जेल में खाएं खिचडी चोखा अब तिहाड़ में कितने मंत्री बतियाते आपस में संतरी
  9. हुक्मराँ देखते हैं दिल्ली से हुक्मराँ देखते हैं दिल्ली से , चमकता भारत मगर अवाम की नज़रों में, तड़पता भारत देश में है जम्हूरियत, फक्र भी मुझको हादसे और धमाकों में, सिसकता भारत किसी के जान की कीमत क्या कौन कह सकता घोषणा कर मुआवजे की, विहँसता भारत किसी का मसला यही है कि वो खाएं क्या क्या अहम सवाल कि खाएं क्या, उलझता भारत इसी चमन में एक इण्डिया एक भारत भी सुमन है कारण चूहे घर के, पिछड़ता भारत जेल में खाएं खिचडी चोखा अब तिहाड़ में कितने मंत्री बतियाते आपस में संतरी
  10. ख्वाब मेरी आँखों को बस खुशनुमा देते रहें , रोज़ तकरीरें मुझे ऐ मेहरबाँ देते रहें सारी खुशबू आपकी और खार हों मेरे सभी और कितने इश्क के हम इम्तिहाँ देते रहें मुजरिमों में नाम कितना भी हो शामिल आपका आप अपनी बेगुनाही के बयां देते रहें कर्जदारों के न कर्जे अब चुका पाएंगे हम बा-खुशी कुर्बानियां अपनी किसाँ देते रहें आ गयी है सल्तनत फौलाद की अब गांव में या ज़मीं दे दें इन्हें या अपनी जाँ देते रहें कायदों का मैं नहीं हों कायदे मेरे गुलाम फलसफा ये मुन्सिफों को हुक्मराँ देते रहें (फलसफा = दर्शन,
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