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सँवरना meaning in Hindi

pronunciation: [ senvernaa ]
सँवरना meaning in English

Examples

  1. प्रभु की सृष्टि , प्रभु का बगीचा बिगड़ रहा है 1 बगीचे का आनन् द लेना है , तो बगीचे का सँवरना सीखे।
  2. तुम्हे जीना ही होगा खुद के लिये सँवरना ही होगा कई बार जीना मुश्किल होता हे , लेकिन फ़िर भी जीना पडता हे, बहुत भावूक रचना, धन्यवाद
  3. अब आप ही भला बताइए यौवन की दहलीज़ पर कदम रखती किस लड़की को दुल्हन बनने की इच्छा नहीं होती ? और सजना सँवरना तो उनके स्वाभाविक चरित्र का अहम हिस्सा है।
  4. जैसे चतुर सुनार सोने को आभूषण का आकर्षक रूप देता है , वैसे ही छन् दोबद्ध कविता को भी समाज का कण् ठहार बनने के लिए संगीत के सधे हाथों सँवरना पड़ता है।
  5. तुम्हे जीना ही होगा खुद के लिये सँवरना ही होगा और दायित्व की जंजीरों ने जकड़ लिया इस कदर कि खा गई वह फ़िर एक बार बच्चों की कसम जी ही लेगी अब तुम्हारे बगैर . ..
  6. यदि प्रोफेशनल होकर भी अन्य लोग स्त्रियों को बताएँगे कि कैसे काम के लिए तैयार होना है , कैसे बनना सँवरना है, क्या क्या पहनना है तो क्या स्त्री की स्वायत्तता खत्म हो उसका अस्तित्व पुनः दूसरों के हाथ में न आ गया?
  7. दूसरी लड़कियों की तरह कपड़े , सजना - सँवरना , मिल्स एँड बून की रोमाँटिक किताबें पढ़ना , लड़कों के बारे में बातें करना , इन सब चीजों से पूरी तरह से अनभिज्ञ , और इसी बीच उसे प्रभा दीदी मिल गयीं थीं।
  8. सो क्या बदला ? यदि प्रोफेशनल होकर भी अन्य लोग स्त्रियों को बताएँगे कि कैसे काम के लिए तैयार होना है , कैसे बनना सँवरना है , क्या क्या पहनना है तो क्या स्त्री की स्वायत्तता खत्म हो उसका अस्तित्व पुनः दूसरों के हाथ में न आ गया ? क्या पढ़लिखकर भी वह दूसरों के हाथ की कठपुतली भर न बन गई ?
  9. जुनून-ए-शौक़ अब भी कम नहीं है मगर वो आज भी बर्हम नहीं है बहुत मुश्किल है दुनिया का सँवरना , तेरी ज़ुल्फ़ों के पेच-ओ-ख़म नहीं है बहुत कुछ और भी है जहाँ में, ये दुनिया महज़ ग़म ही ग़म नहीं है मेरी बर्बादियों के हम्नशिनों, तुम्हें क्या ख़ुद मुझे भी ग़म नहीं है अभी बज़्म-ए-तरब से क्या उठूँ मैं, अभी तो आँख भी पुर्नम नहीं है 'मज़ाज़' एक बादाकश तो है यक़ीनन, जो हम सुनते थे वो आलम नहीं है
  10. “मंजिल को हँसी-खेल समझना न परिन्दों ” ( डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') -अनज़ान रास्तों पे निकलना न परिन्दों मंजिल को हँसी-खेल समझना न परिन्दों आगे कदम बढ़ाना ज़रा देख-भाल कर काँटों से तुम कभी भी उलझना न परिन्दों भोले कबूतरों के लिए ज़ाल हैं बिछे लालच की उस जमीं पे उतरना न परिन्दों आजकल के आदमी, शैतान हो गये भरकर चटक-लिबास, सँवरना न परिन्दों अब मीत-मीत का ही गला काट रहे हैं यूँ ही सभी के साथ में विचरना न परिन्दों भेड़ों के “रूप” में छिपे हैं भेड़िये यहाँ फूलों को देख करके मचलना न परिन्दों
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