मूत्राघात meaning in Hindi
pronunciation: [ muteraaghaat ]
Examples
- मूत्र संस्थान के विष प्रभावोत्पन्न लक्षण-रक्त-~ मेह , एल्ब्युमिन मेह, तीब्रवृक्क शोथ एवं वृक्क प्रदेश में पीड़ा तथा मूत्राघात, कटि में दर्द, मूत्र कीकमी होते हैं.
- मूत्राघात : - आक के दूध में बबूल की छाल का थोड़ा रस मिलाकर नाभि के आस पास और पेडू पर लेप करने से मूत्राघात दूर होता है।
- मूत्राघात : - आक के दूध में बबूल की छाल का थोड़ा रस मिलाकर नाभि के आस पास और पेडू पर लेप करने से मूत्राघात दूर होता है।
- * अनार के पत्ते 10 ग्राम और हरा गोखरू 10 ग्राम दोनों को 150 ग्राम पानी में पीस-छानकर सेवन करने से मूत्राघात की शिकायत दूर हो जाती है।
- इसका उपयोग रक्तपित्त ( खून की उल्टी), प्रमेह, मूत्राघात, शुक्रमेह, खूनी प्रदर, श्वेतप्रदर, पेट दर्द, कान का दर्द, मुंह की झांइयां,कोढ बुखार, क्षय और खांसी में भी लाभप्रद रहता है।
- * लगभग 50 ग्राम अनार के रस में छोटी इलायची के बीजों का चूर्ण और सोंठ का चूर्ण आधा-आधा ग्राम मिलाकर पीने से मूत्राघात में बहुत लाभ होता है।
- इसके ताजे पत्तों को पीसकर घाव पर बांधने से लाभ होता है तथा इसके पत्ते के रस को मूत्रेन्द्रिय पर लगाने से मूत्राघात का रोग दूर हो जाता है।
- इलायची के दाने और सोंठ समभाग लेकर , अनार के रस अथवा दही के नीथरे पानी में सेंधा नमक मिलाकर पीने से पेशाब छूटता है और मूत्राघात को मिटा देता है।
- इसका उपयोग रक्तपित्त ( खून की उल्टी ) , प्रमेह , मूत्राघात , शुक्रमेह , खूनी प्रदर , श्वेतप्रदर , पेट दर्द , कान का दर्द , मुंह की झांइयां , कोढ बुखार , क्षय और खांसी में भी लाभप्रद रहता है।
- इसका उपयोग रक्तपित्त ( खून की उल्टी ) , प्रमेह , मूत्राघात , शुक्रमेह , खूनी प्रदर , श्वेतप्रदर , पेट दर्द , कान का दर्द , मुंह की झांइयां , कोढ बुखार , क्षय और खांसी में भी लाभप्रद रहता है।