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मुंडमाल meaning in Hindi

pronunciation: [ munedmaal ]
मुंडमाल meaning in English

Examples

  1. हे भोलेनाथ ! !! आप श्मशान में रमण करते हैं , भूत - प्रेत आपके मित्र हैं , आप चिता भष्म का लेप करते हैं तथा मुंडमाल धारण करते हैं।
  2. पहनने के लिए वस्त्र की जगह बाघम्बर अथवा मृगशाला , आभूषण के नाम पर विषधर सर्प तथा मुंडमाल शृंगार की जगह मात्र भस्म का लेपन, उन के स्वरूप की पहचान है।
  3. अब आई है नैनीताल पढिए जब नीलकंठ बोलें , मुंडमाल हिले-डोलेगिरिबाला देख चौंक चौंक जाये , लगे एक-एक मुंड , किसी कथा का प्रसंग लिये भेद कुछ समाये है छिपाये .
  4. अब आई है नैनीताल पढिए जब नीलकंठ बोलें , मुंडमाल हिले-डोलेगिरिबाला देख चौंक चौंक जाये , लगे एक-एक मुंड , किसी कथा का प्रसंग लिये भेद कुछ समाये है छिपाये .
  5. पहनने के लिए वस्त्र की जगह बाघम्बर अथवा मृगशाला , आभूषण के नाम पर विषधर सर्प तथा मुंडमाल शृंगार की जगह मात्र भस्म का लेपन , उन के स्वरूप की पहचान है।
  6. बाएं हाथों में एक हाथ में तलवार है ( बुरी शक्तियों के संहार का प्रतीक ) तो दूसरे में मुंडमाल ( माइंड समर्पित किए बिना मां के दर्शन नहीं होते ) ।
  7. और मैं , नागों के नाग इस महानाग की शपथपूर्वक कहता हूॅ कि जब तक त्रिषुल की ऊॅंची नोक म्लेच्छों के मुंडमाल से नहीं ढॅक जाती, मैं केवल पवन पी कर जीवन निर्वाह करूंगा! .... आज से मुझे अन्न-जल की शपथ!
  8. अनुवाद : जिनके कानों में कुण्डल हिल रहे हैं , सुंदर भृकुटि व विशाल नेत्र हैं , जो प्रसन्नमुख , नीलकंठ व दयालु हैं , सिंहचर्म धारण किये व मुंडमाल पहने हैं , उनके सबके प्यारे , उन सब के नाथ श्री शंकर को मैं भजता हूँ।
  9. हे भोलेनाथ ! !! आप स्मशान में रमण करते हैं, भुत-प्रेत आपके संगी होते हैं, आप चिता भष्म का लेप करते हैं तथा मुंडमाल धारण करते हैं| ये सारे गुण ही अशुभ एवं भयावह जान पड़ते हैं| तबभी हे स्मशान निवासी आपके भक्त आपके इस स्वरूप में भी शुभकारी एव आनंदाई हे प्रतीत होता है क्योकि हे शंकर आप मनोवान्चिता फल प्रदान करने में तनिक भी विलम्ब नहीं करते|
  10. हे भोलेनाथ ! !! आप स्मशान में रमण करते हैं, भुत-प्रेत आपके संगी होते हैं, आप चिता भष्म का लेप करते हैं तथा मुंडमाल धारण करते हैं| ये सारे गुण ही अशुभ एवं भयावह जान पड़ते हैं| तबभी हे स्मशान निवासी आपके भक्त आपके इस स्वरूप में भी शुभकारी एव आनंदाई हे प्रतीत होता है क्योकि हे शंकर आप मनोवान्चिता फल प्रदान करने में तनिक भी विलम्ब नहीं करते|
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