बाजारू औरत meaning in Hindi
pronunciation: [ baajaaru auret ]
Examples
- श्रीमती इंदिरा जी एक बाजारू औरत , रांड और वैश्या थी ! में चुत्तर प्रसाद आपकी गन्दी और बदबूदार याद में एक बदबूदार पाद समर्पित करता हूँ ! पट पट पुट फूस फूस पट पट पुट
- मैं उस बाजारू औरत की तरह हूँ जिसे जो चाहे जिस तरह चाहे कीमत अदा कर इस्तेमाल कर सकता है , मेरी भी कीमत है और ये कीमत इस बात से तय होती है कि मैं किस जगह पर हूँ ।
- श्रीमती इंदिरा गन्धी जी एक रांड और बाजारू औरत / वैश्या थी ! में चुत्तर प्रसाद आपकी गन्दी याद में गन्दा और बदबूदार पाद समर्पित करता हूँ ! पट पट पुट फूस फूस पट पट पुट पट पट पुट फूस फूस पट पट पुट
- कहानी अंश वे क्षुब्ध स्वर में बोलीं , जिस तरह की जिंदगी मैं जी रही हूं , उसमें किसी भी तरह के संबंध में मेरी भागीदारी की तो गुंजाइश ही कहां है , उस वक्त मुझे अपनी स्थिति बाजारू औरत से भी गई गुजरी लगती है।
- गुरू सेवा ' को रोका भी नहीं जा सकता है , पर क्या उसका मूल्यांकन करना गुरूद्रोह माना जाना चाहिए ? अब एक संत ने कहा कि अपने नाम के प्रचार से बचो , अपने फोटो होर्डिग , पोस्टरों और पर्चों में छपवाकर बाजारू औरत मत बनो।
- इरा को सेहर का चेहरा कुछ पहचाना लग रहा था लेकिन परेशानी , मुसीबत और बारिश में कार ड्राइव करने की मशक्कत में उसे याद नहीं आ रहा था कि यह वही बाजारू औरत है जिसका कुछ देर पहले उसने अपने पति के साथ फोटो देखा था।
- ऐसे स् पार्टाकस होंगे , जो पशुओं से भी बदतर यंत्रणामय जीवन जीने के बावजूद उस बिलकुल निर्वस् त्र विवर्ण पथराई हुई बाजारू औरत , जिसे उसे संभोग के लिए दिया गया हो , की देह छूने के बजाय , उसकी ओर कपड़े का एक टुकड़ा बढ़ा देंगे और उसे धीरे से बैठ जाने को कहेंगे।
- कमल अपने आप को लगातार कोस रहा था और कहे जा रहा था , ” यह मेरी गलती है , गलती क्या मेरी नादानी है क्यों मैंने एक बाजारू औरत पर भरोसा किया ? क्यों अपनी रूही को अपने साथ नहीं ले के गया ? काश मैं उसे साथ ले जाता तो यह दिन तो ना देखना पड़ता मुझे .
- रेखा जी , सार्थक लेख के लिये बधाई … निश्चय ही धर्म तब तक धर्म है जब तक वह घर में है ( पूजनीय है ) जैसे ही वह गली और चौराहों पर आ जाता है एक दोधारी हथियार बन जाता है और उस की औकात किसी बाजारू औरत से अधिक नहीं रहती जिसको सिर्फ़ अपना हित ही सर्वप्रिय होता है .
- एक परफ्यूम के विज्ञापन में जिस प्रकार अर्धनग्न उत्तेजनात्मक रूप में कई बालाएं पुरुष के चारों ओर लिपट जाती हैं , इसी प्रकार स्वास्थ्य वर्धक औषधि के विज्ञापन में पुरुष की बलिष्ठ काया को जिस वासनात्मक रूप में निहारती है ये स्त्री की गरिमा को बाजारू बना देती है और बचपन से बच्चे के मष्तिष्क में नारी माँ-बहन के रूप में न होकर एक उत्पाद के साथ सहज और मुफ्त में उपलब्द्ध बाजारू औरत के रूप में व्याप्त हो जाती है।