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प्राक्तन meaning in Hindi

pronunciation: [ peraaketn ]
प्राक्तन meaning in English

Examples

  1. भाव यह कि यद्यपि प्राक्तन कर्म अनन्त हैं , फिर भी उनका मूल एक ही है उनके मूल का नाश करने से उन पर बड़ी आसानी से विजय प्राप्त की जा सकती है।
  2. जहाँ प्रयत्न करने पर भी कार्य विनाश होने पर प्रबल दैव कार्य विनाशक माना जाता है , वहाँ पर विघातक अन्य पुरुष का प्रयत्न ही ' दैव ' शब्द से कहा जाता है अथवा अपना प्राक्तन बलवान पौरुष ही दैव कहा जाता है।
  3. दोनों ( ऐहिक और प्राक्तन ) पौरुषों में से ऐहिक पौरुष ही प्रत्यक्षतः बलवान है , इसलिए जिस प्रकार युवक द्वारा बालक जीता जा सकता है , वैसे ही इस जन्म के प्रयत्नों द्वारा दैव ( पूर्वजन्म का प्रयत्न ) जीता जा सकता है।।
  4. श्री रामचन्द्रजी ने कहाः भगवन् , हे सर्वधर्मज्ञ , जो प्राक्तन कर्म है वही दैव है , ऐसा आपने बार बार कहा , फिर दैव है ही नहीं , इस प्रकार उसका आप अपलाप कैसे करते हैं यानी उसके अपलाप करने में आपका क्या अभिप्राय है ? ।।
  5. क्या भ्रूण की स्थिति ऐसे ही ‘ ऊर्ध्वमूलमध : शाखा ' वृक्ष की नहीं है जिसे पोषण देनेवाली ‘ भूमि ' ऊपर है और जिसे विस्तार का अवकाश देनेवाला ‘ आकाश ' नीचे है ? एक अवस्थिति की प्राक्तन समृति इस उलटे पेड़ के बिम्ब में संचित है ;
  6. निरन्तर प्रयत्न करने वाले , दृढ़ अभ्यासवाले एवं प्रज्ञा और उत्साह से युक्त पुरुष प्रलय में अधिकार रखने वाले देवताओं की पदवी को प्राप्त होकर महान् मेरू पर्वत तक को निगल जाते हैं , मटियामेट कर डालते हैं , प्राक्तन ( पूर्व जन्म के ) पौरुष की तो बात ही क्या है ?
  7. निरन्तर प्रयत्न करने वाले , दृढ़ अभ्यासवाले एवं प्रज्ञा और उत्साह से युक्त पुरुष प्रलय में अधिकार रखने वाले देवताओं की पदवी को प्राप्त होकर महान् मेरू पर्वत तक को निगल जाते हैं , मटियामेट कर डालते हैं , प्राक्तन ( पूर्व जन्म के ) पौरुष की तो बात ही क्या है ?
  8. गंगाजल नेचर फौंडेशनची छायाचित्र आणि महितीपट व निबंध स्पर्धा ! दोन फुलांची कथा दोन फुलांची कथा अशी ही दोन फुलांची कथा एक शिवाच्या पदी शोभाते एक शवाच्या माथा इथला निर्माल्य ही सुगंधी तिथली माळ ही कुणी न हुंगी इथे भक्तीचा वास फुलांना तेथे नरक व्यथा जन्म जरी एकाच वेलीवर भाग्यामध्ये महान अंतर गुळखोबरे कोणा कुणाला मिळे पिंड पालथा दोन फुलांचे एकच प्राक्तन उच्च नीच हा [...]
  9. और तब दुगुने भयानक ओज से पहचान वाला मन सुमेरी-बेबिलोनी जन-कथाओं से मधुर वैदिक ऋचाओं तक व तब से आज तक के सूत्र छन्दस् , मन्त्र , थियोरम , सब प्रेमियों तक कि मार्क्स , एंजेल्स , रसेल , टॉएन्बी कि हीडेग्गर व स्पेंग्लर , सार्त्र , गाँधी भी सभी के सिद्ध-अंतों का नया व्याख्यान करता वह नहाता ब्रह्मराक्षस , श्याम प्राक्तन बावड़ी की उन घनी गहराईयों में शून्य।
  10. पुरुषप्रयत्न की स्वतन्त्रता की सिद्ध करने के लिए पहले कहीं पर ' दैव असत् है ' ऐसा कहा और कहीं पर प्राक्तन प्रयत्न जनित कर्म ही दैव एवं पुरुष प्रयत्न कहलाता है , ऐसा कहीं पर यह ठीक नहीं है , क्योंकि ' दैव असत् है ' इस प्रथम पक्ष को मानने से लोक और वेद में दैव की जो प्रबल प्रसिद्धि है , उसकी असंगति हो जायेगी और दुर्बल दैव के अभाव में उसकी अपेक्षा पुरुषप्रयत्न की प्रबलता का प्रतिपादन करनेवाली उक्ति के साथ विरोध होगा।
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