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पुष्पधन्वा meaning in Hindi

pronunciation: [ pusepdhenvaa ]
पुष्पधन्वा meaning in English

Examples

  1. २ . महामन्मथ रसायन एक गोली + स्वर्ण बंग एक रत्ती + ताप्यादि लौह एक रत्ती + चंद्रप्रभा वटी एक गोली + पुष्पधन्वा रस एक गोली इन सबकी एक खुराक बनाएं व एक चम्मच उत्तम कोटि के च्यवनप्राश के साथ सुबह लीजिये ३ .
  2. २ . महामन्मथ रसायन एक गोली + स्वर्ण बंग एक रत्ती + ताप्यादि लौह एक रत्ती + चंद्रप्रभा वटी एक गोली + पुष्पधन्वा रस एक गोली इन सबकी एक खुराक बनाएं व एक चम्मच उत्तम कोटि के च्यवनप्राश के साथ सुबह लीजिये ३ .
  3. अपने विभ्रम , हर्ष एवम् दर्प नामक तीनों पुत्रों तथा अरति , प्रीति तथा तृषा नामक पुत्रियों सहित पुष्पधन्वा ‘ मार ' संसार को मोहित करने वाले अपने पांचों बाणों को लेकर अश्वत्थ वृक्ष के मूल में स्थित प्रशान्तमूर्ति समाधिस्थ सर्वार्थसिद्ध को भौतिक प्रलोभनों से विचलित करने का असफल प्रयास करता है।
  4. उल्लेखनीय है कि कामदेव प्राणीमात्र की कोमल भावनाओं के देवता हैं और उन्हें मदन , मन्मथ , प्रद्युम्न , मीनकेतन , कन्दर्प , दर्पक , अनंग , काम , पञ्चशर , स्मर , शंबरारि , मनसिज ( मनोज ) , कुसुमेषु , अनन्यज , पुष्पधन्वा , रतिपति , मकरध्वज तथा विश्वकेतु के नाम से भी जाना जाता है।
  5. उल्लेखनीय है कि कामदेव प्राणीमात्र की कोमल भावनाओं के देवता हैं और उन्हें मदन , मन्मथ , प्रद्युम्न , मीनकेतन , कन्दर्प , दर्पक , अनंग , काम , पञ्चशर , स्मर , शंबरारि , मनसिज ( मनोज ) , कुसुमेषु , अनन्यज , पुष्पधन्वा , रतिपति , मकरध्वज तथा विश्वकेतु के नाम से भी जाना जाता है।
  6. आशा है कि आपको आपकी इस गलती का भी एहसास होगा , लीजिये उपचार प्रस्तुत है इसे कम से कम तीन माह तक लीजिये और तेलीय , मिर्च-मसालेदार , खट्टॆ भोजन से परहेज रखिये- १ . पूर्ण चंद्र रस एक गोली + पुष्पधन्वा रस एक गोली + मन्मथ रस एक गोली की एक मात्रा बनाएं व हलके गर्म मीठे दूध से दिन में दो बार भोजन के बाद लें।
  7. दैहिक नैकट्य का बहुआयामी प्रकटन ज़्यादातर अनंग और रति के युग्म में , कभी पुष्पधन्वा संग पुष्पधन्वा की सहगामिता में या फिर रति सह रति के मदनोत्सव में ! इसके इतर स्मर और रति पृथक पृथक संग चतुष्पाद प्राणी वगैरह वगैरह ! आशय यह कि देह राग का विस्तार देह साम्य से देह असाम्य तक ! आयु , जाति , धर्म , भाषा , रंग , सौंदर्य , आंचलिकताओं की सरहदों और सल्तनतों को लांघते हुए बारहा !
  8. दैहिक नैकट्य का बहुआयामी प्रकटन ज़्यादातर अनंग और रति के युग्म में , कभी पुष्पधन्वा संग पुष्पधन्वा की सहगामिता में या फिर रति सह रति के मदनोत्सव में ! इसके इतर स्मर और रति पृथक पृथक संग चतुष्पाद प्राणी वगैरह वगैरह ! आशय यह कि देह राग का विस्तार देह साम्य से देह असाम्य तक ! आयु , जाति , धर्म , भाषा , रंग , सौंदर्य , आंचलिकताओं की सरहदों और सल्तनतों को लांघते हुए बारहा !
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