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निर्व्याज meaning in Hindi

pronunciation: [ nirevyaaj ]
निर्व्याज meaning in English

Examples

  1. पर सच कहूँ तो उसके ‘ मुझे औरत चाहिए ' के निर्व्याज कथन ने ही मुझे निरस्त्र कर दिया - मुझे भी लगा कि इस जन्तुत्व के स्तर पर मानव ताड़नीय नहीं , दयनीय है।
  2. इस दृष्टि से इस में नारी मन की कोमल भावनाओं , जैसे सखा अर्थात पति के पति निर्व्याज समर्पंण , गृहिणी की छवि ,कर्तव्यपरायणता आदि उदात्त भावनाओं की कुशल व्यंजना हुई है ,जिस ने मुंझे अधिक पभावित किया ।
  3. उनकी संगीत साधना , ज्ञान और स्नेह की निर्व्याज और सतत प्रवाहित स्रोतस्विनी में जिसे भी एक बार अवगाहन करने का सुयोग मिला है , वह इस अनुभूति से कृतार्थता का अनुभव किए बिना नहीं रह सका है।
  4. जैसे सूर्य की किरणें निर्व्याज भाव से सभी को आलोकित करती है , ऊष्मा पहुंचाती है और चांद की किरणें सभी जगह फैलती हैं तथा सभी को अपने धवल-शीतल आगोश में सहलाती और तापमुक्त करती हैं , ....
  5. इस दृष्टि से इस में नारी मन की कोमल भावनाओं , जैसे सखा अर्थात पति के पति निर्व्याज समर्पंण , गृहिणी की छवि , कर्तव्यपरायणता आदि उदात्त भावनाओं की कुशल व्यंजना हुई है , जिस ने मुंझे अधिक पभावित किया ।
  6. जैसे सूर्य की किरणें निर्व्याज भाव से सभी को आलोकित करती है , ऊष्मा पहुंचाती है और चांद की किरणें सभी जगह फैलती हैं तथा सभी को अपने धवल-शीतल आगोश में सहलाती और तापमुक्त करती हैं , कुछ ऐसा ही व्यक्तित्व है अनिता संघवी का।
  7. मैं एक लाचार चीख हूँ तुमसे भीख मांगती हूँ डॉक्टरकि पिताश्री के आने के परअपना चाकू उन्हें थमा देनाऔर कहना- कि मैं भी जिंदगी से जुड़ना चाहती थीमैं भी गरुड़ की तरह तूफान में उड़ना चाहती थीअपनी साठ करोड़ बहनों को बाघिन , शेरनी बनाना चाहती थीऔर सारी दरिंदगी, हैवानियत को इक बारगी ग्रस जाना चाहती थीशोषण के तमाम ठिकानों परबदन से बम बांधकर निर्व्याज बरस जाना चाहती थी ...
  8. सुदर्शना सब ओर से छुटी , इस समूचे अँधेरे सन्नाटे भरे शून्य के बीच में से निरुद्देश्य अनजानी रा ह पर जि सके साथ चली जा रही है , उसी के प्रति वह अपने में शंका कहाँ से लाए ? वह चली ही जा रही है , शब्दहीन , संदेहहीन , निर्व्याज और सम्यगभाव से , जिसे करने को न प्रश्न की आवश्यकता है , न उत्तर की अपेक्षा है।
  9. सुदर्शना सब ओर से छुटी , इस समूचे अँधेरे सन्नाटे भरे शून्य के बीच में से निरुद्देश्य अनजानी रा ह पर जि सके साथ चली जा रही है , उसी के प्रति वह अपने में शंका कहाँ से लाए ? वह चली ही जा रही है , शब्दहीन , संदेहहीन , निर्व्याज और सम्यगभाव से , जिसे करने को न प्रश्न की आवश्यकता है , न उत्तर की अपेक्षा है।
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