नज़र-अन्दाज़ meaning in Hindi
pronunciation: [ nejer-anedaaj ]
Examples
- जबकि मेरे हिसाब से अंग्रेजी में यदि कोई गलती है भी तो उसे नज़र-अन्दाज़ किया जाना चाहिये , क्योंकि वह हिन्दी ब्लॉगरों की भाषा ही नहीं है , लेकिन यदि बाल की खाल न निकाली तो फ़िर महान पत्रकार कैसे कहलायेंगे ?
- जैसे तुम मेरी बातों को अनसुना कर रहो मुमकिन है कि कर रहे होगे समय के बयान को भी नज़र-अन्दाज़ कृतघ्नता की घुट्टी हम सबने अकेले अकेले पी तो है ही समय तो आता नहीं किसी हाथ पकडने खेलो , खाओ , आंखों से गाओ , दिल से बजाओ
- जबकि मेरे हिसाब से अंग्रेजी में यदि कोई गलती है भी तो उसे नज़र-अन्दाज़ किया जाना चाहिये , क्योंकि वह हिन्दी ब्लॉगरों की भाषा ही नहीं है, लेकिन यदि बाल की खाल न निकाली तो फ़िर महान पत्रकार कैसे कहलायेंगे? सीधी तरह तर्कों से बताओ कि ज्यादा “टैग” लगाने से क्या-क्या नुकसान हैं?
- ताजातरीन घटना झारखन्ड की है जहाँ एक नितान्त लँगड़ी अक्षम और व्यावहारिक तौर पर अस्तित्वविहीन सरकार ने उर्दू को द्वितीय भाषा घोषित कर दिया है / ज्ञातव्य है कि इस प्रकार की माँग बंगाली, सन्थाली और अन्य बोलियों की तरफ़ से भी आ रही थी/ मगर इन सबको नज़र-अन्दाज़ करते हुए उर्दू को यह दर्ज़ा देने का फ़ैसला किया गया/
- परन्तु एक बार जो हमारी गाड़ी इलाहाबाद से पचास किलोमीटर दूर कुण्डा की क्रोसिंग पर रुकी तो डराइवर की घुड़की , गनर की वर्दी और छत कीी लाल-बत्ती को नज़र-अन्दाज़ करता हुया, आत्म विश्वास से भरपूर एक दस- बारह साल का बच्चा,पिछली सीट पर विराजमान, शीशा खोल सिगरेट का आनन्द लेते पतिदेव, से बोला- बच्चा- पहाड़े सुनेंगे ? पति- किसका जानते हो ।
- जनाब , वो भी ख़ूबसूरत लगता है , अगर आप उसका हौसला देखें कि जिस इन्सान ने उसे काट डाला हो , उसे नज़र-अन्दाज़ करके अपनी सारी जिजीविषा से वो पेड़ किस ऊर्जा का , किस कोशिश का परिचय देता है वापस अपनी जद्दोजहद शुरू करने में - ताकि वो उसी इन्सान की नस्लों को छाँह और पंछियों को आसरा दे सके।
- परन्तु एक बार जो हमारी गाड़ी इलाहाबाद से पचास किलोमीटर दूर कुण्डा की क्रोसिंग पर रुकी तो डराइवर की घुड़की , गनर की वर्दी और छत कीी लाल-बत्ती को नज़र-अन्दाज़ करता हुया , आत्म विश्वास से भरपूर एक दस- बारह साल का बच्चा , पिछली सीट पर विराजमान , शीशा खोल सिगरेट का आनन्द लेते पतिदेव , से बोला- बच्चा- पहाड़े सुनेंगे ? पति- किसका जानते हो ।
- इस लेखमाला का उद्देश्य यही है कि आप और हम भले ही पाकिस्तान द्वारा पढ़ाये जा रहे इस प्रकार के पाठ्यक्रम को पढ़कर या तो हँसें या गुस्से में अपना माथा पीटें , लेकिन सच तो यही है कि पाकिस्तान में 1971 के बाद पैदा हुई पूरी एक-दो पीढ़ियाँ यही पढ़-पढ़कर बड़ी हुई हैं और फ़िर भी हम उम्मीद कर रहे हैं कि पाकिस्तान कभी हमारा दोस्त बन सकता है ? जो खतरा साफ़-साफ़ मंडरा रहा है उसे नज़र-अन्दाज़ करना समझदारी नहीं है।