×

टिपटिप meaning in Hindi

pronunciation: [ tipetip ]
टिपटिप meaning in English

Examples

  1. टिपटिप , टिपटिप, टिपटिप, पेङ सारे नहाये हुये, कुछ ज्यादा ही हरे और चहक रहे हैं माँ ने आज कटहल बनाया है, बेसन में संधा हुआ, महक पूरे घर से शायद पङोस के शर्मा जी के घर तक जा रही है, दीवारे भीगी हुई अपने रंग से थोङी फीकी, सीमेंट और सफेदी कि सोंधी खुशबू,
  2. टिपटिप , टिपटिप, टिपटिप, पेङ सारे नहाये हुये, कुछ ज्यादा ही हरे और चहक रहे हैं माँ ने आज कटहल बनाया है, बेसन में संधा हुआ, महक पूरे घर से शायद पङोस के शर्मा जी के घर तक जा रही है, दीवारे भीगी हुई अपने रंग से थोङी फीकी, सीमेंट और सफेदी कि सोंधी खुशबू,
  3. टिपटिप , टिपटिप, टिपटिप, पेङ सारे नहाये हुये, कुछ ज्यादा ही हरे और चहक रहे हैं माँ ने आज कटहल बनाया है, बेसन में संधा हुआ, महक पूरे घर से शायद पङोस के शर्मा जी के घर तक जा रही है, दीवारे भीगी हुई अपने रंग से थोङी फीकी, सीमेंट और सफेदी कि सोंधी खुशबू,...
  4. टिपटिप , टिपटिप, टिपटिप, पेङ सारे नहाये हुये, कुछ ज्यादा ही हरे और चहक रहे हैं माँ ने आज कटहल बनाया है, बेसन में संधा हुआ, महक पूरे घर से शायद पङोस के शर्मा जी के घर तक जा रही है, दीवारे भीगी हुई अपने रंग से थोङी फीकी, सीमेंट और सफेदी कि सोंधी खुशबू,...
  5. टिपटिप , टिपटिप, टिपटिप, पेङ सारे नहाये हुये, कुछ ज्यादा ही हरे और चहक रहे हैं माँ ने आज कटहल बनाया है, बेसन में संधा हुआ, महक पूरे घर से शायद पङोस के शर्मा जी के घर तक जा रही है, दीवारे भीगी हुई अपने रंग से थोङी फीकी, सीमेंट और सफेदी कि सोंधी खुशबू,...
  6. टिपटिप , टिपटिप, टिपटिप, पेङ सारे नहाये हुये, कुछ ज्यादा ही हरे और चहक रहे हैं माँ ने आज कटहल बनाया है, बेसन में संधा हुआ, महक पूरे घर से शायद पङोस के शर्मा जी के घर तक जा रही है, दीवारे भीगी हुई अपने रंग से थोङी फीकी, सीमेंट और सफेदी कि सोंधी खुशबू,...
  7. करोड़ो करोड़ो तितलियाँ ३५०० किमी का फासला तय करती हैं . जब यह तितलियाँ एक साथ उडती हैं तो पूरा आसमान भर जाता है और इनके पंख के फडाफडाने से ऐसी आवाज़ होती है जैसे हल्की सी बारिश हो रही हो .सोचो कितना सुन्दर लगता होगा यह दृश्य .जिधर देखो उधर तितली उड़ रही है और टिपटिप बूंदों सी आवाज़ आ रही है.
  8. इसी विशाल संयोजन में हामिद मियां की याद , दुनिया में घूमती हुई ताक़त की चाक और उस पर बिगड़ती हुनर की लय , ऐसी ज़मीन जो मात्र बेचने के लिए ख़रीदी जाती है , पूरन-पात पर जलकण का टपटप बिम् ब , काग़ज़ की चौड़ी हथेली पर निबों की टिपटिप , अंग-विकल बीमार भाई की समकालीन याद - कोई खींच रहा जिसके शरीर से लहू द्रुतधावकों की शिराओं के लिए।
  9. ( १) आकुल नभ नीरव रात का मौन और बूँद-बूँद पानी की यह टिपटिप सिहरता रहा आकुल नभ और बेचैन उँगलियाँ मिटाती गइँ बारबार सुनहरा एक अक्स पानी की सतह पर थिरकता और नाचता झिलमिल वो चादर लहर-लहर बिंधीं-गुथी तारों-जड़ी धाती नभकी पलभर को भी ना अपनी ललक की डोर पे डोल आया नटी मन- सँधे पैर फिर काँपे आसाँ तो नहीं होता पलट के लौट पाना मन में छुपी हसरतें और अँजुरियों में उकेर लाना-
  10. ( १ ) आकुल नभ नीरव रात का मौन और बूँद-बूँद पानी की यह टिपटिप सिहरता रहा आकुल नभ और बेचैन उँगलियाँ मिटाती गइँ बारबार सुनहरा एक अक्स पानी की सतह पर थिरकता और नाचता झिलमिल वो चादर लहर-लहर बिंधीं-गुथी तारों-जड़ी धाती नभकी पलभर को भी ना अपनी ललक की डोर पे डोल आया नटी मन- सँधे पैर फिर काँपे आसाँ तो नहीं होता पलट के लौट पाना मन में छुपी हसरतें और अँजुरियों में उकेर लाना-
More:   Prev  Next


PC Version
हिंदी संस्करण


Copyright © 2023 WordTech Co.