जिन्दा करना meaning in Hindi
pronunciation: [ jinedaa kernaa ]
Examples
- रणवीर ने कहा कि फिल्म ‘ लुटेरा ' के हर शॉट के लिए मुझे काफी प्रैक्टिस और मेहनत करनी पड़ी क्योंकि मुझे ‘ लुटेरा ' में 50 के दशक की प्रेम कहानी को जिन्दा करना था .
- ऐसे ही कुरान के अनुसार मूसा ने एक पत्थर पर डंडा मारा और उससे पानी के चश्मे बह निकले , मुहम्मद साहिब द्वारा चाँद के दो टुकड़े करना , मुहम्मद साहिब द्वारा एक मुर्दा लड़की को जिन्दा करना आदि आदि .
- मैंने उन्हें कहा की जल्दी से जल्दी भाषा और संस्कृति को जिन्दा कीजिए नहीं तो कागज का कोई जहाज बनाकर उड़ा दिया तो खैर नहीं साथ की कहा की समाज दस्तूर से चलता है न की कानून से , इसीलिए दस्तूर को जिन्दा करना भी जरुरी है।
- वैसे हाला और मधुशाला पर बहुत कुछ लिखा गाया है पर मेरी कोशिश आज यहाँ मधुशाला को दूसरे रूप में जिन्दा करना है . “बाला” जो की यहाँ “मन” के रूप में होगी, “मधुशाला” “देवाला” और “हाला” “माला” के रूप में. मैंने “बाला” पर जादा जोर दिया है, की वह क्यों देवाला जाती...
- तब सब पीर व मौल्वियों ने मिलकर मक्का मदीना में खबर दी कि हिन्दुओं में एक महान पीर पैदा हो गया है , मरे हुए प्राणी को जिन्दा करना, अन्धे को आँखे देना, अतिथियों की सेवा करना ही अपना धर्म समझता है, उसे रोका नहीं गया तो इस्लाम संकट में पड़ जाएगा।
- वैसे हाला और मधुशाला पर बहुत कुछ लिखा गाया है पर मेरी कोशिश आज यहाँ मधुशाला को दूसरे रूप में जिन्दा करना है . “बाला” जो की यहाँ “मन” के रूप में होगी, “मधुशाला” “देवाला” और “हाला” “माला” के रूप में. मैंने “बाला” पर जादा जोर दिया है, की वह क्यों देवाला जाती
- तब सब पीर व मौल्वियों ने मिलकर मक्का मदीना में खबर दी कि हिन्दुओं में एक महान पीर पैदा हो गया है , मरे हुए प्राणी को जिन्दा करना, अन्धे को आँखे देना, अतिथियों की सेवा करना ही अपना धर्म समझता है, उसे रोका नहीं गया तो इस्लाम संकट में पड़ जाएगा।
- रोजाना मरें ये जरुर मेरे साथ होता रहता है रोजाना खुद को बहलाना पडता है , जिन्दा करना पडता है और रात को सोने से पहले खुद को मारना पडता है इसलिए यह गीत मुझे प्रिय है लेकिन किसी की याद मे नही अपनी वजूद की लडाई के रोजाना यह सब करना पडता है।
- रोजाना मरें ये जरुर मेरे साथ होता रहता है रोजाना खुद को बहलाना पडता है , जिन्दा करना पडता है और रात को सोने से पहले खुद को मारना पडता है इसलिए यह गीत मुझे प्रिय है लेकिन किसी की याद मे नही अपनी वजूद की लडाई के रोजाना यह सब करना पडता है।
- उनसे क्या ऐसी जंग या आंदोलन की उम्मीद कर सकते हैं . मुर्दों को जीवित करने की दवाई आज तक हमारे देश क्या पूरे विश्व में तैयार नहीं हुई है.सोये हुए व्यक्तियों को उठाना फिर भी आसान है,मगर मरे हुए लोगों को जिन्दा करना मुश्किल काम है.इसके अलावा श्री चन्दन कुमार मिश्र जी के व्यक्त विचारों पूर्णत: