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ग़लत-सलत meaning in Hindi

pronunciation: [ gaelet-selt ]
ग़लत-सलत meaning in English

Examples

  1. वास्तव में , जब नन्दीग्राम और सिंगूर के समय किसान प्रश्न पर एक बहस शुरू हुई थी तो माकपा के बुद्धिजीवी मार्क् सवादी-लेनिनवादी पार्टियों के अधकचरे बुद्धिजीवियों पर हावी हो गये थे , और वह भी मार्क् सवाद को विकृत करके और ग़लत-सलत तर्क और तथ्य देते हुए !
  2. लेकिन उन्होंने अपने बुंदेले होने को उस तरह साहित्यिक या भाषाई वैधता या रियायत की रिरियाती राजनीति का धंधा नहीं बनाया , जैसा हिंदी के विरुद्ध असफल नमकहराम षड्यंत्र कर रहे, ग़लत-सलत भाषा लिखनेवाले कुछ चालाक, दोमुंहे, प्रतिभाशून्य हुडुकलुल्लू-मार्का कवि-लेखक लोक-लोक करते हुए अपनी आंचलिक भाषाओँ को बनाए डाल रहे हैं.
  3. लेकिन उन्होंने अपने बुंदेले होने को उस तरह साहित्यिक या भाषाई वैधता या रियायत की रिरियाती राजनीति का धंधा नहीं बनाया जैसा हिंदी के विरुद्ध असफल नमकहराम षड्यंत्र कर रहे , ग़लत-सलत भाषा लिखनेवाले कुछ चालाक , दोमुंहे , प्रतिभाशून्य हुडुकलुल्लू-मार्का कवि-लेखक लोक-लोक करते हुए अपनी आंचलिक भाषाओँ को बनाए डाल रहे हैं .
  4. लेकिन उन्होंने अपने बुंदेले होने को उस तरह साहित्यिक या भाषाई वैधता या रियायत की रिरियाती राजनीति का धंधा नहीं बनाया जैसा हिंदी के विरुद्ध असफल नमकहराम षड्यंत्र कर रहे , ग़लत-सलत भाषा लिखनेवाले कुछ चालाक , दोमुंहे , प्रतिभाशून्य हुडुकलुल्लू-मार्का कवि-लेखक लोक-लोक करते हुए अपनी आंचलिक भाषाओँ को बनाए डाल रहे हैं .
  5. चला जो तीर बेसबब , बहा जो नीर बेसबब उठी जो अह्ले-अम्न के दिलों में पीर बेसबब कहीं पे कुछ घटा नहीं , कहीं पे कुछ बढ़ा नहीं यहाँ पे मीर बेसबब , यहाँ कबीर बेसबब न जाने क्या लिखा गया , न जाने क्या पढ़ा गया जहाँ में यार अम्न की किताब सब ग़लत-सलत हुज़ूर सब ग़लत-सलत ! जनाब सब ग़लत-सलत !
  6. चला जो तीर बेसबब , बहा जो नीर बेसबब उठी जो अह्ले-अम्न के दिलों में पीर बेसबब कहीं पे कुछ घटा नहीं , कहीं पे कुछ बढ़ा नहीं यहाँ पे मीर बेसबब , यहाँ कबीर बेसबब न जाने क्या लिखा गया , न जाने क्या पढ़ा गया जहाँ में यार अम्न की किताब सब ग़लत-सलत हुज़ूर सब ग़लत-सलत ! जनाब सब ग़लत-सलत !
  7. चला जो तीर बेसबब , बहा जो नीर बेसबब उठी जो अह्ले-अम्न के दिलों में पीर बेसबब कहीं पे कुछ घटा नहीं , कहीं पे कुछ बढ़ा नहीं यहाँ पे मीर बेसबब , यहाँ कबीर बेसबब न जाने क्या लिखा गया , न जाने क्या पढ़ा गया जहाँ में यार अम्न की किताब सब ग़लत-सलत हुज़ूर सब ग़लत-सलत ! जनाब सब ग़लत-सलत !
  8. न फूल की न ख़ार की , न जुस्तजू बहार की जिगर को अब कोई तलब , न जीत की न हार की उदास है कली इधर , ग़ुलों में बेक़ली उधर जली-बुझी , बुझी-जली , है शम्अ इंतज़ार की न जाने वो कहाँ गया , न जाने मैं कहाँ गया हुआ है ज़िन्दगी में सब ख़राब सब ग़लत-सलत हुज़ूर सब ग़लत-सलत ! जनाब सब ग़लत-सलत !
  9. न फूल की न ख़ार की , न जुस्तजू बहार की जिगर को अब कोई तलब , न जीत की न हार की उदास है कली इधर , ग़ुलों में बेक़ली उधर जली-बुझी , बुझी-जली , है शम्अ इंतज़ार की न जाने वो कहाँ गया , न जाने मैं कहाँ गया हुआ है ज़िन्दगी में सब ख़राब सब ग़लत-सलत हुज़ूर सब ग़लत-सलत ! जनाब सब ग़लत-सलत !
  10. न फूल की न ख़ार की , न जुस्तजू बहार की जिगर को अब कोई तलब , न जीत की न हार की उदास है कली इधर , ग़ुलों में बेक़ली उधर जली-बुझी , बुझी-जली , है शम्अ इंतज़ार की न जाने वो कहाँ गया , न जाने मैं कहाँ गया हुआ है ज़िन्दगी में सब ख़राब सब ग़लत-सलत हुज़ूर सब ग़लत-सलत ! जनाब सब ग़लत-सलत !
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