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ख़ुदग़र्ज़ी meaning in Hindi

pronunciation: [ kheudegaerejei ]
ख़ुदग़र्ज़ी meaning in English

Examples

  1. इसके बाद भी ख़याल रहे के हर वाली के कुछ मख़सूस और राज़दार क़िस्म के अफ़राद होते हैं जिनमें ख़ुदग़र्ज़ी दस्ते दराज़ी और मुआमलात में बेइन्साफ़ी पाई जाती है लेहाज़ा ख़बरदार ऐसे अफ़राद के फ़साद काा इलाज इन असबाब के ख़ातमे से करना जिनसे यह हालात पैदा होते हैं।
  2. इस में सख़्त तरफ़दारी और ख़ुदग़र्ज़ी पायी जाती है क्योंकि अगर दुशमनी की सज़ा शेर के मुँह में डालना ही है तो फिर हम को किसी से दुशमनी करने की पादाश में शेर के मुँह में क्यों न डाला जाये पस बक़ौल स्वामी दयानन्द ये महज़ ख़ुदग़र्ज़ लोगों की तालीम है।
  3. जिस व्यवस्था से आदमी फ़ायदा उठाता है उसे बनाये रखने की ज़िम्मेदारी भी उस आदमी पर खुद-ब-खुद आयद हो जाती है और जो आदमी अपनी ख़ुदग़र्ज़ी या बीमार मानसिकता के चलते उस व्यवस्था की जड़ काटने पर तुल जाये और समझाने से भी न समझे तो फिर उसे मुनासिब सज़ा दिया जाना ज़रूरी है।
  4. ग़ज़ल एक ग़ज़ल जिसे आप शिकायत समझें या समाज में बढ़ते जा रहे ख़ुदग़र्ज़ी के जज़्बे से एक लम्हे भर को दुखी हुए मन की पीर , लेकिन मेरे लिये ये एहसास लम्हाती था मैं आज भी बहुत पुर उम्मीद हूँ क्योंकि आज भी समाज में उन लोगों का फ़ीसद ज़्यादा है जो बे ग़रज़ और बेलौस जज़्बे के साथ काम करते हैं
  5. क्यों उदास हुए महबूब मेरे ? क्यों उदास हुए महबूब मेरे?कुछ ठोकरें लगीं, थोड़े घुटने छिले,माना दुनिया से हैं शिकवे-ग़िले,पर बदलेगी थोड़ी दुनियाबदलेंगे थोड़े हमफिर क्यों भला रहे हमें उदासियाँ घेरे?क्यों उदास हुए महबूब मेरे?कुछ तो बचपना था, कुछ समझदारी थी कुछ तो समझ ख़ुदग़र्ज़ी से हारी थी,पर भलाई करने कीकोशिश भी तो थी,फिर क्यों भला रहे हमें उदासियाँ घेरे?क्यों उदास हुए महबूब मेरे?
  6. हिंदी में उनकी एक लोकप्रिय रचना है- अजी वाह क्या बात तुम्हारी तुम तो पानी के व्यापारी सारा पानी चूस रहे हो नदी समंदर लूट रहे हो गंगा यमुना की छाती पर कंकड़ पत्थर कूट रहे हो उफ़ तुम्हारी ए ख़ुदग़र्ज़ी चलेगी कब तक ए मनमर्ज़ी जिस दिन डोलेगी ए धरती सर से निकलेगी सब मस्ती दिल्ली देहरादून में बैठे योजनकारी तब क्या होगा वर्ल्ड बैंक के टोकनधारी तब क्या होगा .
  7. छीन लिया दुनिया ने सब कुछ फिर भी मैं आबाद रहा जब जब मुझको हंसते देखा लोग पड़े हैरानी में और एक और शे ' र जिसे नीरज जी ने भी कोट किया है , हर जुबान पर चढ़ कर बोलने वाला है यह शे ' र ख़ुदग़र्ज़ी और चालाकी में डूब गई है ये दुनिया वरना सारा ज्ञान छुपा है बच्चों की नादानी में वाह किस सरलता से इतनी बड़ी बात की है देवमणि जी ने .... बढ़ाई उनको मेरे तरफ से भी ...
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