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कुम्हलाना meaning in Hindi

pronunciation: [ kumhelaanaa ]
कुम्हलाना meaning in English

Examples

  1. इस ऋण एक पुनर्वास कार्यक्रम है जो उधारकर्ताओं ऋण में घर मरम्मत और घर मरम्मत के कुछ प्रकार की लागत वित्त करने की अनुमति देता है , कुम्हलाना यह एक घर खरीदने या वे कर रहे हैं एक वे पहले से ही किया जाना है.
  2. इस ऋण एक पुनर्वास कार्यक्रम है जो उधारकर्ताओं ऋण में घर मरम्मत और घर मरम्मत के कुछ प्रकार की लागत वित्त करने की अनुमति देता है , कुम्हलाना यह एक घर खरीदने या वे कर रहे हैं एक वे पहले से ही किया जाना है.
  3. अपने इसी लेख में प्रभाष जोशी राजीव की खूबियों का वर्णन करते हुए लिखते हैं- ‘‘ वे भले ही कोमल और सुंदर लगते हों पर बढ़ते हाथ से उनमें लाजवंती जैसा कुम्हलाना नहीं है , न कछुए की तरह अपने सारे अंग वे ढाल की पीठ के नीचे सिकोड़ते हैं ...
  4. काली रूखी गदबदा बदन , कांसे की पायल झमकाती सिर पर फूलों की डलिया ले , हर रोज़ सुबह मालिन आती ले गई हज़ारों हार निठुर , पर मुझको अब तक नहीं छुआ मेरी दो पंखुरियों से ही , क्या डलिया भारी हो जाती मैं मन को समझाता कहकर , कल को ज़रूर ले जाएगी कोई पूरबला पाप उगा , शायद यूँ ही हो कुम्हलाना
  5. कैसे सोहर गीत लोरियाँ में वे कहते हैं- हम मरू -कानन के फूल , हमारा खिलना क्या , कुम्हलाना क्या ? बिन मान मनौती व्रत जप तप , अनवांछित जैसे बड़े हुए लू लपटों ने झुलसाया हरदम , हठयोगी जैसे खड़े हुए मिली-जुली कविताओं के इस संग्रह में कहीं-कहीं व्यंग्य तथा कटाक्ष के भी दर्शन होते हैं एवं सामाजिक होड़ पर की गई चोट भी दिखाई देती है।
  6. कैसे सोहर गीत लोरियाँ में वे कहते हैं- हम मरू -कानन के फूल , हमारा खिलना क्या , कुम्हलाना क्या ? बिन मान मनौती व्रत जप तप , अनवांछित जैसे बड़े हुए लू लपटों ने झुलसाया हरदम , हठयोगी जैसे खड़े हुए मिली-जुली कविताओं के इस संग्रह में कहीं-कहीं व्यंग्य तथा कटाक्ष के भी दर्शन होते हैं एवं सामाजिक होड़ पर की गई चोट भी दिखाई देती है।
  7. काश ! ज़िन्दगी इन हसीन वादियों में ही गुजर जाती .कभी वक्त की धूप ना इस पर आती मगर वक्त कब माना है उसे तो आना है और हर फूल को कभी ना कभी तो कुम्हलाना है ............ये वक्त की लकीरें कब तुम्हारे चेहरे पर उतर आई और तुमसे तुम्हारी जिंदादिली और मुस्कुराहट सब चुरा ले गयी ...............और तुम भी दाल रोटी की जुगाड़ में अपने जीवन को होम करते गए ..........हर ख़ुशी की आहुति देते गए और मैं साए की तरह तुम्हारे अस्तित्व पर पड़ते इन सायों की राजदार बनती गयी .
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