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असंख्यात meaning in Hindi

pronunciation: [ asenkheyaat ]
असंख्यात meaning in English

Examples

  1. यह इसकी अवगाहन शक्ति की विशेषता है कि असंख्यात प्रदेशी लोकाकाश में अनन्तानन्त जीव , अनन्तानन्त पुद्गल , असंख्यात कालाणू , एक असंख्यात प्रदेशी धर्मद्रव्य और एक असंख्यात प्रदेशी अधर्म द्रव्य ये सब परस्पर के अविरोधपूर्वक अवस्थित हैं।
  2. यह इसकी अवगाहन शक्ति की विशेषता है कि असंख्यात प्रदेशी लोकाकाश में अनन्तानन्त जीव , अनन्तानन्त पुद्गल , असंख्यात कालाणू , एक असंख्यात प्रदेशी धर्मद्रव्य और एक असंख्यात प्रदेशी अधर्म द्रव्य ये सब परस्पर के अविरोधपूर्वक अवस्थित हैं।
  3. यह इसकी अवगाहन शक्ति की विशेषता है कि असंख्यात प्रदेशी लोकाकाश में अनन्तानन्त जीव , अनन्तानन्त पुद्गल , असंख्यात कालाणू , एक असंख्यात प्रदेशी धर्मद्रव्य और एक असंख्यात प्रदेशी अधर्म द्रव्य ये सब परस्पर के अविरोधपूर्वक अवस्थित हैं।
  4. यह इसकी अवगाहन शक्ति की विशेषता है कि असंख्यात प्रदेशी लोकाकाश में अनन्तानन्त जीव , अनन्तानन्त पुद्गल , असंख्यात कालाणू , एक असंख्यात प्रदेशी धर्मद्रव्य और एक असंख्यात प्रदेशी अधर्म द्रव्य ये सब परस्पर के अविरोधपूर्वक अवस्थित हैं।
  5. और दिल में घुमड़ने वाली वे लाखों बचैनियां , कसमसाहटें , परेशानियां , जज़्बात और असंख्यात विचार जो किसी न किसी तरह बातों से ही जन्में है और खुद को शब्द देने के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं ..
  6. समवशरण में असंख्यात देव-देवियाँ तिर्यंच और मनुष्य नम्रीभूत होकर प्रभु से सन्मार्ग देने की प्रार्थना कर रहे थे पर केवलज्ञान होने के उपरांत भी शिष्यरूपी श्रेष्ठ पात्र के अभाव में प्रभु की दिव्यध्वनि ६ ५ दिन तक नहीं खिरी।
  7. ऐसे असंख्यात समयों की एक आवलि , संख्यात आवलियों का एक उच्छ्वास, सात उच्छ्वासों का एक स्तोक, सात स्तोकों का एक लव, ३८ १/२ लवों की एक नाली, २ नालियों का एक मुहूर्त और ३० मूहूर्त का एक अहोरात्र होता है।
  8. इसका कारण यह है कि उसे एक-एक अणुरूप माना गया है और वे अणुरूप काल द्रव्य असंख्यात हैं , क्योंकि वे लोकाकाश के , जो असंख्यात प्रदेशों वाला है , एक-एक प्रदेश पर एक-एक जुदे-जुदे रत्नों की राशि की तरह अवस्थित हैं।
  9. इसका कारण यह है कि उसे एक-एक अणुरूप माना गया है और वे अणुरूप काल द्रव्य असंख्यात हैं , क्योंकि वे लोकाकाश के , जो असंख्यात प्रदेशों वाला है , एक-एक प्रदेश पर एक-एक जुदे-जुदे रत्नों की राशि की तरह अवस्थित हैं।
  10. जितने आकाश में , जो उसका असंख्यात वां भाग है , जीव , पुद्गल , धर्म , अधर्म और काल ये पांच द्रव्य पाये जाते हैं वह लोकाकाश है और उसके चारों ओर केवल एक आकाश द्रव्य है और जो चारों ओर अनन्त-अनन्त है वह अलोकाकाश हे।
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