अविरुद्ध meaning in Hindi
pronunciation: [ avirudedh ]
Examples
- चेट , राजपुत्र और सेठों के लिये अर्घमागधी; विदूषकादि के लिये प्राच्या; नायिका एवं सखियों के लिये अर्धमागघी; विदूषकादि के लिये प्राच्या; नायिका एवं सखियों के लिये शौरसेनी से अविरुद्ध आवंती;
- चेट , राजपुत्र और सेठों के लिये अर्घमागधी; विदूषकादि के लिये प्राच्या; नायिका एवं सखियों के लिये अर्धमागघी; विदूषकादि के लिये प्राच्या; नायिका एवं सखियों के लिये शौरसेनी से अविरुद्ध आवंती;
- किसी कारोबार अथवा गैर-लाभकारी संगठन के सन्दर्भ में , शासन का तात्पर्य अविरुद्ध प्रबंधन , एकीकृत नीतियों , मार्गदर्शन , प्रक्रियाओं और किसी दिए गए क्षेत्र के निर्णायक-अधिकारों से संबंधित है .
- लगभग पच्चीस सौ वर्ष पूर्व महावीर स्वामी ने स्याद्वाद् के सिद्धान्त की प्रतिपादन किया और कहा- एक ही वस्तु में देश , काल तथा अवस्था-भेद से अनेक विरुद्ध या अविरुद्ध धर्मो का होना सम्भव है।
- उन्होंने यह भी प्रमाणित किया कि यद्यपि उपनिषद , ब्राह्मण तथा धर्मशास् त्र ऋषिप्रणीत हैं किन्तु वे वेदों पर ही निर्भर हैं और उनकी मान्यता तभी तक है जहाँ तक वे वेदानुकूल तथा वेदों से अविरुद्ध हैं ।
- इसीलिए कृष्ण कहते हैं- “ धर्माविरुद्धो भूतेषु कामोस्मि भरतर्षभ । ” -मैं जीवमात्र में धर्म के अविरुद्ध रहने वाला ' काम ' हूँ . साफ है कि जो इच्छा धर्म के विरुद्ध जाए वह काम का विकृत रूप है .
- मनोरथी , सारोकारी 9 . प्रसिद्ध ( बंगाली ) भारतीय क्रिकेटर का अंतिम ( जाति ) नाम 10 . अनुसार , अविरुद्ध , माफिक , अनुगत , रास , अनुरूप , अनुसर , मुवाफिक , मुआफ़िक़ , मुताबिक़ , मुताबिक ; जो किसी के अनुरूप या मुआफिक हो 12 .
- मनोरथी , सारोकारी 9 . प्रसिद्ध ( बंगाली ) भारतीय क्रिकेटर का अंतिम ( जाति ) नाम 10 . अनुसार , अविरुद्ध , माफिक , अनुगत , रास , अनुरूप , अनुसर , मुवाफिक , मुआफ़िक़ , मुताबिक़ , मुताबिक ; जो किसी के अनुरूप या मुआफिक हो 12 .
- धर्म और संस्कृति भी एक ही अर्थ में प्रयोग होता है लेकिन अन्त में एक सूक्ष्म भेद हो जाता है जिसको मोटे तौर पर कह सकते हैं कि धर्म केवल शस्त्रेयीकसमधिगम्य है , अर्थात् शास्त्र के आदेशानुरूप कृत्य धर्म है जब कि संस्कार में शास्त्र से अविरुद्ध लौकिक कर्म भी परिगणित होता है।
- क्रूरा नराः पापरता न यन्ति प्रज्ञाविहीनाः पशुहिंसकास्तत् ॥ २ ॥ / big > == भूमिका == वे धर्मात्मा विद्वान् लोग धन्य हैं , जो ईश् वर के गुण , कर्म्म , स्वभाव , अभिप्राय , सृष् टि-क्रम , प्रत्यक्षादि प्रमाण और आप् तों के आचार से अविरुद्ध चलके सब संसार को सुख पहुँचाते हैं ।