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अवधी बोली meaning in Hindi

pronunciation: [ avedhi boli ]
अवधी बोली meaning in English

Examples

  1. यह ग्रंथ हिन्दी की पुरानी कोशली या अवधी बोली बोलने वालों के लिए संस्कृत सिखाने वाला एक मैनुअल है , जिसमें पुरानी अवधी के व्याकरणिक रूपों के समानान्तर संस्कृत रूपों के साथ पुरानी कोशली एवं संस्कृत दोनों में उदाहरणात्मक वाक्य
  2. इस ग्रंथ में हिन्दी की पुरानी कोशली या अवधी बोली बोलने वालों के लिए संस्कृत सिखाने वाला एक मैनुअल है , जिसमें पुरानी अवधी के व्याकरणिक रूपों के समानान्तर संस्कृत रूपों के साथ पुरानी कोशली एवं संस्कृत दोनों में उदाहरणात्मक वाक्य दिये गये हैं।
  3. यह ग्रंथ हिन्दी की पुरानी कोशली या अवधी बोली बोलने वालों के लिए संस्कृत सिखाने वाला एक मैनुअल है , जिसमें पुरानी अवधी के व्याकरणिक रूपों के समानान्तर संस्कृत रूपों के साथ पुरानी कोशली एवं संस्कृत दोनों में उदाहरणात्मक वाक्य दिये गये हैं ।
  4. यह ग्रंथ हिन्दी की पुरानी कोशली या अवधी बोली बोलने वालों के लिए संस्कृत सिखाने वाला एक मैनुअल है , जिसमें पुरानी अवधी के व्याकरणिक रूपों के समानान्तर संस्कृत रूपों के साथ पुरानी कोशली एवं संस्कृत दोनों में उदाहरणात्मक वाक्य दिये गये हैं ।
  5. इस ग्रंथ में हिन्दी की पुरानी कोशली या अवधी बोली बोलने वालों के लिए संस्कृत सिखाने वाला एक मैनुअल है , जिसमें पुरानी अवधी के व्याकरणिक रूपों के समानान्तर संस्कृत रूपों के साथ पुरानी कोशली एवं संस्कृत दोनों में उदाहरणात्मक वाक्य दिये गये हैं।
  6. तौ लेउ आनन्द- अब जिउ मां धरु धीर , राम की प्यारी अवधी बोली बारह जिला अवध के ब्वालें और अगरा के आठ रीवां, विंध्य, अमरकंटक, से छत्तिसगढ़ लौं पाठ बुंन्देलिन अवधी की चेली, कनवज वाली बांदी ब्रजभाषा सबकी मुंहचुमनी, भोजपुरी उदमादी तुइ पर मस्त गंवार गंवारिन, हंसिहंसि करैं चबोली।
  7. इतने उत्साहपूर्ण मतदान के बाद यह सहज ही था कि शाम को चौपालं बैठे- मुझसे मिल कर बातचीत करने को , बनारस के चुनाव परिणामों पर जहाँ से मुरली मनोहर जोशी जी अपनी तकदीर आजमा रहे हैं पर वार्ता के लिए लोग उत्सुक थे ! विचार मंथन की प्रस्तावना शुरू हुई ! थोड़ा अवधी बोली भी जरा झेलिये तो -
  8. वहीं मध्य एवं उत्तरी भारत की किसी भी आर्य देशी भाषा ( Vernacular) का प्राचीनतम व्याकरण कोई तीन सौ वर्ष से ज्यादा पुराना नहीं है ऐसी दशा में भाषाओं के क्रमिक विकास एवं इतिहास के विचार से कुछ प्राचीन द्विभाषिक कृतियाँ, उदाहरण स्वरूप बारहवीं शती के प्रारंभ में बनारस के दामोदर पंडित द्वारा रचित बोलचाल की संस्कृत भाषा सिखाने वाला ग्रंथ “ उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण ” से हिन्दी की प्राचीन कोशली या अवधी बोली के एवं 1280 ई.
  9. ऐसी दशा में भाषाओं के क्रमिक विकास एवं इतिहास के विचार से कुछ प्राचीन द्विभाषिक कृतियाँ , उदाहरण स्वरूप बारहवीं शती के प्रारंभ में बनारस के दामोदर पंडित द्वारा रचित बोलचाल की संस्कृत भाषा सिखाने वाला ग्रंथ “उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण” से हिन्दी की प्राचीन कोशली या अवधी बोली [3] के एवं 1280 ई. में संग्राम सिंह रचित संस्कृत प्रवेशिका “बाल-शिक्षा” और 1394 ई. में कुलमण्डन द्वारा रचित सरल संस्कृत व्याकरण “मुग्धावबोध औक्तिक” से प्राचीन गुजराती [4] के स्वरूप का कुछ बोध कराने में सहायता प्रदान करती हैं ।
  10. अगर अमरेन्द्र फैजाबाद से है और अपने को अवध का असली वारिस मानते है तो क्या हुआ अरे मै तो ये चाहता हूँ के सारा उत्तर प्रदेश ही अपने को अवध का असली वारिस माने |अमरेन्द्र कुछ कर तो रहे है कम से कम अवधि क लिये बाकी जो लोग उनकी आलोचना कर रहे उन्होंने क्या किया अवधी के लिये और हा अब केवल गावों में ही अवधी बोली जाती है लखनऊ में अवधी बोलना धीरे धीरे कम हो रहा है |और एक कहावत प्रस्तुत है -” " ”सूप बोले सूप बोले चलनी का बोले जेहिमा बहत्तर छेद |”””
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