अमंद meaning in Hindi
pronunciation: [ amend ]
Examples
- विद्यापति की पार्वती का कर्म-प्रेरक रूप ‘प्रसाद ' की ‘श्रद्धा' में प्रतिबिम्बित प्रतीत होता है: “एक तुम, यह विस्मृत भू-खण्ड प्रकृति वैभव से भरा अमंद; कर्म का भोग, भोग का कर्म यही जड़ का चेतन आनंद।”
- तब तक भटके मेरे लोचन वहिरंग जगत गति में अमंद जब तक बोधा न अतंद्रित मैंने चंचल लोचन किए बंद तुम और कहां हो कहीं नहीं बस यहीं यहीं हो प्रणतपाल-लघु नहीं हमारी यात्रा उसमें लग जायेंगे दीर्घकाल ।।
- भारत माता विधा दायिनी सुमति , श्वेत्वस्त्राव्रुता देवी सरस्वती आज आपके लिए कुछ कवितायेँ लेकर उपस्थित हूँ ........ ............ माँ , अल्मोड़े में आए थे जब राजर्षि विवेकानंदं, तब मग में मखमल बिछवाया, दीपावलि की विपुल अमंद, बिना पाँवड़े पथ में क्या वे
- भारत माता विधा दायिनी सुमति , श्वेत्वस्त्राव्रुता देवी सरस्वती आज आपके लिए कुछ कवितायेँ लेकर उपस्थित हूँ ........ ............ माँ , अल्मोड़े में आए थे जब राजर्षि विवेकानंदं, तब मग में मखमल बिछवाया, दीपावलि की विपुल अमंद, बिना पाँवड़े पथ में क्या वे...
- बीती विभावरी जाग रीअम्बर पनघट में डुबो रहीतारा घट उषा नागरीखग कुल कुल सा बोल रहाकिसलय का अंचल दोल रहालो लतिका भी भर लायी मधु मुकुल नवल रस गागरीअधरों में राग अमंद पिए अलकों में मलयज बंद कियेतू अब तक सोयी है आलीआँखों में लिए विहाग री- जय शंकर प्रसाद
- बीती विभावरी जाग रीअम्बर पनघट में डुबो रहीतारा घट उषा नागरीखग कुल कुल सा बोल रहाकिसलय का अंचल दोल रहालो लतिका भी भर लायी मधु मुकुल नवल रस गागरीअधरों में राग अमंद पिए अलकों में मलयज बंद कियेतू अब तक सोयी है आलीआँखों में लिए विहाग री- जय शंकर प्रसाद . ..
- छंद बंध ध्रुव तोड़फोड़ कर पर्वत कारा , अचल रूढ़ियों सी कवि तेरी कविता धारा, मुक्त अबाध अमंद रजत निर्झर सी निसृत, गलित ललित आलोक राशि चिर अकुलिष अविजित, स्फटिक शिलाओं से वाणी का तूने मंदिर, शिल्पि बनाया ज्योतिकलश निज यश का घर चिर, अमृत पुत्र कवि यशाकाय तव जरा मरण चित, स्वंय भारती से तेरी ह्रतंत्री झंकृत.....
- [ 16] व्यतीत . दिख रहा अतीत साफ़ फिल्म की तरह - सवाक् रंगमय सजीव! पृष्ठभूमि में ध्वनित अमंद वाद्य- गीत! (द्रश्य वास्तविक अतीव!) . उतर-उभर रहे तमाम चित्र हार / जीत के शत्रु / मीत के, क्रोध- आग के नेह - राग के! आह, ज़िंदगी थकी-थकी / बुझी-बुझी अचान किसी पड़ाव पर लहर - लहर ठहर गयी! बिखर - बिखर सिमट गयी, उलट - पुलट गयी! अपूर्व शांति है, न वाद या विवाद, शेष सिर्फ़ याद!