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अप्रगट meaning in Hindi

pronunciation: [ apergat ]
अप्रगट meaning in English

Examples

  1. जैसे हिन्दू त्रिदेवों के एक देव विष्णु हैं जो अपने मूल रूप में तो क्षीर सागर में शयन करते हैं मगर वहीं से अप्रगट ही धरती के अपने अवतार की लीलाएं संचालित करते हैं -फ़िल्म में नायक का एक ऐसा ही अवतार भविष्य की वर्चुअल प्रौद्योगिकी के चलते कल्पित हुआ है !
  2. जैसे हिन्दू त्रिदेवों के एक देव विष्णु हैं जो अपने मूल रूप में तो क्षीर सागर में शयन करते हैं मगर वहीं से अप्रगट ही धरती के अपने अवतार की लीलाएं संचालित करते हैं -फ़िल्म में नायक का एक ऐसा ही अवतार भविष्य की वर्चुअल प्रौद्योगिकी के चलते कल्पित हुआ है !
  3. महानुभाव ' ' की छाया में : सदगुरु चुप होगा और अचानक तुम अनुभव करोगे कि तुम भरने लगे , उसने कुछ दिया नहीं प्रगट , अप्रगट में कुछ उंडेल आया , उसने कुछ तुम्हारे हाथों में दिया नहीं - सीधा- साफ , रूपरेखा में आबद्ध - और तुम्हारे हाथ अचानक भर गए।
  4. महानुभाव ' ' की छाया में : सदगुरु चुप होगा और अचानक तुम अनुभव करोगे कि तुम भरने लगे , उसने कुछ दिया नहीं प्रगट , अप्रगट में कुछ उंडेल आया , उसने कुछ तुम्हारे हाथों में दिया नहीं - सीधा- साफ , रूपरेखा में आबद्ध - और तुम्हारे हाथ अचानक भर गए।
  5. ” इसके बाद ये कि- ' जितना भारत को गाँधी -जानते थे उतना कोई अन्य नही ; सिर्फ भारत को ही क्यों , ब्रिटिश साम्राज्य की नीतियों को , उनके भीतर छिपे अप्रगट मंतव्य को , तभी तो भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन के शतरंज के खेल में गाँधी अंग्रेजों की चाल पहले भांप जाते थे ..
  6. छिपा है , अप्रगट है , परोक्ष है , वह भी क्यों न इनके सामने आ जाए ! इनकी देखने की तीक्ष् णता ऐसी क्यों न हो , संवेदना इनकी इतनी प्रगाढ़ क्यों न हो , कि जो नहीं दिखता है , उसकी भी झलक मिले ! क्यों न हम वहीं से शुरू करें जहां आदमी सहज ही खड़ा है !
  7. छिपा है , अप्रगट है , परोक्ष है , वह भी क्यों न इनके सामने आ जाए ! इनकी देखने की तीक्ष् णता ऐसी क्यों न हो , संवेदना इनकी इतनी प्रगाढ़ क्यों न हो , कि जो नहीं दिखता है , उसकी भी झलक मिले ! क्यों न हम वहीं से शुरू करें जहां आदमी सहज ही खड़ा है !
  8. सार रूप में कहूं तो गाँधी “दैनिक भास्कर ' के उस स्लोगन के बिलकुल सटीक बैठते हैं-”जिद करो दुनिया बदलो..” इसके बाद ये कि-'जितना भारत को गाँधी -जानते थे उतना कोई अन्य नही; सिर्फ भारत को ही क्यों, ब्रिटिश साम्राज्य की नीतियों को, उनके भीतर छिपे अप्रगट मंतव्य को, तभी तो भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन के शतरंज के खेल में गाँधी अंग्रेजों की चाल पहले भांप जाते थे..! और चेक एंड मेट का करिश्मा तभी संभव हो सका.
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