अध्यात्मज्ञान meaning in Hindi
pronunciation: [ adheyaatemjenyaan ]
Examples
- उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर सदभावना व अध्यात्मज्ञान की ज्योति को जलाएं ताकि समाज में व्याप्त अज्ञानता व दुर्भावना को समाप्त किया जा सके।
- अपने हावभाव , आधे-अधूरे अध्यात्मज्ञान , धार्मिक कथाओं की रोचक प्रस्तुति , लोगों की रुच्यानुसार भजन-कीर्तन गायन-वादन में भागीदारी , आदि से उनका मन मोहने की कला आनी ही चाहिए ।
- दस इन्द्रियाँ गयारहवाँ मन-मानवमात्र को इनका दमन करके परम-शांन्ति को प्राप्त करने के लिये , ग्यारह प्रकरणों से विन्यस्त अध्यात्मज्ञान का महान अद् भुत ग्रन्थ- ' बीजक सद्गुरु कबीर ने बनाया है |
- स्वामी श्री प्रत्यगात्मानन्द जी ने न केवल श्री शंकराचार्य जी को श्रद्धांजलि अर्पित की वरन् उनके अमृतमय शब्दों ने , अध्यात्मज्ञान तथा भौतिकी के क्षेत्र में अन्तर्प्रज्ञ अनुभवों के प्रेमियों पर आशीर्वाद की वर्षा की है।
- स्वामी श्री प्रत्यगात्मानन्द जी ने न केवल श्री शंकराचार्य जी को श्रद्धांजलि अर्पित की वरन् उनके अमृतमय शब्दों ने , अध्यात्मज्ञान तथा भौतिकी के क्षेत्र में अन्तर्प्रज्ञ अनुभवों के प्रेमियों पर आशीर्वाद की वर्षा की है।
- वर्ष 1985 - 86 में ओशो अध्यात्मज्ञान के प्रचार-प्रसार हेतु विश्व यात्रा पर निकल पड़े और वर्ष 1986 में वापस भारत लौट आए तथा 1987 में अपने पुणे स्थित आश्रम में फिर से प्रवचन करना आरंभ किया।
- इसके बावजूद भी विज्ञान व अध्यात्मज्ञान में से कोई ही ‘ तत्वज्ञान ' नहीं कहला सकता है , क्योंकि विज्ञान चाहे जितना भी विकास कर ले फिर भी वह जड़ जगत तक ही सीमित रहेगा , उससे ऊपर नहीं जा सकता है।
- वस्तुतः असहमतिमूलक चिंतन प्राचीन धर्मशास्त्रों और तथाकथित पवित्र आलेखों को अपने अनुभवजन्य विवेक एवं अध्यात्मज्ञान के प्रकाश में स्वयं व्याख्यायित करता है और छोटे-बड़े , ऊंच-नीच की विभाजक रेखाओं को मिटाकर ईश्वरीय प्रेम के किरण-बिन्दु से ईश्वरीय सृष्टि के प्रत्येक प्राणी को सामान धरातल पर जोड़ता है .
- परन्तु आज हम थोड़ा विपरीत दिशा में जायेंगे- अध्यात्म की ओर ! आगे को को जाना हो तो इसका अन्य कोई विकल्प नहीं ! हमारा अध्यात्मज्ञान पाश्चात्य आध्यात्मिक सिद्धांतों और विज्ञान से कई कदम आगे जाकर हमें सम्पूर्ण रूप से सचेत , सम्पूर्ण रूप से आश्वस्त , सम्पूर्ण रूप से आशावादी , सम्पूर्ण रूप से निर्भय करने के साथ ही हमें जीवनचक्र को समझने में मदद करता है , जीवन जीने की कला सिखाता है।
- लौकिक विद्या में तीसरी कक्षा तक ही पढ़ाई करनेवाले आसुमल ब्रह्मनिष्ठ संत श्री आशारामजी बापू के रूप में विश्ववंदनीय होकर आज बड़े-बड़े वैज्ञानिकों , दार्शनिकों , नेताओं तथा अफसरों से लेकर अनेक शिक्षित-अशिक्षित साधक-साधिकाओं तक सभीको अध्यात्मज्ञान की शिक्षा दे रहे हैं , भटके हुए मानव-समुदाय को सही दिशा प्रदान कर रहे हैं … आपश्री बाल्यकाल से ही अपनी तीव्र विवेकसम्पन्न बुद्धि से संसार की असत्यता को जानकर तथा प्रबल वैराग्य के कारण अमर पद की प्राप्ति हेतु गृह त्यागकर प्रभुमिलन की प्यास में जंगलों-बीहड़ों में घूमते-तड़पते रहे।