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स्वार्थपरायणता meaning in Hindi

pronunciation: [ sevaarethepraayentaa ]
स्वार्थपरायणता meaning in English

Examples

  1. इन लोगों ने असैनिकों के योगदान की या तो उपेक्षा की या इसे कुछ स्वार्थी लोगों की स्वार्थपरायणता का परिणाम मानकर महत्वहीन समझा।
  2. इन लोगों ने असैनिकों के योगदान की या तो उपेक्षा की या इसे कुछ स्वार्थी लोगों की स्वार्थपरायणता का परिणाम मानकर महत्वहीन समझा।
  3. भागवत ने राजनीतिक स्वार्थपरायणता पर प्रहार करते हुए कहा कि राजनीतिक दल वोट की राजनीति के कारण अलगाव फैला रहे हैं , लेकिन इससे देश का नुकसान हो रहा है।
  4. ऐंद्रिक सुख , शक्ति की लिप्सा , स्वार्थपरायणता : ये तीन अब तक सर्वाधिक कोसे गये हैं और सबसे बुरी तथा सर्वाधिक अन्यायपूर्ण ख्याति में रखे गये हैं - इन तीनों को मैं भलीभांति और
  5. ऐंद्रिक सुख , शक्ति की लिप्सा , स्वार्थपरायणता : ये तीन अब तक सर्वाधिक कोसे गये हैं और सबसे बुरी तथा सर्वाधिक अन्यायपूर्ण ख्याति में रखे गये हैं - इन तीनों को मैं भलीभांति और
  6. गरीबी में ही उदारता के सुमन खिलते हैं , विपन्न्ता में ही मानवीय भावों के सुवास प्रस्फुटित होते हैं और साधन-सम्पन्नता व समृद्धि में स्वार्थपरायणता के, संकीर्णता के कीड़े रेंगने लगते हैं, स्वार्थपरता की जोंकें पैदा हो जाती हैं।
  7. तब बहुत सी बातें खुलासा होंगी ! और वह जो अहंकार को स्वस्थ व पवित्र घोषित करता है और स्वार्थपरायणता को यशस्वी - सच में वह एक पैगंबर उसे भी घोषित करता है जो वह जानता है : ‘ लो , वह आती है , वह निकट
  8. ऐसा होने पर हम देख पाएंगे कि आरंभावस्था में प्राय : हमारे सभी कार्यो का हेतु स्वार्थपूर्ण रहता है , किंतु धीरे-धीरे यह स्वार्थपरायणता अध्यावसाय से नष्ट हो जाएगी , और अंत में वह समय आ जाएगा , जब हम वास्तव में स्वार्थ से रहित होकर कार्य करने के योग्य हो सकेंगे।
  9. मानवता के जीवन में महानतम क्षण को जरथुस्त्र ” महा मध्याह्न वेला ” कहते हैं - जब स्वार्थपरायणता महज स्वस्थ होगी , जब हर वह चीज जो पहले निंदित की गयी है वैसा नहीं होगा और हर चीज जो स्वाभाविक व मानवीय है हमारे धर्म के रूप में , हमारी आध्यात्मिकता के रूप में घोषित कर दी जाएगी ।
  10. मैं पहले भी लिख चुका हूँ कि हमारे समाज को अपनी स्वार्थी और मजहबी सोच को पटरी पर लाने की आवश्यकता है , दोहरी मानसिकता को छोड़ने की जरूरत है और राष्ट्रीयता के मुद्दों की समझ विकसित करने की जरूरत है जो हमारे देश कि जनता में या तो है ही नहीं या फिर हम इन सब की कहीं अपनी स्वार्थपरायणता की खातिर तिलांजलि दे बैठे हैं।
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