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स्वर्णमाक्षिक meaning in Hindi

pronunciation: [ sevrenmaakesik ]
स्वर्णमाक्षिक meaning in English

Examples

  1. ४ . बसंतकुसुमाकर रस एक गोली + स्वर्ण बंग एक रत्ती + पूर्णचंद्र रस एक गोली + स्वर्णमाक्षिक भस्म एक रत्ती + मुक्ताशुक्ति भस्म एक रत्ती + मूसली पाक एक चम्मच को मिला कर हलके गुनगुने मीठे दूध के साथ शाम को लीजिये।
  2. १ . रससिंदूर १ ० ग्राम + लौह भस्म १ ० ग्राम + बंग भस्म १ ० ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म १ ० ग्राम + शुद्ध कुचला २ ० ग्राम + त्रिकटु २ ० ग्राम + अश्वगंधा २ ० ग्राम ; इन सबको बहुत मजबूत हाथों से कसकर घोंट लीजिए जिससे कि रस सिंदूर की चमक समाप्त हो जाए।
  3. ( १) जिनको सूखी खांसी आती हो, हाथ पैर के तलवे गरम रहते हों या उनमें जलन होतीहो, कंधों में भारीपन हो, निर्बलता बढ़ती जाती हो, कभी २ ज्वर भी बढ़ जाताहो, भूख कम लगती हो तो ऐसी हालत में अभ्रक भस्म, श्रृग भस्म, सतगिलोय, प्रबाल भस्म, मुक्ताशुक्ति पिष्टी, मण्डूरभस्म, स्वर्णमाक्षिक भस्म १-१रत्ती, बसन्त मालती रस स्वर्ण युक्त १/२, रत्ती सितोपलादि चूर्ण एक माशे लेकरमिलालें.
  4. १ . अर्जुन की छाल का चूर्ण ६ ० ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म १ ० ग्राम + अकीक पिष्टी १ ० ग्राम + मुक्ताशुक्ति पिष्टी १ ० ग्राम + शुद्ध सूखा शिलाजीत १ ० ग्राम + जहरमोहरा खताई पिष्टी १ ० ग्राम + लोह भस्म १ ० ग्राम इन सब को मिला कर कस कर घोंट लीजिये और ५ ०० मिलीग्राम की पुड़ियां बना लें जो कि आपके लिये एक खुराक होगी।
  5. इसके साथ उच्च रक्तचाप की चिकित्सा हेतु रौप्य भस्म , त्रिवंग भस्म , मणिष्य पिष्टी , सर्पगंधा का कपडछन चूर्ण ( सभी 15 - 15 ग्राम ) , स्वर्णमाक्षिक भस्म , चन्द्रकलारस , सत्वगिलोय , अकीक पिष्टी , मुक्ता शुक्ति पिष्टी , प्रवाल चन्द्रपुष्टी , जटामांसी या बालछड का चूर्ण ( सभी 30 - 30 ग्राम ) मात्रा में लेकर इन सबको पक्के खरल में तीन घण्टे घोटकर किसी साफ शीशी में रख दें ।
  6. इसके साथ उच्च रक्तचाप की चिकित्सा हेतु रौप्य भस्म , त्रिवंग भस्म , मणिष्य पिष्टी , सर्पगंधा का कपडछन चूर्ण ( सभी 15 - 15 ग्राम ) , स्वर्णमाक्षिक भस्म , चन्द्रकलारस , सत्वगिलोय , अकीक पिष्टी , मुक्ता शुक्ति पिष्टी , प्रवाल चन्द्रपुष्टी , जटामांसी या बालछड का चूर्ण ( सभी 30 - 30 ग्राम ) मात्रा में लेकर इन सबको पक्के खरल में तीन घण्टे घोटकर किसी साफ शीशी में रख दें ।
  7. विद्यार्थियों के लिये तो यह योग बेजोड़ है- १ . रजत सिंदूर ५ ग्राम + रजत भस्म ५ ग्राम + शतपुटी अभ्रक भस्म १ ० ग्राम + स्वर्णमाक्षिक भस्म १ ० ग्राम + गिलोय सत्व १ ० ग्राम + सर्पगन्धा घनसत्व १ ० ग्राम + अश्वगन्धा घनसत्व १ ० ग्राम + शंखपुष्पी घनसत्व १ ० ग्राम + ब्राम्ही घनसत्व १ ० ग्राम + बच घनसत्व १ ० ग्राम + जटामांसी घनसत्व १ ० ग्राम इन सभी को मजबूत हाथों से कस कर घुटाई करवा लीजिये।
  8. आंवला घनसत्व + हरड़ घनसत्व + मुलैहठी घनसत्व + भृंगराज घनसत्व २० - २० ग्राम ले कर इस मिश्रण में २० ग्राम स्वर्णमाक्षिक भस्म मिला कर इसकी एक ग्राम मात्रा दिन में दो बार ठंडे जल के साथ लीजिये ( इस दवा को बीज निकाले हुए खाली मुनक्के या खाली कैप्सूल में भर कर लिया जा सकता है ) २ . भृंगराज + आंवला + मिश्री + साबुत काले तिल २५ - २५ ग्राम मिला कर रख लें व इस योग को भी एक - एक ग्राम मात्रा दिन में दो बार ठंडे जल के साथ लीजिये।
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