सिक्ख सम्प्रदाय meaning in Hindi
pronunciation: [ sikekh semperdaay ]
Examples
- यह सिक्ख सम्प्रदाय के लिए बहुत ही पवित्र दिवस है क्योंकि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही इस सम्प्रदाय के संस्थापक और प्रथम गुरू नानक देव जी का जन्म हुआ था।
- यह सिक्ख सम्प्रदाय के लिए बहुत ही पवित्र दिवस है क्योंकि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही इस सम्प्रदाय के संस्थापक और प्रथम गुरू नानक देव जी का जन्म हुआ था।
- अनुशासन से ओतप्रोत भक्तिभावना के परिदृश्यों को निर्मित करने का कारण बना सिक्ख सम्प्रदाय के प्रवर्तक तथा विश्व मानव समाज के महान गुरू नानकदेव का जयंती पर्व , जो परम्परानुसार प्रकाशोत्सव के रूप में क ...
- अनुशासन से ओतप्रोत भक्तिभावना के परिदृश्यों को निर्मित करने का कारण बना सिक्ख सम्प्रदाय के प्रवर्तक तथा विश्व मानव समाज के महान गुरू नानकदेव का जयंती पर्व , जो परम्परानुसार प्रकाशोत्सव के रूप में कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा के उपलक्ष्य में श्रद्धाभावना के साथ मनाया गया।
- गुरु राहु मंगल की युति से जातक को सिक्ख सम्प्रदाय से जोडता है और केतु के साथ शनि के होने से वह ईशाई सम्प्रदाय से सम्बन्धित बात को भी बताता है , बुध के साथ केतु के होने से राहु व्यापार की कला में और खरीदने बेचने के कार्यों में कुशलता देता है।
- गुरु अर्जुन देव ( 2.5), सिक्खों के पंचम गुरु एवं ग्रन्थ-साहब के संकलन कर्ता; गुरु नानक का उत्तराधिकारी एवं लंगर-पद्धति का शुभारम्भ करने वाले गुरु अंगद देव (4.5) और गुरु ग्रन्थ साहब में जिनकी वाणी का संकलन है ऐसे गुरु अमरदास (23.5) सरीखे गुरु तो सिक्ख सम्प्रदाय के दस गुरुओं में अपनी विशेष पैठ बनाए हुए हैं।
- हिन्दू होने का दम्भ भरने वाले और मोदी की आलोचना करने पर हमें काट खाने वालों को एक चीज बताना चाहता हूं कि जब हम आपदा पर सरकार को गरिया रहे थे और मोदी का जाप कर रहे थे , तो सिक्ख सम्प्रदाय के सेवादारों ने घांघरिया से हेमकुण्ड साहब का १ ४ कि ० मी ० पैदल रास्ता दुरुस्त कर दिया और कल से ही वहां यात्रा भी शुरु हो गई है।
- किसी जमाने मे सिक्ख सम्प्रदाय के महाराजा रणजीत सिंह के शासन काल ( १ ८ ० १ - १ ८ ३ ९ ) में सिक्ख साम्राजय पंजाब के अलावा सिंध , बलोचिस्तान , जम्मू -कश्मीर , पश्तून-सूबा सरहद तक फैला था | उन्होंने लाहोर को अपनी राजधानी बनाया और शासन किया था -उसी दोरान सिक्ख बिरादरी ने अपना कारोबार इन इलाको में फैलाया और वहीँ बस गए | अगर , रणजीतसिंह दिल्ली और अवध की ओर बड़ते , तो शायद हिंदुस्तानि सियासत की तस्वीर कुछ और ही होती |