×

सत्ताईसवीं meaning in Hindi

pronunciation: [ settaaeesevin ]
सत्ताईसवीं meaning in English

Examples

  1. सोवियत रूस के ज़माने में 1986 में हुई चेर्नोबिल परमाणु दुर्घटना की सत्ताईसवीं बरसी इसी अप्रैल की 26 तारीख को उस इलाके के लोग मनाएंगे , जो अब युक्रेन में पड़ता है .
  2. यहाँ यह बात जानना जरूरी है कि छब्बीसवां रोजा जिस दिन होगा , उसी शाम गुरुबे-आफ़ताब के बाद (सूर्यास्त के पश्चात) सत्ताईसवीं रात शुरू हो जाएगी, जिसमें अक्सर शबे कद्र की तलाश की जाती है।
  3. सत्ताईसवीं पंक्ति “ खासकर चिड़ी और कालेपान को और उसकी बेगम को ” में इशारा अलेक्सांद्र पूश्किन की लोमहर्षक रहस्य-कथा की ओर है जिसका अन्ग्रेज़ी अनुवाद में शीर्षक ' द क्वीन ऑफ़ स्पेड्स ' है .
  4. किन्तु रमज़ान के अंतिम दस दिनों की ताक़ रातें दूसरी रातों से अधिक योग्य है , और सत्ताईसवीं रात समस्त रातों में लैलतुल क़द्र के सबसे अधिक योग्य है , क्योंकि इस बारे में ऐसी हदीसें वर्णित हैं जो हमारी उल्लिखित बातों पर तर्क और प्रमाण हैं।
  5. हालांकि हदीसे-नबवी में जिक्र है कि शबे-कद्र को रमजान के आखिरी अशरे ( अंतिम कालखंड) की ताक रातों (विषम संख्या वाली रातें) जैसे 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं, 29वीं रात में तलाश करो, लेकिन हजरत उमर और हजरत हुजैफा (रजियल्लाहु अन्हुम) और असहाबे-रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) में से बहुत से लोगों को यकीन था कि रमजान की सत्ताईसवीं रात ही शबे-कद्र है।
  6. अपने इन विचारों की पुष्टि में कबीर की रचनाओं से कुछ उदहारण देना उपयोगी होगा . 1 . श्रीप्रद कुरआन की आयतें और कबीर की आस्था श्रीप्रद कुरआन की सूरह लुक़मान [ सत्ताईसवीं आयत ] में कहा गया है “ यदि धरती पर जितने वृक्ष हैं सब लेखनी बन जाएँ और सात समुद्रों का समस्त जल रोशनाई हो जाय तो भी उसके गुण लेखनी की सीमाओं में नहीं आ सकते . ”
  7. पाँचवें दिन ऐन सत्ताईसवीं की रात में दुनियां से चल पडे वाजिद अली शाह ! यही नाम दिया था उनके बाप जुनाब सांई ने अपने इकलौते बेटे का , मगर लोग उन्हें जानते और कहते भी थे वाजिद साँई ! खुदा ने क्या मौत बख्शी ? एक तो रमजान मुबारक का महीना ऊपर से सत्ताईसवीं की रात ! कुछ एक बुजुर्ग गाँव में जो कब्रों में पैर लटकाए मौत का इन्तेजार करने में लगे थे वह उनकी मौत से रश्क कर रहे थे।
  8. पाँचवें दिन ऐन सत्ताईसवीं की रात में दुनियां से चल पडे वाजिद अली शाह ! यही नाम दिया था उनके बाप जुनाब सांई ने अपने इकलौते बेटे का , मगर लोग उन्हें जानते और कहते भी थे वाजिद साँई ! खुदा ने क्या मौत बख्शी ? एक तो रमजान मुबारक का महीना ऊपर से सत्ताईसवीं की रात ! कुछ एक बुजुर्ग गाँव में जो कब्रों में पैर लटकाए मौत का इन्तेजार करने में लगे थे वह उनकी मौत से रश्क कर रहे थे।
More:   Prev  Next


PC Version
हिंदी संस्करण


Copyright © 2023 WordTech Co.