विश्वबोध meaning in Hindi
pronunciation: [ vishevbodh ]
Examples
- स्वरोजगार या फिर निजी उद्यम के दम पर वृहत्तर समाज में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने वाले इन समूहों का विश्वबोध आधुनिकता में पगे शिक्षित वर्ग का विश्वबोध नहीं है।
- उनका विश्वबोध क्या है , उनके जीवन की विडम्बनाएं क्या हैं , पहले हम किताबों-अख़बारों के माध्यम से ही जानते थे , लेकिन अन्तरंग बातचीत के माध्यम से आदमी ज्यादा जानता है .
- इस मीमांसा में अजब तौर पर विष्णु खरे की आलोचना द्वारा आविष्कृत और स्थापित मूल्य ( जटिल , प्रतिबद्ध , विवेकशील , बहुवर्णी विश्वबोध ) केंद्र में आ गए हैं , इससे पुनः आलोचक की इंटीग्रिटी का पता मिलता है .
- फाउस्ट जैसी हर महान कृति चूँकि प्रतिबद्ध विवेकशील विश्वबोध का प्रतिफलन होती है इसलिए वह हर युग में किसी न किसी तरह प्रासंगिक होती रहती है क्योंकि अंततः उसके केंद्र में म्सानव-जीवन , उसकी विदाम्ब्नाएं और समस्यां, उसके हर्ष-विषाद, जय-पराजय, उत्थान-पतन और कामदी एवं त्रासदी होते हैं।
- मुकुटघर पाण्डेय जी की कविता विश्वबोध की ही भांति ‘ सरल स्वभाव कृषक के हल में / पतिव्रता-रमणी के बल में / श्रम-सीकर से सिंचित धन में / संशय रहित भिक्षु के मन में / कवि के चिंता-पूर्ण वचन में / तेरा मिला प्रमा ण. '
- विश्व कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर को नोबल पुरस्कार दिये जाने के शताब्दी समारोह का उद्घाटन करते हुए मुखर्जी ने यहां कहा कि कविवर टैगोर के साहित्य और संगीत में विश्वबोध यानी साझा मानवता की यही भावना प्रतिबिंबित होती है जिसे उन्होंने यहां स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय के जरिये समझने की कोशिश की।
- फाउस्ट जैसी हर महान कृति चूँकि प्रतिबद्ध विवेकशील विश्वबोध का प्रतिफलन होती है इसलिए वह हर युग में किसी न किसी तरह प्रासंगिक होती रहती है क्योंकि अंततः उसके केंद्र में म्सानव-जीवन , उसकी विदाम्ब्नाएं और समस्यां , उसके हर्ष-विषाद , जय-पराजय , उत्थान-पतन और कामदी एवं त्रासदी होते हैं।
- पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित अनेकों लेखों व कविताओं के साथ ही उनकी पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित कृतियां इस प्रकार हैं - ‘पूजाफूल ( 1916), शैलबाला (1916), लच्छमा (अनुदित उपन्यास, 1917), परिश्रम (निबंध, 1917), हृदयदान (1918), मामा (1918), छायावाद और अन्य निबंध (1983), स्मृतिपुंज (1983), विश्वबोध (1984), छायावाद और श्रेष्ठ निबंध (1984), मेघदूत (छत्तीसगढ़ी अनुवाद, 1984) आदि प्रमुख है।
- पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित अनेकों लेखों व कविताओं के साथ ही उनकी पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित कृतियां इस प्रकार हैं - ‘पूजाफूल ( 1916), शैलबाला (1916), लच्छमा (अनुदित उपन्यास, 1917), परिश्रम (निबंध, 1917), हृदयदान (1918), मामा (1918), छायावाद और अन्य निबंध (1983), स्मृतिपुंज (1983), विश्वबोध (1984), छायावाद और श्रेष्ठ निबंध (1984), मेघदूत (छत्तीसगढ़ी अनुवाद, 1984) आदि प्रमुख है।
- पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित अनेकों लेखों व कविताओं के साथ ही उनकी पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित कृतियां इस प्रकार हैं - ‘ पूजाफूल ( 1916 ) , शैलबाला ( 1916 ) , लच्छमा ( अनुदित उपन्यास , 1917 ) , परिश्रम ( निबंध , 1917 ) , हृदयदान ( 1918 ) , मामा ( 1918 ) , छायावाद और अन्य निबंध ( 1983 ) , स्मृतिपुंज ( 1983 ) , विश्वबोध ( 1984 ) , छायावाद और श्रेष्ठ निबंध ( 1984 ) , मेघदूत ( छत्तीसगढ़ी अनुवाद , 1984 ) आदि प्रमुख है।