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विधिमान्यता meaning in Hindi

pronunciation: [ vidhimaaneytaa ]
विधिमान्यता meaning in English

Examples

  1. परन्तु गौर करने वाला पहलू यह है कि न तो दिल्ली उच्च न्यायालय ने और न ही उच्चतम न्यायालय ने समलैंगिक विवाहों या विवाहेत्तर समलैंगिक संबंधों को विधिमान्यता दी है और इस मामले पर अभी उच्चतम न्यायालय में विचार चल रहा है .
  2. ( 2) राज्यपाल के नाम से किये गये और निष्पादित आदेशों और अन्य लिखित को ऐसी रीति से अधिप्रमाणित किया जायेगा जो राज्यपाल द्वारा बनाए जाने वाले नियमों में विनिर्दिष्ट की जाए और इस प्रकार अधिप्रमाणित आदेश या लिखत की विधिमान्यता इस आधार पर प्रश्नगत नहीं की जायेगी कि वह राज्यपाल द्वारा किया गया निष्पादित आदेश या लिखत नहीं है।
  3. ( 2 ) राज्यपाल के नाम से किये गये और निष्पादित आदेशों और अन्य लिखित को ऐसी रीति से अधिप्रमाणित किया जायेगा जो राज्यपाल द्वारा बनाए जाने वाले नियमों में विनिर्दिष्ट की जाए और इस प्रकार अधिप्रमाणित आदेश या लिखत की विधिमान्यता इस आधार पर प्रश्नगत नहीं की जायेगी कि वह राज्यपाल द्वारा किया गया निष्पादित आदेश या लिखत नहीं है।
  4. परंतु यदि यह प्रश्न उठता है कि कोई मामला ऐसा मामला है या नहीं जिसके संबंध में राज्यपाल से इस उपखंड के अधीन अपेक्षा की गई है कि वह अपने व्यक्तिगत निर्णय का प्रयोग करके कार्य करे तो राज्यपाल का अपने विवेक से किया गया विनिश्चय अंतिम होगा और राज्यपाल द्वारा की गई किसी बात की विधिमान्यता इस आधार पर प्रश्नगत नहीं की जाएगी कि उसे अपने व्यक्तिगत निर्णय का प्रयोग करके कार्य करना चाहिए था या नहीं :
  5. और न्यायालय जो संविधान की सृष्टि है , इसकी विधिक मान्यता की दलीलको ग्रहण नहीं करेगा यदि संविधान की विधिमान्यता का स्रोत यह नहीं है किजनता द्वारा विरचित किया गया था तो संशोधन करने वाले उपलबन्ध का बिनाकिसी विजातीय विचार के निर्देश के उसके स्वयं की भाषा का ऐसा अर्थन्वयनकिया जाना चाहिए कि क्या जनता ने संशोधन करने वाले निकाय को अपनी समस्तसंविधायी शइतयों को प्रत्यायोजित किया था या नहीं किया था अथवा यह किजनता ने मूल अधिकारों को अपने पास आरक्षित रखा.
  6. ऐसे किसी भी मामले में उधारकर्ता बंधक रखी संपत्ति की वसीयती स्थिति अपने किसी संबंधी के पक्ष में प्रकट करेगा , जो कि ऐसे वसीयतदार द्वारा बंधक ऋण चुकाया जाने और एक ऐसे विवरण के अध्यधीन होगा कि वारिस बंधक की विधिमान्यता को और इसी प्रकार उधारकर्ता की मृत्यु की स्थिति में बंधक के प्रवर्तन के लिए बंधकग्राही के अधिकार को तब तक चुनौती देने का हकदार नहीं होगा जब तक कि वैध प्रतिनिधि ऋण मी पूरी राशि और उस पर प्रोद्भूत ब्याज चुकाने का दायित्व लेने की इच्छा प्रकट नहीं करता है ।
  7. बाद में उच्चतम न्यायालय ने भी धारा 377 के कुछ प्रावधानों को रद्द करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय पर रोक लगाने से इनकार कर दिया , परन्तु गौर करने वाला पहलू यह है कि न तो दिल्ली उच्च न्यायालय ने और न ही उच्चतम न्यायालय ने समलैंगिक विवाहों या विवाहेत्तर समलैंगिक संबंधों को विधिमान्यता दी है और इस मामले पर अंत में उच्चतम न्यायालय ने आज (11 दिसंबर, 2013) को फैसला सुना दिया कि समलैंगिक संबंध अपराध की श्रेणी के अंतर्गत आते हैं और इन्हें अपराध न मानने की घूट नहीं दी जा सकती है।
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