वाक्-पटुता meaning in Hindi
pronunciation: [ vaak-petutaa ]
Examples
- डॉ कुमार विश्वास जो अपनी वाक्-पटुता , विद्वता, और समय-अवसर पर अपनी विराट स्मरण-शक्ति के प्रयोग के कारण कवि-सम्मेलनों में काफी लोकप्रिय है।आई.आई.टी और कॉरपरेट-जगत के सचेत श्रोता हों अथवा कोटा-मेले में बेतरतीब फैला लाखों का जन संत कबीर प्रस्तुत पुस्तक 'संत कबीर' कबीर जी के जीवन और उनकी साखियों का एक आलोचनात्मक अध्ययन और संग्रह है।
- डॉ कुमार विश्वास जो अपनी वाक्-पटुता , विद्वता, और समय-अवसर पर अपनी विराट स्मरण-शक्ति के प्रयोग के कारण कवि-सम्मेलनों में काफी लोकप्रिय है।आई.आई.टी और कॉरपरेट-जगत के सचेत श्रोता हों अथवा कोटा-मेले में बेतरतीब फैला लाखों का जन समूह , प्रत्येक मंच को अपने संचालन से डॉ कुमार विश्वास इस तरह लयबद्ध कर देते हैं कि पूरा समारोह अपनी संपूर्णता को जीने लगता है।
- देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अब तक चार सौ से अधिक शोधार्थियों द्वारा प्रेमचंद पर शोध-प्रबन्ध प्रस्तुत किये जा चुके हैं जिनपर उन्हें डाक्टरेट की उपाधियां प्रदान की गयी हैं , परन्तु प्रेमचंद की निजी जिन्दगी के अनेकानेक ऐसे अछूते प्रसंग है जिनसे उनकी लेखन के प्रति प्रतिबद्धता, तन्मयता, विनोद-प्रियता, वाक्-पटुता, सरल और निश्छल स्वभाव तथा सीधी-सादी आडम्बर-रहित जिन्दगी पर प्रकाश पडता है ।
- बच्चों से रेखा मैम का स्नेह हमेशा स्पष्ट रहता था | संक्षेप में यह छात्रों में उच्च आत्मसम्मान और आत्मविश्वास की भावनाएं स्थापित करने के लिए था , वे हमेशा हर एक को जबरदस्त महसूस कराती थी , और उनका तकिया कलाम था “ आप में अनंत क्षमताएं हैं ” उन्होंने अपने वाक्-पटुता से सिद्धह भी किया की हम ईश्वर के छोटे अंश हैं “
- देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अब तक चार सौ से अधिक शोधार्थियों द्वारा प्रेमचंद पर शोध-प्रबन्ध प्रस्तुत किये जा चुके हैं जिनपर उन्हें डाक्टरेट की उपाधियां प्रदान की गयी हैं , परन्तु प्रेमचंद की निजी जिन्दगी के अनेकानेक ऐसे अछूते प्रसंग है जिनसे उनकी लेखन के प्रति प्रतिबद्धता , तन्मयता , विनोद-प्रियता , वाक्-पटुता , सरल और निश्छल स्वभाव तथा सीधी-सादी आडम्बर-रहित जिन्दगी पर प्रकाश पडता है ।
- देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अब तक चार सौ से अधिक शोधार्थियों द्वारा प्रेमचंद पर शोध-प्रबन्ध प्रस्तुत किये जा चुके हैं जिनपर उन्हें डाक्टरेट की उपाधियां प्रदान की गयी हैं , परन्तु प्रेमचंद की निजी जिन्दगी के अनेकानेक ऐसे अछूते प्रसंग है जिनसे उनकी लेखन के प्रति प्रतिबद्धता , तन्मयता , विनोद-प्रियता , वाक्-पटुता , सरल और निश्छल स्वभाव तथा सीधी-सादी आडम्बर-रहित जिन्दगी पर प्रकाश पडता है ।
- यह तो सर्व विदित है कि - “ ख़राब ग्रह की पूजा तो सभी करते है ” | शायद हम भी इसी कहावत की पृष्ठभूमि में उन महाशय ( मोदी जी ) की ख़राब से ख़राब बात पर ताली बजा रहे है | क्या करे आज कल यही चलन है - जिस तरह कम कपडा पहेंन्ने को लोग फैशन शब्द से इंगित करते है उसी तरह भाषा में अनैतिक शब्दों का इस्तमाल को वाक्-पटुता ( इंटेलिजेंस और विट ) की संज्ञा देते है ।