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वाक्-पटुता meaning in Hindi

pronunciation: [ vaak-petutaa ]
वाक्-पटुता meaning in English

Examples

  1. डॉ कुमार विश्वास जो अपनी वाक्-पटुता , विद्वता, और समय-अवसर पर अपनी विराट स्मरण-शक्ति के प्रयोग के कारण कवि-सम्मेलनों में काफी लोकप्रिय है।आई.आई.टी और कॉरपरेट-जगत के सचेत श्रोता हों अथवा कोटा-मेले में बेतरतीब फैला लाखों का जन संत कबीर प्रस्तुत पुस्तक 'संत कबीर' कबीर जी के जीवन और उनकी साखियों का एक आलोचनात्मक अध्ययन और संग्रह है।
  2. डॉ कुमार विश्वास जो अपनी वाक्-पटुता , विद्वता, और समय-अवसर पर अपनी विराट स्मरण-शक्ति के प्रयोग के कारण कवि-सम्मेलनों में काफी लोकप्रिय है।आई.आई.टी और कॉरपरेट-जगत के सचेत श्रोता हों अथवा कोटा-मेले में बेतरतीब फैला लाखों का जन समूह , प्रत्येक मंच को अपने संचालन से डॉ कुमार विश्वास इस तरह लयबद्ध कर देते हैं कि पूरा समारोह अपनी संपूर्णता को जीने लगता है।
  3. देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अब तक चार सौ से अधिक शोधार्थियों द्वारा प्रेमचंद पर शोध-प्रबन्ध प्रस्तुत किये जा चुके हैं जिनपर उन्हें डाक्टरेट की उपाधियां प्रदान की गयी हैं , परन्तु प्रेमचंद की निजी जिन्दगी के अनेकानेक ऐसे अछूते प्रसंग है जिनसे उनकी लेखन के प्रति प्रतिबद्धता, तन्मयता, विनोद-प्रियता, वाक्-पटुता, सरल और निश्छल स्वभाव तथा सीधी-सादी आडम्बर-रहित जिन्दगी पर प्रकाश पडता है ।
  4. बच्चों से रेखा मैम का स्नेह हमेशा स्पष्ट रहता था | संक्षेप में यह छात्रों में उच्च आत्मसम्मान और आत्मविश्वास की भावनाएं स्थापित करने के लिए था , वे हमेशा हर एक को जबरदस्त महसूस कराती थी , और उनका तकिया कलाम था “ आप में अनंत क्षमताएं हैं ” उन्होंने अपने वाक्-पटुता से सिद्धह भी किया की हम ईश्वर के छोटे अंश हैं “
  5. देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अब तक चार सौ से अधिक शोधार्थियों द्वारा प्रेमचंद पर शोध-प्रबन्ध प्रस्तुत किये जा चुके हैं जिनपर उन्हें डाक्टरेट की उपाधियां प्रदान की गयी हैं , परन्तु प्रेमचंद की निजी जिन्दगी के अनेकानेक ऐसे अछूते प्रसंग है जिनसे उनकी लेखन के प्रति प्रतिबद्धता , तन्मयता , विनोद-प्रियता , वाक्-पटुता , सरल और निश्छल स्वभाव तथा सीधी-सादी आडम्बर-रहित जिन्दगी पर प्रकाश पडता है ।
  6. देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में अब तक चार सौ से अधिक शोधार्थियों द्वारा प्रेमचंद पर शोध-प्रबन्ध प्रस्तुत किये जा चुके हैं जिनपर उन्हें डाक्टरेट की उपाधियां प्रदान की गयी हैं , परन्तु प्रेमचंद की निजी जिन्दगी के अनेकानेक ऐसे अछूते प्रसंग है जिनसे उनकी लेखन के प्रति प्रतिबद्धता , तन्मयता , विनोद-प्रियता , वाक्-पटुता , सरल और निश्छल स्वभाव तथा सीधी-सादी आडम्बर-रहित जिन्दगी पर प्रकाश पडता है ।
  7. यह तो सर्व विदित है कि - “ ख़राब ग्रह की पूजा तो सभी करते है ” | शायद हम भी इसी कहावत की पृष्ठभूमि में उन महाशय ( मोदी जी ) की ख़राब से ख़राब बात पर ताली बजा रहे है | क्या करे आज कल यही चलन है - जिस तरह कम कपडा पहेंन्ने को लोग फैशन शब्द से इंगित करते है उसी तरह भाषा में अनैतिक शब्दों का इस्तमाल को वाक्-पटुता ( इंटेलिजेंस और विट ) की संज्ञा देते है ।
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