लाटानुप्रास meaning in Hindi
pronunciation: [ laataanuperaas ]
Examples
- अतः , 'लाटानुप्रास' कम ही मिलता है- 'उर में बरबस आसव री ढाल गयी होली / देखो अब तो अपनी यह चाल नयी हो ली.'
- अतः , 'लाटानुप्रास' कम ही मिलता है- 'उर में बरबस आसव री ढाल गयी होली / देखो अब तो अपनी यह चाल नयी हो ली.'
- कवियों में सर्वाधिक लोकप्रिय अनुप्रास में वृन्त्यानुप्रास तथा लाटानुप्रास नहीं है किन्तु दोहा के छंद-विधान-बंधन के कारण सम तुकान्ती सम चरणान्त में अन्त्यानुप्रास सर्वत्र है .
- अतः , ' लाटानुप्रास ' कम ही मिलता है- ' उर में बरबस आसव री ढाल गयी होली / देखो अब तो अपनी यह चाल नयी हो ली . '
- अतः , ' लाटानुप्रास ' कम ही मिलता है- ' उर में बरबस आसव री ढाल गयी होली / देखो अब तो अपनी यह चाल नयी हो ली . '
- अतः , ' लाटानुप्रास ' कम ही मिलता है- ' उर में बरबस आसव री ढाल गयी होली / देखो अब तो अपनी यह चाल नयी हो ली . '
- लाटानुप्रास : जहाँ शब्द और अर्थ की आवृत्ति में अभिप्राय मात्र की भिन्नता हो अर्थात शब्दों या पदों का दुहराव हो , अभिप्राय भी प्रायः वही हो पर अन्वय करने से अर्थ में परिवर्तन हो .
- भामह द्वारा निरूपति ३ ९ अलंकारों में से इन्होंने आशी , उत्प्रेक्षावयव , उपमारूपक और यमक इत्यादि चार अलंकारों को छोड़ दिया है तथा पुनरुक्तवदाभास , छेकानुप्रास , लाटानुप्रास , काव्यहेतु , प्रतिवस्तूपमा , दृष्टांत और संकर , इन छह नवीन अलंकारों को लिया है।
- भामह द्वारा निरूपति ३ ९ अलंकारों में से इन्होंने आशी , उत्प्रेक्षावयव , उपमारूपक और यमक इत्यादि चार अलंकारों को छोड़ दिया है तथा पुनरुक्तवदाभास , छेकानुप्रास , लाटानुप्रास , काव्यहेतु , प्रतिवस्तूपमा , दृष्टांत और संकर , इन छह नवीन अलंकारों को लिया है।
- शब्दालंकारों के प्रयोग में पुररुक्ति , प्रयत्नलाघव तथा उच्चारण या ध्वनिसाम्य मुख्य आधारभूत सिद्धांत माने जाते हैं और पुनरुक्ति को ही आवृत्ति कहकर इसके वर्ण, शब्द तथा पद के क्रम से तीन भेद माने जाते हैं, जिनमें क्रमश: अनुप्रास और छेक एवं यमक, पररुक्तावदाभास तथा लाटानुप्रास को ग्रहण किया जाता है।