मैगज़िन meaning in Hindi
pronunciation: [ maigajein ]
Examples
- उन्होंने बताया कि दो बहुत उत्तम पिस्तौल हैं , अतिरिक्त मैगज़िन और प्रत्येक के साथ कारतूस हैं- इतना कहकर उन्होंने लोहे की अलमारी से झकझकाते हुए नौ शाटवाले दो पिस्तौल कारतूस और मैगजिन निकाल दिए।
- इस युग के प्रमुख पत्रों में ' बिहार बंधु ' , ' कविवचन सुधा ' हरिश्चंद्र मैगज़िन , ब्राह्मण , ' भारतमित्र ' , ' सारसुधानिधि ' हिंदी ' वंशावली ' , ' हिंदी प्रदीप ' एवं उचित वक्ता आदि अग्रणी रहे।
- ने 300 सौ चांदी की सिल्लियां , 120 एके 56 राइफ़ल्स और संकड़ों की संख्या में ग्रेनेड , मैगज़िन , गोलियां और कई क्विंटल विस्फोटक पावडर आरडीएक्स 9 जनवरी और 9 फ़रवरी 1993 के बीच कई खेप में रायगड़ के दिघी जेट्टी और शेखाड़ी के रास्ते मुंबई में भेजी।
- ने 300 सौ चांदी की सिल्लियां , 120 एके 56 राइफ़ल्स और संकड़ों की संख्या में ग्रेनेड , मैगज़िन , गोलियां और कई क्विंटल विस्फोटक पावडर आरडीएक्स 9 जनवरी और 9 फ़रवरी 1993 के बीच कई खेप में रायगड़ के दिघी जेट्टी और शेखाड़ी के रास्ते मुंबई में भेजी।
- और अलीगढ़ में मेरे ज़्यादातर दोस्त मुस्लिम रहे , मेरे घर के पास ही मोहल्ला है, उपर कोर्ट, दिन वहीं गुज़रता था, मेरे बचपन की एक बान्धवी मेरे लिए ग़ज़लें इकट्ठा करती थीं, गुल्दस्ता, एक मैगज़िन आती थी 'शमा', उर्दू साहित्य की बहुत पॉपुलर मैगज़िन थी, उसमें से ग़ज़लें छाँट-छाँट के सुनाया करती थी मुझे।
- और अलीगढ़ में मेरे ज़्यादातर दोस्त मुस्लिम रहे , मेरे घर के पास ही मोहल्ला है, उपर कोर्ट, दिन वहीं गुज़रता था, मेरे बचपन की एक बान्धवी मेरे लिए ग़ज़लें इकट्ठा करती थीं, गुल्दस्ता, एक मैगज़िन आती थी 'शमा', उर्दू साहित्य की बहुत पॉपुलर मैगज़िन थी, उसमें से ग़ज़लें छाँट-छाँट के सुनाया करती थी मुझे।
- और अलीगढ़ में मेरे ज़्यादातर दोस्त मुस्लिम रहे , मेरे घर के पास ही मोहल्ला है , उपर कोर्ट , दिन वहीं गुज़रता था , मेरे बचपन की एक बान्धवी मेरे लिए ग़ज़लें इकट्ठा करती थीं , गुल्दस्ता , एक मैगज़िन आती थी ' शमा ' , उर्दू साहित्य की बहुत पॉपुलर मैगज़िन थी , उसमें से ग़ज़लें छाँट-छाँट के सुनाया करती थी मुझे।
- और अलीगढ़ में मेरे ज़्यादातर दोस्त मुस्लिम रहे , मेरे घर के पास ही मोहल्ला है , उपर कोर्ट , दिन वहीं गुज़रता था , मेरे बचपन की एक बान्धवी मेरे लिए ग़ज़लें इकट्ठा करती थीं , गुल्दस्ता , एक मैगज़िन आती थी ' शमा ' , उर्दू साहित्य की बहुत पॉपुलर मैगज़िन थी , उसमें से ग़ज़लें छाँट-छाँट के सुनाया करती थी मुझे।
- शुरु में सांप की बात निकलते ही सुनैना दीदी के चेहरे पर ‘अभी बेहोश हो जाऊंगी ' वाला भाव चला आता, मगर अब तो सांप रसोई में जांत के बाजू से सरकता पुराने घड़े के ठंडे के पीछे जाने क्या-क्या की टोह लिये टहलता रहता है और दीदी लापरवाही से मैगज़िन से स्वेटर के डिज़ाइन की अपने कापी में नक़ल लिखती रहती हैं, या गोपू से इंटरनेट की बातें सुनती रहती हैं और उनके चेहरे पर शिकन तक नहीं आती.