बृहदारण्यकोपनिषद् meaning in Hindi
pronunciation: [ berihedaarenyekopenised ]
Examples
- बृहदारण्यकोपनिषद् तथा महाभारत में कहा गया है कि “इतिहास पुराणाभ्यां वेदार्थ मुपर्बंहयेत्” अर्थात् वेद का अर्थविस्तार पुराण के द्वारा करना चाहिये।
- इस प्रसंग में बृहदारण्यकोपनिषद् की एक कथा है- एक बार देवता , मनुष्य और असुर तीनों की उन्नति अवरुद्ध हो गयी।
- बृहदारण्यकोपनिषद् तथा महाभारत में कहा गया है कि “इतिहास पुराणाभ्यां वेदार्थ मुपर्बंहयेत् ” अर्थात् वेद का अर्थविस्तार पुराण के द्वारा करना चाहिये।
- इन बृहदारण्यकोपनिषद् तथा छान्दोग्योपनिषद वाक्यों के द्वारा इस जीवात्मा को निराकार ब्रह्म से अभिन्न स्थापित करने का प्रयत्न शंकराचार्य जी ने किया है।
- इन बृहदारण्यकोपनिषद् तथा छान्दोग्योपनिषद वाक्यों के द्वारा इस जीवात्मा को निराकार ब्रह्म से अभिन्न स्थापित करने का प्रयत्न शंकराचार्य जी ने किया है।
- इन बृहदारण्यकोपनिषद् तथा छान्दोग्योपनिषद वाक्यों के द्वारा इस जीवात्मा को निराकार ब्रह्म से अभिन्न स्थापित करने का प्रयत् न शंकराचार्य जी ने किया है।
- 60 ॰ 0 0 थोड़े से अन्तर के साथ बृहदारण्यकोपनिषद् की दो आवृत्तियाँ क्रमशः यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा और काण्व शाखा में मिलती हैं।
- कुछ कट्टर हिन्दू वैदिक काल में भी चांडाल को अस्पृश्य ठहराते हैं और बृहदारण्यकोपनिषद् ( 1 / 3 ) की कथा का हवाला देते हैं।
- बृहदारण्यकोपनिषद् में कहा गया है- निश्चय ही जीव पुण्य-कर्म से पुण्यशील होकर पुण्ययोनि में जन्म पाता है और पाप-कर्म से पापयोनि में जन्म ग्रहण करता है।
- बृहदारण्यकोपनिषद् में गार्गी एवं मैत्रेयी के याज्ञवल्क्यमुनि के साथ संवाद को देख कर कहीं से भी नहीं लगता कि वे अपने वैदिक ज्ञान में यजुर्वेद के इस श्रेष्ठतम मुनि से कहीं भी कम होंगी।