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बड़ाई करना meaning in Hindi

pronunciation: [ bedae kernaa ]
बड़ाई करना meaning in English

Examples

  1. और वे अपनी बड़ाई करना , अपने आप को दूसरों की नजरों में ऊंचा सिद्ध करना , दूसरों से बड़ा बन जाना चाहते हैं।
  2. फ़कीरों का काम बादशाहों की बड़ाई करना नहीं है , जो मैं कहूं कि तू समुद्र के समान अगा ध और मेघ के समान दानशील है।
  3. दमनक बोला- सुनो दूर से बड़ी अभिलाषा से देख लेना , मुसकाना , समाचार आदि पूछने में अधिक आदर करना , पीठ पीछे भी गुणों की बड़ाई करना , प्रिय वस्तुओं में स्मरण रखना।
  4. गांगुली-हाँ , अगर वहाँ भाषण करना , प्रश्न करना , बहस करना काम है , तो आप हमारा जितना बड़ाई करना चाहता है , करे ; पर मैं उसे काम नहीं समझता , यह तो पानी चारना है।
  5. इसलिए जो यह नहीं बताता कि उसका सत्य क्या है या सत्य के किन रूपों में उसकी आस्था है , तब तक उसके द्वारा सत्याग्रह की बड़ाई करना या तो महज रस्मी है या फिर उसमें गहरा छल है।
  6. इधर उपाध्याय सर कक्षा में प्रवेश करते उधर पास की मदीना मस्जिद से अजान की आवाज गूंजती- ' ' अल्लाहो अकबर .... '' उपाध्याय सर छात्रों को बताते कि इस देश का मुसलमान अभी तक मुगल बादशाह अकबर की बड़ाई करना नहीं छोड़े हैं।
  7. इस रचना की और अमृता प्रीतम की बड़ाई करना मतलब सूरज को रोशनी दिखाना है , लेकिन आपको इसे प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद, क्योंकि हम जब ऐसे ही, इन जैसे विभूतियों को याद करते हैं तो इनकी रचनाओ के साथ-साथ हमारी लेखनी भी सार्थक हो जाती है.
  8. हिन्दू होते हुए हिन्दुतत्वका विरोध और धर्म निरपेक्षता के आड़ में मुस्लिम तुस्टीकरण का समर्थन , हिंदी का खाते (मतलब हिंदी पत्रकार होते हुए) हुए हिंदी का विरोध और उर्दू का महिमामंडन, भारत में रहते हुए पाकिस्तान के संस्थापको में से एक इकबाल की बड़ाई करना इन जैसे लोगो को तो देशद्रोह का “चस्का” लग गया है
  9. इधर उपाध्याय सर कक्षा में प्रवेश करते उधर स्कूल के समीप स्थित मदीना-मस्जिद से दुपहर की नमाज़ की अज़ान गूंजती।- ' ' अल्लाहो अकबर .... '' उपाध्याय सर छात्रों को बताते ' - '' बच्चों सुना तुमने मस्जिद के मुल्ले की बांग ! इस देश के मुसलमान अभी तक मुगल बादशाह अकबर की बड़ाई करना नहीं छोड़े हैं।
  10. रंजना जी सादर वन्दे ! इस रचना की और अमृता प्रीतम की बड़ाई करना मतलब सूरज को रोशनी दिखाना है , लेकिन आपको इसे प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद , क्योंकि हम जब ऐसे ही , इन जैसे विभूतियों को याद करते हैं तो इनकी रचनाओ के साथ-साथ हमारी लेखनी भी सार्थक हो जाती है . रत्नेश त्रिपाठी
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