पिङ्गला meaning in Hindi
pronunciation: [ pineggalaa ]
Examples
- फिर आशापिशाची का समूल उच्छेद कर देने वाले योगी का तो कहना ही क्या ? सूत्रकार ने इस अर्थ को स्पष्ट करने के लिए पिङ्गला का दृष्टान्त दिया है -
- प्राणायाम के समय मेरुदण्ड को विशेष रूप से सावधान होकर सीधा कर लीजिए , क्योंकि मेरुदण्ड में स्थित इड़ा , पिङ्गला और सुषुम्ना नाडियों द्वारा प्राणशक्ति का आवागमन होता है।
- प्राणायाम के समय मेरुदण्ड को विशेष रूप से सावधान होकर सीधा कर लीजिए , क्योंकि मेरुदण्ड में स्थित इड़ा , पिङ्गला और सुषुम्ना नाडियों द्वारा प्राणशक्ति का आवागमन होता है।
- इडा २ . पिङ्गला , ३ . सुषुम्ना , ४ . गान्धारी , ५ . हस्तिजिह्वा , ६ . पूषा , ७ . यशस्विनी , ८ . अलम्बुसा , ९ . कुहू और १ ० . शंखिनी।
- इडा २ . पिङ्गला , ३ . सुषुम्ना , ४ . गान्धारी , ५ . हस्तिजिह्वा , ६ . पूषा , ७ . यशस्विनी , ८ . अलम्बुसा , ९ . कुहू और १ ० . शंखिनी।
- जैसे बिजली से चलने वाले यन्त्रों में नेगेटिव और पोजेटिव , ऋण और धन धाराएँ दौड़ती हैं और उन दोनों का जहाँ मिलन होता है , वहीं शक्ति पैदा हो जाती है , इसी प्रकार इड़ा को नेगेटिव , पिङ्गला को पोजेटिव कह सकते हैं।
- जैसे बिजली से चलने वाले यन्त्रों में नेगेटिव और पोजेटिव , ऋण और धन धाराएँ दौड़ती हैं और उन दोनों का जहाँ मिलन होता है , वहीं शक्ति पैदा हो जाती है , इसी प्रकार इड़ा को नेगेटिव , पिङ्गला को पोजेटिव कह सकते हैं।
- झीनी झीनी बीनी चदरिया ॥ काहे कै ताना काहे कै भरनी , कौन तार से बीनी चदरिया ॥ १॥ इडा पिङ्गला ताना भरनी, सुखमन तार से बीनी चदरिया ॥ २॥ आठ कँवल दल चरखा डोलै, पाँच तत्त्व गुन तीनी चदरिया ॥ ३॥ साँ को सियत मास दस लागे, ठोंक ठोंक कै बीनी चदरिया ॥ ४॥ सो चादर सुर नर मुनि ओढी, ओढि कै मैली कीनी चदरिया ॥ ५॥ दास कबीर जतन करि ओढी, ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया ॥ ६॥
- प्राचीनकाल में गार्गी , मैत्रेयी , मदालसा , अनसूया , अरुन्धती , देवयानी , अहल्या , कुन्ती , सतरूपा , वृन्दा , मन्दोदरी , तारा , द्रौपदी , दमयन्ती , गौतमी , अपाला , सुलभा , शाश्वती , उशिजा , सावित्री , लोपामुद्रा , प्रतिशेयी , वैशालिनी , बैंदुला , सुनीति , शकुन्तला , पिङ्गला , जरुत्कार , रोहिणी , भद्रा , विदुला , गान्धारी , अञ्जनी , सीता , देवहूति , पार्वती , अदिति , शची , सत्यवती , सुकन्या , शैव्या अदि महासतियाँ वेदज्ञ और गायत्री उपासक रही हैं।
- प्राचीनकाल में गार्गी , मैत्रेयी , मदालसा , अनसूया , अरुन्धती , देवयानी , अहल्या , कुन्ती , सतरूपा , वृन्दा , मन्दोदरी , तारा , द्रौपदी , दमयन्ती , गौतमी , अपाला , सुलभा , शाश्वती , उशिजा , सावित्री , लोपामुद्रा , प्रतिशेयी , वैशालिनी , बैंदुला , सुनीति , शकुन्तला , पिङ्गला , जरुत्कार , रोहिणी , भद्रा , विदुला , गान्धारी , अञ्जनी , सीता , देवहूति , पार्वती , अदिति , शची , सत्यवती , सुकन्या , शैव्या अदि महासतियाँ वेदज्ञ और गायत्री उपासक रही हैं।